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विशालगढ एक्सप्रेस (लघुकथा) - समीक्षा


विशालगढ एक्सप्रेस

(लघुकथा)


विशालगढ एक्सप्रेस जैसी कहानी शायद कभी कभार ही लिखी जाती है। जिस प्रकार से पाठक साहब ने किसी बच्चे के मन में उपजे और बैठे ख्यालात को एक कहानी का रंग दिया, वह कबीलेतारीफ़ है।

एक बच्चे के मन में एक पुस्तक के बीच स्थित साधारण सी तस्वीर को देखकर ऐसा ख्याल पनपा की वह उस तस्वीर से आगे की कहानी पढ़ ही नहीं पाया।

वह बच्चा जब भी सीधे तस्वीर से आगे की कहानी पढने की कोशिश करता, कहानी समझ ही नहीं आता था।

और जब भी कहानी को शुरू से पढने की कोशिश करता, उस तस्वीर से आगे बढ़ ही नहीं पाता था।

बच्चा बड़ा हुआ और उस कहानी को भूल गया। लेकिन जब उसे कारोबारी कार्य से कहीं जाना हुआ तो उसी नज़ारे के दर्शन हुए जिसे वह तस्वीर में देखता था।

और दोस्तों पता है आपको उस कहानी का नाम क्या था जिसे वह पढता था - "विशालगढ़ एक्सप्रेस".

और दोस्तों उसे उस तस्वीर की समानता अपने जीवन में कब नज़र आई - जब वह विशालगढ एक्सप्रेस का इंतज़ार कर रहा था एक प्लेटफोर्म पर।

और क्या आपको पता है उस तस्वीर में क्या था?

नहीं ना तो पढ़िए न इस शानदार कहानी को जिसने मेरी साँसे रोक दी थी।

इतना रोमांच, इतना रहस्य, इतना मजा, शायद ही आपको पुरे उपन्यास में मिल सके।

एक शानदार व्यक्तित्व और लेखक, भारत के क्राइम फिक्शन UN-CROWNED किंग, जिनकी लेखनी में ऐसा जादू है की आप सभी कार्यों से हाथ खींच लें, जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ सर सुरेन्द्र मोहन पाठक जी की।

तो जरूर पढ़िए - विशालगढ़ एक्सप्रेस।


कहानी का इबुक लिंक- http://ebooks.newshunt.com/Ebooks/default/Vishalghad-Express/b-43298

सर सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के कहानियों का संग्रह इबुक के रूप में प्रकाशित हो चूका है। आप उसका भी आनंद उठा सकते हैं।

संपूर्ण कथा साहित्य लिंक वॉल्यूम १ -http://ebooks.newshunt.com/Ebooks/default/Sampurn-Katha-Sahitya---Vol-1/b-42653
संपूर्ण कथा साहित्य लिंक वॉल्यूम २ -http://ebooks.newshunt.com/Ebooks/default/Sampoorn-Katha-Sahitay---Vol-2/b-43227

नोट:- लघुकथा का छायाचित्र राजीव रोशन जी द्वारा बनाया गया है जिसका किसी भी प्रकार व्यावसायिक प्रयोग प्रतिबंधित है| छायाचित्र के लिए चित्रों का प्रयोग गूगल इमेज सर्च द्वारा लिया गया है|

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