फैन फिक्शन
फैन फिक्शन लिखना कोई ख़ास पुरानी कला नहीं है। वैसे मैं यह भी कह सकता हूँ की इसे कला की श्रेणी में ही नहीं रखा जाता है। यह तो किन्हीं प्रशंसकों की भूख है जो अपने पसंदीदा किरदारों को अपने हिसाब से एक अलग ही दुनिया में ले जाना चाहते हैं। फैन फिक्शन शौकिया शगल है जो अमूमन किन्हीं किरदार या लेखक के प्रशंसक अपने बहुमूल्य समय में से समय निकाल कर बिना कोई मेहनताना लिए लिखते हैं।
फैन फिक्शन लिखने की शुरुआत १८ वीं शताब्दी में हुई थी जब गिने चुने फेन फिक्शन लिखे गए थे। फैन फिक्शन कहानिया या उपन्यास लिखने की असली शुरुआत तब हुई जब “वर्ल्ड वाइड वेब” ने इस संसार में कदम रखा। वर्ल्ड वाइड वेब जिसे हम आज इन्टरनेट के दुसरे नाम से भी जानते हैं, के आ जाने से से फैन फिक्शन कहानियों की संख्या में विस्तार हुआ। प्रशंसक अपने-अपने फेन फिक्शन लिख कर इन्टरनेट पर डालने लगे जिससे की इसका खूब प्रसार हुआ। सन १९९८ में Fanfiction.net नामक एक नॉन प्रॉफिट वेबसाइट अस्तित्व में आई जिसका मुख्य ध्येय फेन फिक्शन को ऑनलाइन प्रकाशित करना था। वर्तमान में यह वेबसाइट फेन फिक्शन के संग्रह के मामले में सबसे बड़ी संग्रहालय मानी जाती है। धीरे-धीरे इस वेबसाइट के तर्ज पर ही कई और वेबसाइट सामने आये जो फेन फिक्शन को प्रकाशित करने में सहायता करते थे। वहीँ ब्लॉग सिस्टम के आ जाने से फेन-फिक्शन कहानियों का और विस्तार हुआ।
http://www.harrypotterfanfiction.com/
उपरोक्त वेबसाइट पर आप देख सकते हैं की हैरी पॉटर और उसके किरदारों को लेकर लगभग ८०,००० फेन-फिक्शन लिखा गया है। देखिये की हैरी पॉटर की रचयिता मोहतरमा जे.के. रोलिंग का इसके बारे में क्या कहना है:-
I am "flattered" that people wanted to write their own stories based on her fictional characters.
उपरोक्त वेबसाइट पर आप देख सकते हैं की हैरी पॉटर और उसके किरदारों को लेकर लगभग ८०,००० फेन-फिक्शन लिखा गया है। देखिये की हैरी पॉटर की रचयिता मोहतरमा जे.के. रोलिंग का इसके बारे में क्या कहना है:-
I am "flattered" that people wanted to write their own stories based on her fictional characters.
जबकि ऐसे ही एक फैन-फिक्शन वेबसाइट के लिए उन्होंने कोर्ट में केस कर दिया था जिसमे जीत फैन फिक्शन वेबसाइट की हुई। ऐसे ही कई और लेखक हैं जिन्होंने बाकायदा अपने किरदारों पर आधारित फेन-फिक्शन वेबसाइट को अपने ओरिजिनल वेबसाइट पर जगह दी है तो कुछ ऐसे लेखक भी हैं जो ये मानते हैं की यह कॉपीराइट नियम का उल्लंघन। यहाँ तक की कुछ लेखकों ने तो ऐसे वेबसाइटों को चेतावनी दी हुई है।
दोस्तों सोचने वाली बात यह है की वर्तमान में ऐसे कई फैन-फिक्शन लेखक हुए हैं जिनकी कहानियों का प्रयोग मूल लेखक करते हैं और अपने नाम से छापते हैं। कई फैन-फिक्शन लिखने वालों ने अपना आपको पूर्ण रूप से लेखक के रूप में ढाल लिया है। वहीँ सुना गया है की कुछ फिल्म निर्माता कंपनियों ने कुछ फैन-फिक्शन कहानियों पर फिल्म का निर्माण करने की योजना बनाई है। इस मामले में आपको अधिक जानकारियाँ इन्टरनेट से प्राप्त हो जायेंगी।
फेन-फिक्शन एक शौकिया शगल के साथ साथ अब कई लेखकों का निर्माण कर रहा है। लोग अपनी क्रिएटिविटी को ऐसे फेन-फिक्शन कहानियों द्वारा दुनिया के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं। ऐसे में एक नए लेखक वर्ग का उदय होना संभव हो गया है।
मुझे यह जानकारी प्राप्त नहीं की भारत में इस विधा का उदय कब हुआ और क्या कोई फेन फिक्शन भारतीय किरदारों पर लिखा गया है की नहीं। लेकिन मेरी जानकारी में कई ऐसे मित्र है जिन्होंने फैन फिक्शन लिखा है और कुछ लिख रहे हैं और कुछ मित्रों ने इसकी शुरुआत की है।
“डॉ. राजेश पराशर जी” ने सर सुरेन्द्र मोहन पाठक जे के किरदार विमल को केंद्रीय किरदार में लेकर “अपहरण” नामक फेन फिक्शन लिखा जिसकी सराहना स्वयं सुरेन्द्र मोहन पाठक साहब ने अपने शब्दों में किया है। वहीँ विजय मोदी जी ने सर सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के सभी किरदारों को लेकर “महानायक” नामक फैन- फिक्शन लिख रहे हैं जिसके लगभग ५ भाग आ चुके हैं। वहीँ मुझे याद आता है की “सुधीर बड़क” नामक मेरे मित्र ने भी सर सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के कुछ किरदारों को लेकर कई फेन-फिक्शन कहानियों की रचना की जो की बहुत सफल हुए। वहीँ याद आता है की मेरे प्रिय मित्र “पराग डिमरी” जी ने भी एक बार एक फेन फिक्शन की आधारशिला रखी थी लेकिन उसको आगे नहीं बढ़ाया। मैं चाहूँगा की वे इस फैन-फिक्शन को आगे बढायें। मेरे एक और मित्र “अनुराग लाल” जी ने भी एक फैन-फिक्शन कहानी की आधारशिला रखी है आशा है की वे इसे आगे जरूर बढ़ाएंगे। मेरे एक प्रिय मित्र गौरव कुमार निगम जी जो लखनऊ से है, वे भी एक फेन-फिक्शन कहानी पर कार्यरत हैं। मेरी कामना है की वे इसे जरूर पूरा करें। ये सभी फैन-फिक्शन, सर सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के किरदारों के इर्द-गिर्द ही लिखे गए हैं या लिखे जा रहे हैं।
बिल्कुल मेरे दिल की बात की दोस्त..... मैं भी अपना एक अदना सा कंट्रीब्युशन देने की कोशिश कर रहा हूं .... God bless you
ReplyDeleteWow sir...
DeleteFirst of all.. Sorry for replying very late...
I am waiting for ur fan fiction....
That's a fantastic article. I never knew about this term. I had also written a play in Hindi in 2008 in which I had used SMP Saheb's characters - Sunil, Arjun and Inspector Prabhu Dayaal.
ReplyDeleteWow sir... I wish I can able to read that play.
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