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जुए की महफ़िल (लघुकथा) - समीक्षा


जुए की महफ़िल (लघुकथा)


दिवाली का रात थी, पाठक साहब अपने दो दोस्तों शामनाथ और बृजकिशोर और उनके दो मित्रों खुल्लर और कृष्णबिहारी के साथ जुए की महफ़िल में बैठे थे| रात के दस बजे यह महफ़िल शुरू हुई और सुबह सात बजे समाप्त हुई| पाठक साहब पहले तो जीतते रहे लेकिन अंत तक अपने ५०० रूपये भी हार चुके थे| शाम के अखबार में पाठक साहब को पता चला की “अरविन्द कुमार” नामक एक व्यक्ति की हत्या अपने फ्लैट में हो गयी थी|

अरविन्द कुमार भी एक जुआरी था और उसके ऊपर कई लोगों का कर्जा था| जिनमे से शामनाथ, बृजकिशोर, खुल्लर और कृष्णबिहारी का भी कर्जा उसके ऊपर था| इंस्पेक्टर अमीठिया इस क़त्ल की तहकीकात कर रहा था| अमीठिया के अनुसार इन चारों में से किसी ने या चारों ने मिलकर ही अरविन्द की हत्या की थी जबकि चारो पाठक साहब की गवाही की वजह से बच गए क्यूंकि पूरी रात वे पाठक साहब के साथ जुए की महफ़िल में थे|

अब यहाँ से हमारे पाठक साहब के दिमाग में कहीं घंटी बजती है की क्यूँ अमीठिया को इन चारों पर शक है और क्यूँ वे इसे मान नहीं पा रहे हैं| कैसे उन चारों में से कोई दस मिनट में 12 मील का फासला तय करके अरविन्द की हत्या कर पाए|

एक शानदार मर्डर मिस्ट्री जो की ८-१० पन्नों सिमटी हुई है| बेहतरीन प्लाट, मकड़ी के जालों में बुनी हुई कहानी जिसमे खुद पाठक साहब एक किरदार के रूप में आपके सामने मौजूद होंगे| जानिये कैसे पाठक साहब इस शानदार मर्डर मिस्ट्री की पहेली को हल करते हैं| परत दर परत, एक ऊपर एक कहानियों के तथ्यों को खोलता हुआ शानदार प्रसंग जो की आपके रोंगटे खड़े कर देगा|

इस कहानी को पढने के बाद आप अगर नहीं मानते हैं की पाठक साहब एक अन्तराष्ट्रीय स्तर के लेखक है, तो मानने लग जायेंगे| अगर मैं यह कहूँ की अगर आप उनके प्रशंसक नहीं तो प्रशंसक जरूर बन जायेंगे| एक ही बार में पठनीय| क्या पाठक साहब, क्या इंस्पेक्टर अमीठिया और क्या शानदार पाठक साहब की यह मर्डर मिस्ट्री| अगर अब तक नहीं पढ़ पायें तो पढ़िए|

कहानी का इबुक लिंक - http://ebooks.newshunt.com/Ebooks/default/Juye-Ki-Mahfil/b-42768

वहीँ सर सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के १७ कहानियों का पहला संग्रह इबुक के रूप में प्रकाशित हो चूका है। आप उसका भी आनंद उठा सकते हैं। इस संग्रह में “जुए की महफ़िल” कहानी भी है।

संपूर्ण कथा साहित्य लिंक - http://ebooks.newshunt.com/Ebooks/default/Sampurn-Katha-Sahitya---Vol-1/b-42653

नोट:- लघुकथा का छायाचित्र राजीव रोशन जी द्वारा बनाया गया है जिसका किसी भी प्रकार व्यावसायिक प्रयोग प्रतिबंधित है| छायाचित्र के लिए चित्रों का प्रयोग गूगल इमेज सर्च द्वारा लिया गया है|

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