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क़त्ल की दावत (लघुकथा) - समीक्षा



क़त्ल की दावत (लघुकथा)


सर सुरेन्द्र मोहन पाठक जी ने कुछ ऐसी नायाब कृतियों की रचनाएं की हैं जिन्हें पढने के बाद ऐसा महसूस नहीं होता की पाठक साहब एक अन्तराष्ट्रीय लेखक नहीं है। इनमे से उनके द्वारा लिखे गए थ्रिलर उपन्यास एवं लघुकथाएं मुख्य हैं। लघुकथा “क़त्ल की दावत” भी ऐसी ही लघुकथाओं में से एक है। 

अरविन्द वर्मा एक धनकुबेर है जो इस बात से परेशान है की उसकी दो बार क़त्ल करने की कोशिश की गयी है। वह यह जानना चाहता है की उसकी हत्या करने या करवाने की चाहत किसे है। उसके अनुसार वह उसका करीबी ही हो सकता है। 


इस समस्या से निजात पाने के लिए अरविन्द वर्मा ने अपने सबसे करीबी और जो उसका क़त्ल कर सकते थे, सभी को एक दावत या पिकनिक पर बुलाया। अरविन्द वर्मा ने इस पिकनिक का इंतजाम शहर से दूर एक जंगल में किया जहाँ उसकी एक शानदार कोठी थी और वहां से निकलने का एक मात्र साधन हेलीकाप्टर था।


अरविन्द वर्मा का इरादा था की वह सभी मेहमानों को एक-एक बार क़त्ल करने का मौका देगा। इसके लिए वह सभी को ऐसा सयोंग मुहैया कराता है जिससे वे उसे क़त्ल कर सके।


तो यह जानना की कैसे अरविन्द वर्मा सभी मेहमानों को क़त्ल करने का मौका देता है, एक मिस्ट्री से कम नहीं है। क्या, मेहमानों में से कोई अरविन्द वर्मा का क़त्ल करने में सफल हो पायेगा? क्या अरविन्द वर्मा, इस क़त्ल की दावत द्वारा उस कातिल को बेनकाब करने में सफल हो पायेगा जो उसकी पीठ में अपना बनकर छुरा भोंकना चाहता है।


“क़त्ल की दावत” रहस्यों से भरपूर और थ्रिल का पूरा मजा देता हुआ लघुकथा है। इस लघुकथा की खासियत कहानी का अनोखापन है। कैसे कोई व्यक्ति अपना ही क़त्ल करने के लिए लोगों को दावत देता है। कहानी में पहले पन्ने से ही निरंतरता और रवानगी है। पहले पन्ने से ही रहस्य और रोमांच का दौर शुरू हो जाता है जो की अंतिम पन्नों में ही समाप्त होता है।


एक जरूर ही पढ़ी जाने वाली कहानी।

कहानी का इबुक लिंक- http://ebooks.newshunt.com/Ebooks/default/Katl-Ki-Davat/b-43250

सर सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के कहानियों का संग्रह इबुक के रूप में प्रकाशित हो चूका है। आप उसका भी आनंद उठा सकते हैं।

संपूर्ण कथा साहित्य लिंक वॉल्यूम १ -http://ebooks.newshunt.com/Ebooks/default/Sampurn-Katha-Sahitya---Vol-1/b-42653
संपूर्ण कथा साहित्य लिंक वॉल्यूम २ -http://ebooks.newshunt.com/Ebooks/default/Sampoorn-Katha-Sahitay---Vol-2/b-43227

नोट:- लघुकथा का छायाचित्र राजीव रोशन जी द्वारा बनाया गया है जिसका किसी भी प्रकार व्यावसायिक प्रयोग प्रतिबंधित है| छायाचित्र के लिए चित्रों का प्रयोग गूगल इमेज सर्च द्वारा लिया गया है|


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