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वह रात (लघुकथा) - समीक्षा


वह रात 

(लघुकथा)

सर सुरेन्द्र मोहन पाठक हिंदी पॉकेट के ऐसे जाने माने पहचाने लेखक हैं जिनके बारे में लोग कम तो जानते हैं लेकिन जो जानते हैं, बहुत खूब जानते हैं| उन्होंने अपने उपन्यासों में मानवीय भावनाओं को थ्रिलर की चासनी लगा कर इतना सुन्दर तरीके से प्रस्तुत किया है की ये कहना मुश्किल हो पड़ता है की कहानी सामाजिक है या थ्रिलर|

“वह रात” एक लघु कथा है, जो की १०-१५ पन्नों में सिमटी है| कहानी के बारे में यह कयास लगाना की यह थ्रिलर है या सामाजिक, मेरे लिए तो इस कहानी के लिए अन्याय करने जैसा है|

कहानी, एक ऐसे रहस्यमय दुर्घटना की ओर इशारा करती है, जिसमें पुलिस यह पता लगा पाने में संभव नहीं हो पायी थी, की क़त्ल हुआ या दुर्घटना| सबूतों के अभाव में पुलिस ने इसे दुर्घटना ही करार दिया|

एक सर्कस में, एक ट्रैंड शेर ने अपने मालिक की हत्या कर दी और उसकी पत्नी के चेहरे को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया| यह एक असाधारण दुर्घटना होने के बावजूद पुलिस कुछ सवालों के जवाब खोज नहीं पायी|

लेकिन, जब इंसान के ऊपर गुनाह का बोझ सताने लगता है, जब इंसान के अन्दर का जमीर जाग कर पुकार-पुकारकर कहता है की उसे अब सच बोल देना चाहिए, तब उस इंसान के लिए असहनीय स्थिति सी बन जाती है| सत्य, इंसान को जीने की प्रेरणा से अवगत कराता है| सत्य के समाप्त होने से जीवन समाप्त नहीं होता बल्कि एक नए सत्य की तलाश शुरू हो जाती है|

“जीवित रहना एक महान कर्तव्य है| जीवन जैसा भी हो उसे सहन करना चाहिए|”


सर सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के कहानियों का संग्रह इबुक के रूप में प्रकाशित हो चूका है। आप उसका भी आनंद उठा सकते हैं।

संपूर्ण कथा साहित्य लिंक वॉल्यूम १ -http://ebooks.newshunt.com/Ebooks/default/Sampurn-Katha-Sahitya---Vol-1/b-42653
संपूर्ण कथा साहित्य लिंक वॉल्यूम २ -http://ebooks.newshunt.com/Ebooks/default/Sampoorn-Katha-Sahitay---Vol-2/b-43227

नोट:- लघुकथा का छायाचित्र राजीव रोशन जी द्वारा बनाया गया है जिसका किसी भी प्रकार व्यावसायिक प्रयोग प्रतिबंधित है| छायाचित्र के लिए चित्रों का प्रयोग गूगल इमेज सर्च द्वारा लिया गया है|

Comments

  1. मुझे सम्पूर्ण कथा सहित्य के दोनों वॉल्यूम चाहिए।ऊपर दिए गए लिंक ओपन नही हो रहे।

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