खन्ना की कॉकटेल पार्टी
(लघुकथा)
एक लेखक, अपने एक मित्र के साथ, एक मित्र के द्वारा दी जा रही कॉकटेल पार्टी में शरीक होता है| जहाँ मौजे-बहारा की महफ़िल, मयखाने की बुलंदियों तक जाती है| लेखक का घर दूर होने के कारण, उसके साथ आया मित्र उसे वादा करता है की, उसे ऐसी जगह तक छोड़ कर आएगा जहाँ से घर के लिए टैक्सी मिल जायेगी| लेकिन पार्टी के समाप्त होने पर, लेखक को अपने मित्र का नामोनिशान नहीं मिलता|
सर्दियों के समय, ऊपर से दिल्ली की सर्द भाई रातें, जहाँ रात के ८ बजे ही बारह बजने का अहसास होने लगता हो| ऐसे में, लेखक इस पशोपेश में है की कैसे घर जाए| पार्टी में आया एक जानकार अपने स्कूटर पर लेखक को करीबी टैक्सी स्टैंड तक छोड़ आने की बात मान लेता है|
दोस्तों, ये कहानी है, पाठक साहब द्वारा रचित लघुकथा “खन्ना की कॉकटेल पार्टी” की| इसमें खुद पाठक साहब ने लेखक के रूप में प्रथम व्यक्ति के रूप में कहानी का बखान किया है| पाठक साहब ने कहानी को कुछ ऐसे ढंग से कहा है की बरबस लग पड़ता है की, यह घटना तो हमारे साथ भी घट चुकी है| आप अपने एक मित्र के साथ, एक पार्टी में जाते हैं और रात भर पार्टी चलती है| देर रात जब आप जाने के लिए उठते हैं तो पाते हैं की आपका जो दोस्त साथ आया था वो थे पहले ही फरार हो चूका है , फिर आपको सोचना पड़ता है की, कैसे घर पहुंचा जाए|
एक बात और आपको इस कहानी में देखने को मिल जाएगा, वो ये की सस्पेंस और थ्रिल की कमी इस कहानी में कहीं भी नहीं| अविश्वसनीय रूप से पाठक साहब ने एक साधारण सी कहानी की बड़े ही सनसनीखेज तरीके से कागज पर उकेरा है| स्कूटर पर रात के दो बजे, दिल्ली का क्या नज़ारा था उस समय, इसकी बहुत ही सुन्दर व्याख्या इस कहानी मिल जाती है|
कहानी को संक्षेप में बयान किया जाए तो कह सकते हैं की – यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो आधी रात के बाद दिल्ली जैसे शहर में, अपने घर जाना जरूरी समझता है और इसमें लौंग और इलायची का काम ये बात करती है की उसने छक के पिया भी हो|
लेकिन, लोग चाहे कुछ भी कहे पाठक साहब के बारे में, एक बात तो शाश्वत सत्य है – सर सुरेन्द्र मोहन पाठक से अच्छा क्राइम फिक्शन भारत में - हिंदी में कोई और नहीं लिखता और न ही लिख सकेगा| अगर कुछ लोगों को मेरी बात से इत्तेफाक नहीं तो उन्होंने जरूर इस कहानी को पढ़ा नहीं होगा|
सर सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के कहानियों का संग्रह इबुक के रूप में प्रकाशित हो चूका है। आप उसका भी आनंद उठा सकते हैं।
संपूर्ण कथा साहित्य लिंक वॉल्यूम १ -http://ebooks.newshunt.com/Ebooks/default/Sampurn-Katha-Sahitya---Vol-1/b-42653
संपूर्ण कथा साहित्य लिंक वॉल्यूम २ -http://ebooks.newshunt.com/Ebooks/default/Sampoorn-Katha-Sahitay---Vol-2/b-43227
नोट:- लघुकथा का छायाचित्र राजीव रोशन जी द्वारा बनाया गया है जिसका किसी भी प्रकार व्यावसायिक प्रयोग प्रतिबंधित है| छायाचित्र के लिए चित्रों का प्रयोग गूगल इमेज सर्च द्वारा लिया गया है|
Comments
Post a Comment