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अनोखा जासूस (लघुकथा) - समीक्षा


अनोखा जासूस (लघुकथा)


राजनगर के एक प्रतिष्ठित एवं गणमान्य व्यक्ति, सर जहाँगीर अपनी कोठी के पीछे मृत अवस्था में पाए जाते हैं।

पुलिस को शक है की उनका विश्वासपात्र नौकर बिहारी ने सर जहाँगीर का क़त्ल किया और लगभग तीस हजार रूपये लेकर भाग गया|

पुलिस को बिहारी की भरपूर तलाश है।

लेकिन यहाँ खीर में मक्खी की तरह टपक जाता है, अपना सुनील भाई मुल्तानी। अरे ख़ास बात, इस केस की तहकीकात इंस्पेक्टर प्रभुदयाल कर रहा है। आज वो किसी भी अखबार वाले को अपने पास फटकने नहीं दे रहा है।

क्या पुलिस जैसा सोच रही है वैसा ही है। क्या सुनील भाई मुल्तानी इसमें कुछ नया मिस्ट्री खोद निकालने में सफल होंगे।

5-7 पन्नों में सिमटी, इस लघुकथा में पाठक साहब ने हर उस मसाले का प्रयोग किया है जो अमूमन वृहद् उपन्यासों में करते हैं।

शानदार रहस्य और रोमांच से भरपूर मर्डर मिस्ट्री जो बिलकुल सीधी और सपाट लिखी गयी है पर मनोरंजन की कोई कमी नहीं है।

तो क्या आपने इस लघु कथा को पढ़ा है ?

कहानी का इबुक लिंक- http://ebooks.newshunt.com/Ebooks/default/Anokha-Jasus/b-42697


सर सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के कहानियों का संग्रह इबुक के रूप में प्रकाशित हो चूका है। आप उसका भी आनंद उठा सकते हैं।

संपूर्ण कथा साहित्य लिंक वॉल्यूम १ -http://ebooks.newshunt.com/Ebooks/default/Sampurn-Katha-Sahitya---Vol-1/b-42653
संपूर्ण कथा साहित्य लिंक वॉल्यूम २ -http://ebooks.newshunt.com/Ebooks/default/Sampoorn-Katha-Sahitay---Vol-2/b-43227

नोट:- लघुकथा का छायाचित्र राजीव रोशन जी द्वारा बनाया गया है जिसका किसी भी प्रकार व्यावसायिक प्रयोग प्रतिबंधित है| छायाचित्र के लिए चित्रों का प्रयोग गूगल इमेज सर्च द्वारा लिया गया है|

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