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Showing posts from April, 2013

वो कौन थी? (समीक्षा)

“ वो कौन थी? ” श्री सुरेन्द्र मोहन पाठक जी की शानदार रचना शीर्षक पढ़ के आपको ऐसा तो नहीं लगा की मैं अपने जीवन की कोई अनसुलझी कहानी की किसी युवती की बात कर रहा हूँ जिससे मिलते मिलते रह गया था। माफ़ी चाहूँगा दोस्तों, ऐसा कुछ भी नहीं है। दोस्तों आज मैं बात कर रहा हूँ श्री सुरेन्द्र मोहन पाठक जी द्वारा लिखित थ्रिलर उपन्यास “ वो कौन थी? ” के बारे में। यह उपन्यास मई १९८५ में पहली बार प्रकाशित हुआ था। पाठक साहब के उपन्यासों की क्रमानुसार प्रकाशित उपन्यासों की श्रेणी में यह उपन्यास १५१ वें स्थान पर आता है। विविध एवं थ्रिलर उपन्यासों के श्रेणी में यह उपन्यास १८ वें स्थान पर आता है। श्री सुरेन्द्र मोहन पाठक जी ने अभी तक कुल ६० उपन्यास थ्रिलर एवं विविध श्रेणी में लिखे हैं। इस श्रेणी के प्रत्येक उपन्यास एक से बढ़कर एक हैं। पाठक साहब ने सभी कृतियों में अपने कलम के जादू को बिखेरा है। प्रत्येक उपन्यास की कहानी अद्वितीय होती है। प्रस्तुत उपन्यास “ वो कौन थी? ” कहानी है चार सिलसिलेवार हुए कत्लों की जो दो महीने के अंतराल पर घटित हुए। प्रत्येक क़त्ल के बाद पुलिस को पता चलता ह

गुनाह का कर्ज (समीक्षा)

गुनाह का कर्ज – श्री सुरेन्द्र मोहन पाठक गुनाहगार चाहे गुनाह करके कितना भी बचने की कोशिश करे लेकिन वह अपने आप को कानून के लम्बे हाथों से बचा नहीं सकता। कई गुनाहगार गुनाह करके बच तो जाते हैं परन्तु जिन्दगी भर उनको इस गुनाह के भेद खुलने का डर समाता रहता है। कई गुनाहगार अपने एक गुनाह को कानून से छुपाने के लिए गुनाह पर गुनाह करते जाते हैं। “ गुनाह का कर्ज ” भी पाठक साहब के द्वारा लिखित ऐसा ही उपन्यास है जिसमे मुख्य किरदार अपने एक गुनाह को छुपाने के कई गुनाह करता जाता है। वह भरसक कोशिश करता है की कानून के हाथ उसके तक ना पहुँच सके लेकिन फिर भी वह बच नहीं पाता। “ गुनाह का कर्ज ” श्री सुरेन्द्र मोहन पाठक द्वारा रचित १८१ वां शाहकार उपन्यास है जो सन १९९१ में मई माह में  पहली बार प्रकाशित हुआ था। पाठक साहब के थ्रिलर उपन्यासों की श्रेणी में इस उपन्यास का स्थान ३१ वां आता है। वैसे तो, श्री सुरेन्द्र मोहन पाठक साहब सीरिज पर आधारित उपन्यास लिखते हैं जिसमे उनके मुख्य किरदार या हीरो सुनील, सुधीर या विमल होते हैं लेकिन पाठक साहब ने थ्रिलर या विविध श्रेणी के उपन्यासों में भी ख्याति प्र

स्टॉप प्रेस (समीक्षा)

स्टॉप प्रेस -    श्री सुरेन्द्र मोहन पाठक   मैंने मोटर साइकिल को अपने कॉलेज के गेट से अन्दर घुसाया और मोड़ काटते हुए उसे पार्किंग एरिया में लगाया। देखा तो वहां तीन-चार लड़के खड़े थे। उन्होंने मुझे आवाज लगाईं पर मैंने उन्हें अनसुना कर दिया। पीछे से तंज कसते हुए उन्होंने कहा देखो बीबीसी का नया पत्रकार जा रहा है , और हंस दिए। मुझे बहुत देर हो रही थी , मैं वैसे ही दिल्ली की जाम की वजह से लेट हो गया था। मैं अपने कक्षा में गया तो देखा "नावेद सर" आ चुके थे। मैं अन्दर जाकर एक खाली बेंच पर बैठ गया और अपनी किताबें निकाल ली। "नावेद सर" हिंदी दैनिक "दैनिक भारत" के बहुत बड़े पत्रकार हैं। उनके लेख "दैनिक भारत" में तो छपते ही है , साथ में कई अन्य मैगज़ीन में भी उनके लेख छपते हैं। हमारे विश्वविद्यालय में एक प्रोफेसर की कमी होने के कारण उन्हें अस्थायी रूप से विश्वविद्यालय प्रबंधन ने बुलाया है। वे सप्ताह में तीन दिन  क्लास लेते थे और विद्यार्थी भी उनके क्लास का आनंद लेते थे। आज का विषय थे श्री सुरेन्द्र मोहन पाठक द्वारा रचित उपन्यास "स्टॉ

मौत आई दबे पाँव (समीक्षा)

मौत आई दबे पाँव - श्री सुरेन्द्र मोहन पाठक हिंदी पल्प फिक्शन साहित्य में कई लेखक हैं जो लिखते हैं , लेकिन श्री  सुरेन्द्र मोहन पाठक जी की अपनी एक विशिष्ट पहचान है। पाठक साहब ने उस समय अपने लेखन की शुरुआत की जब कई दिग्गज लेखक इस विधा में अपना पैर जमा चुके थे। उन्होंने ऐसे किरदार को लेकर अपना इस पेशे में हाथ आजमाया जिसके बारे में कहा जाने लगा था की यह किरदार चलेगा नहीं। लेकिन आज की तारीख में श्री सुरेंदर मोहन पाठक जी ने इस किरदार को लेकर १२० उपन्यास लिख डाले हैं जो की एक विश्व रिकॉर्ड है। पाठक साहब ने इस किरदार को लेकर ही सिर्फ उपन्यास नहीं लिखे , उन्होंने कई ऐसे उपन्यास भी लिखे जो थ्रिलर श्रेणी में आते हैं और उनमे कोई स्थायी किरदार नहीं है। श्री सुरेन्द्र मोहन पाठक साहब ने थ्रिलर श्रेणी में  लगभग ४३ पुस्तकों की रचना की है। उनमे कई ऐसे थ्रिलर हैं जो पाठक बार बार पढना पसंद करते हैं। श्री सुरेन्द्र मोहन पाठक जी ने अपने कई उपन्यासों में ऐसे घटनाक्रम का जिक्र किया है जिसमे एक व्यवसायी किसी अपने से आधी उम्र की लड़की से विवाह करता है और आगे कहानी बढती जाती है एक रहस्य और अपराध की