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Showing posts from June, 2016

खुशियों का कोई मेयार नहीं होता (The Necklace by Guy de Maupassant)

खुशियों का कोई मेयार नहीं होता मूल कथा - The Necklace मूल कथा लेखक -   Guy de Maupassant अनुवाद एवं भारतीयकरण – राजीव रोशन एडिटिंग – डॉ. सबा खान निम्न कहानी प्रसिद्ध फ़्रांसिसी लेखक Guy de Maupassant की एक मशहूर कहानी “द नेकलेस” का हिंदी एवं भारतीयकरण अनुवाद है। Guy de Maupassant को शोर्ट स्टोरी फॉर्मेट का मास्टर लेखक भी कहा जाता है। वे अपने कम शब्दों में लिखी कहानी से बहुत कुछ कह जाते थे। इस कहानी को अंग्रेजी में पढने के बाद मुझे एहसास हुआ की, मैं इसका हिंदी में अनुवाद कर सकता हूँ, भारतीय किरदारों के द्वारा भारतीय परिवेश में इसी कहानी को पेश कर सकता हूँ। आशा है, मेरी यह छोटी सी कोशिश रंग लाएगी और आप सभी को पसंद आएगी। इस कहानी की एडिटिंग करने के लिए, मैं सबा खान जी का शुक्र गुजार हूँ। आशा है, भविष्य में आने वाले, मेरे दुसरे प्रोजेक्ट्स में भी वे मेरी सहायता करेंगी और साथ-ही-साथ प्रोत्साहित भी करती रहेंगी। २२ जून सिद्धार्थ ने घर में घुसते ही आवाज़ लगाई – “जान, मेरी जान, कहाँ हो?” सिद्धार्थ ने देखा कि कविता खिड़की से बाहर देख रही थी। बाहर अभी-अभी मूसलाधार

हाँ! मैं बूकहोलिक हूँ!

हाँ! मैं बूकहोलिक हूँ! पुस्तकें पढ़ना मेरा हमेशा से शौक रहा है और लगता भी नहीं की इस शौक़ को कभी विराम लगेगा। मेरा मानना है कि मेरे इस क्रिया पर विराम लगना भी नहीं चाहिए। इस शौक़ का परिणाम यह हुआ की मेरे मित्रता सूचि में और मेरे आस-पास के लोगों में, पढ़ाकू लोगों की भरमार हो गयी है। वे मेरे द्वारा किताब पढ़े जाने एवं उसकी समीक्षा किये जाने पर, तारीफ भी करते हैं लेकिन तारीफ़, प्रशंसा आदि वो मायावी चीजें हैं जिनकी मुझे कभी इच्छा नहीं रही। जब भी मैं बताता हूँ की मैं फलां पुस्तक पढ़ रहा हूँ तो कई मित्रों का जवाब आता है की अच्छी किताब है पढ़ डालो। कुछ नए पाठक और पुराने पाठक, कभी-कभी मुझसे पूछते भी हैं कि उनको कैसी और कौन सी किताब पढनी चाहिए। यह गतिविधि मुझे बहुत पसंद है, क्यूंकि मैं स्वयं अधिक से अधिक किताबें पढने का शौक़ीन हूँ। इसलिए जितना ज्यादा मेरे पास रिकमेन्डेशन आता है, उतना ही, मेरे लाइब्रेरी में या TBR (टू बी रीड) केटेगरी में किताबों की संख्या बढती जाती है। कई बार तो मुझे अपने मित्र को कहना पड़ता है – “यार, मेरे पास तो वैसे ही कई किताबें हैं, जिनको अभी मैंने पढना है और त

सिंगल शॉट (समीक्षा)

सिंगल शॉट ( समीक्षा) लेखक – सुरेन्द्र मोहन पाठक *Spoiler Alert –   अगर आपने “ सिंगल शॉट ”   उपन्यास नहीं पढ़ा है , तो आपको सावधान किया जाता है की पहले ‘सिंगल शॉट’ ( आप इस उपन्यास को यहाँ पढ़ सकते हैं - Single Shot ) पढ़ लें| उसके बाद ही इस समीक्षा को पढने की कोशिश कीजियेगा। इस सबके बावजूद भी आप इस लेख को पढने को इच्छुक हैं , तो आपका स्वागत है| हमारे समाज में, गैंबलिंग, सट्टा और जुआ आदि कुछ ऐसी बुरी आदते हैं जिनका हमारे में समाज में कोई स्थान नहीं होता है। हमारे समाज में ये आदतें घृणा की दृष्टि से देखी जाती है। यहाँ तक की हमारे देश का कानून भी इस क्रिया के मामले में सख्त है। हमारे देश में, गैंबलिंग, सट्टा और जुआ आदि, खेलने वाले को और जो इसे खेलने के लिए स्थान और सामान मुहैया कराते हैं, अगर पकड़े गए तो, उनको सख्त से सख्त सजा देता है। विदेशों में एक अलग स्थान बने होते हैं, जिन्हें सरकार, गैंबलिंग और जुआ, का खेल खेलने के लिए, स्पेशल लाइसेंस, मुहैया कराती है और इन स्थानों को कैसिनो कहा जाता है। लेकिन कैसिनो में सट्टा का खेल नहीं होता, सट्टा का खेल मूलतः ढका-छुपा खेल है, जो ऑ

सेल्फ-पब्लिशिंग (सितारों से आगे जहाँ और भी हैं)

सेल्फ-पब्लिशिंग कुछ मित्रों के लिए नाम कुछ अनोखा लग सकता है लेकिन आज के समय में यह नाम चिर-प्रचिलित है। आपको याद है, शायद आपने सुना और पढ़ा भी होगा, “ Immortals of Meluha ( मेलुहा की मृत्युंजय) ” , अमीश त्रिपाठी द्वारा लिखित यह पहली पुस्तक है। बताया जाता है की लगभग २० के करीब नियमित प्रकाशन संस्थाओं ने उनकी पुस्तक को प्रकाशित करने से मना कर दिया। उसके बाद अमीश त्रिपाठी ने पुस्तक को सेल्फ-पब्लिश कराया और जिसका नतीजा आप जानते हैं की वह किताब पाठकों द्वारा हाथों-हाथ ली गयी जिसके कारण इस सीरीज की अगली दो पुस्तक के लिए वेस्टलैंड पब्लिशर ने उनसे १० लाख रूपये का अनुबंध किया। इस बिंदु पर मुझे इकबाल साहब द्वारा लिखित एक ग़ज़ल याद आ गया:- सितारों से आगे जहाँ और भी हैं अभी इश्क़ के इंतेहाँ और भी हैं तही ज़िंदगी से नहीं ये फ़िज़ाएं यहाँ सैकड़ों कारवाँ और भी हैं कनात ना कर आलम-ए-रंग-ओ-बू पर चमन और भी आशियाँ और भी हैं अगर खो गया एक नशेमान तो क्या गम मक़मत-ए-आ-ओ-फुघान और भी हैं तू शाहीन है परवाज़ है काम तेरा तेरे सामने आसमाँ और भी है इसी रोज़-ओ-शब मे उलझ कर ना रह