Skip to main content

Posts

Showing posts from December, 2014

झेरी हत्याकांड - Find out the murderer

झेरी हत्याकांड - Find out the murderer गौरीशंकर जालान न जाने कैसा शख्स था। हर कोई उसकी मौत की तमन्ना लिए बैठा था। वैसे तो वह प्रसिद्ध उद्योगपति था लेकिन ४ साल से वह झेरी में अपनी नवयुवा पत्नी भावना के साथ बसा हुआ था। गौरीशंकर जालान को दो बार दिल का दौरा पड़ चुका था और तीसरे के आते ही वह भगवान् का प्यारा हो जाने वाला था। गौरीशंकर जालान के घर में पदमा नाम की नर्स भी रह रही थी जो उसकी तंदरुस्ती के हिसाब से उसके देखभाल का काम देखती थी। वैसे पदमा का काम सिर्फ नर्स के काम तक ही सिमित नहीं था वह तो भावना पर भी नज़र रखती थी। गौरीशंकर जालान की तंदरुस्ती का ख्याल रखते हुए राजनगर के एक बड़े डॉ. रुस्तम जरीवाला ने लोकल डॉ. निर्मल पसारी को नियुक्त किया था जो कि प्रतिदिन जालान के तंदरुस्ती का मुआयना किया करता था। लेकिन कहते हैं न जिसकी आनी होती है आ के ही रहती है। मौत और ग्राहक के आने का कोई समय नहीं होता। जब धरती पर ईश्वर द्वारा मुक़र्रर किया गया समय आपके लिए समाप्त होता है तो यमराज आपको दुसरे लोक ले जाने के लिए आ ही जाता है। ऐसा ही कुछ गौरीशंकर जालान के साथ हुआ जब सोते-सोते ही वह चिरनिंद्रा क

Belly Dance in SMP Novels

Belly Dance in SMP Novels “सिल्विया दिल्ली में जैसे आसमां से टपकी थी। आरम्भ में उसकी खूबसूरती और नौजवानी का दिल्ली में किसी ने रोब नहीं खाया था लेकिन एक बार उसका बैली डांस वाला टेलेंट नुमायाँ होने की देर थी कि लोग उसके दीवाने हो गए थे। पहली बार उसकी गोरी चमड़ी का रोब खाकर दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल मौर्य ने उसे अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया था। अपनी पहली परफॉरमेंस के साथ ही मिस सिल्विया ग्रेको हिटहो गयी थी। सिल्विया का बैली डांस देखने लोग होश में आते थे और बिना पिए होश खोकर जाते थे।” साहेबान, मेहरबान, कद्रदान और इसे पढने वाले पाठकगण, वैसे मैं तो अभी जीवन की पहली कक्षा का ही छात्र हूँ और इसका एहसास अधिकतर मुझे तब होता जब मैं सुधीर सीरीज के उपन्यास पढने लगता हूँ। “बैली डांस” कोई डांस का प्रकार भी होता है इसकी जानकारी मुझे बिलकुल भी नहीं थी जब तक की सुधीर सीरीज के एक उपन्यास में मैं सिल्विया ग्रेको से नहीं मिला था। पाठक साहब के सदके मुझे डांस के इस प्रकार की जानकारी मिली थी। वैसे आपके खादिम, राजीव रोशन को कभी, साक्षात डांस के इस रूप के दर्शन नहीं हुए हैं। लेकिन कामना है क

५० लाख – "जीता" के जुनून का अंजाम

५० लाख – "जीता" के जुनून का अंजाम क्या भारत की न्यायव्यवस्था इतनी कमजोर है की एक गुनाहगार को मात्र एक झूठी गवाही पर रिहा कर दिया जाए। जो गवाह कल तक उस व्यक्ति के गुनाहों को दुनिया के सामने नग्न करने को राजी था, आज भरी अदालत में उसको गुनाहगार मानने से पलट गया वो भी इस पर कि उसने बाइबिल पर हाथ रख कर सच कहने की सपथ ली थी। बहुत ही अजीब दुनिया और कानून व्यवस्था है हमारे देश की। उस गवाह “गाईलो” ने “जीत सिंह उर्फ़ जीता” के खिलाफ इसलिए गवाही नहीं दिया क्यूंकि जीत सिंह, गाईलो के कजन एंजो का दोस्त था। पुलिस ने इतनी मेहनत मसक्कत से सुपर सेल्फ सर्विस स्टोर के दिन दहाड़े डकैती के केस के एक मुख्य मोहरे को गिरफ्तार किया था। जहाँ पुलिस को इस काम के लिए तारीफ के फूल मिलने चाहिए थे वहीँ उन्हें यह काँटा मिला की मुलजिम जीत सिंह को जमानत पर रिहा कर दिया गया। अगर और गहराई में जाएँ तो पता चलता है कि जीत सिंह को पकड़ने में पुलिस ने कोई ख़ास मेहनत नहीं की थी बल्कि उनको तो जीत सिंह थाली में सजाकर, लौंग का वर्क लगा कर मिला था। सुपर सेल्फ सर्विस स्टोर की डकैती में शामिल जीत सिंह के साथियों

आखिरी मकसद (द लास्ट गोल)

आखिरी मकसद (द लास्ट गोल) सुधीर कोहली – द फिलोस्फर डिटेक्टिव – द लक्की बास्टर्ड – सीरीज दो बहनें सुधा और मधु, शायद समाज के एक ऐसे दृश्य को दिखाती हैं जिसे हम बार बार दरकिनार कर जाते हैं। सुधा, मधु से ३-४ वर्ष बड़ी है। दोनों ही बहने अपने नव-यौवन की अवस्था में हैं। सुधा, जो कृष्ण बिहारी माथुर नामक दिल्ली के बूढ़े अपाहिज धनवान सेठ से विवाहित है और जिसके नाजायज सम्बन्ध अपने ही सौतेले बेटे अर्थात माथुर के पहली पत्नी के बेटे मनोज के साथ हैं। सुधा और मनोज में भी ३-४ वर्ष का ही अंतर होगा। मधु जिसने लेखराज मदान जैसे दिल्ली के दादा से बस इसलिए शादी की ताकि धन की बारिश से उसकी प्यास बुझ सके लेकिन उसने अपने शारीरिक पूर्ति के लिए अपने पति के वकील पुनीत खेतान के साथ ही नाजायज सम्बन्ध बना लिए और किसी से भी सम्बन्ध बना लेने में उसे हिचक नहीं होती है। सुधीर कोहली, द फिलोस्फर डिटेक्टिव, द लकी बास्टर्ड ने दिल्ली की इन खास किस्म की महिलाओं के बारे में अगर कुछ खास विचार कहे हैं तो गलत नहीं कहे होंगे (नीचे कुछ उदाहरण प्रस्तुत किये गए हैं)। उपरोक्त पंक्ति, हमें सभ्य समाज में रहने वाले ऊँचें