Skip to main content

Review : - "ABC MURDER's "


“The ABC Murders”
By Agatha Christie

अभी कुछ दिनों पहले ही मैंने अगाथा क्रिस्टी द्वारा रचित उपन्यास "ABC Murders " पढ़ी। यदि मैं आपको अगाथा क्रिस्टी के बारे में बताऊँ, तो सिर्फ एक ही वाक्य निकलता है मुह से " अगाथा क्रिस्टी क्राइम फिक्शन संसार की क्वीन हैं"।

"ABC Murders " की कहानी उन हत्याओं से सम्बंधित हैं जो अंग्रेजी के वर्णमाला के क्रम में घटित होती हैं। अगाथा क्रिस्टी के स्थायी पात्र हरक्युल पोइरोट को एक गुप्त पत्र मिलता है जिसमे भेजने वाले का नाम ABC  होता है। पत्र में साफ़ तौर पर पोइरोट को चुनौती दी जाती है। पोइरोट को पत्र पढने के बाद भय और शंका होती है। इस शंका की पुष्टि भी हो जाती है जब एंडओवर शहर में ऐलिस अस्चेर नाम की महिला का क़त्ल हो जाता है। उसके मृत शरीर के पास से एक ABC रेलवे गाइड मिलता है। पोइरोट और उनका मित्र हेस्टिंग दोनों मिल कर केस की तहकीकात करते हैं। पुलिस मृत महिला के पियक्कड़ पति को संदेह पर गिरफ्तार करती है। लेकिन अपनी एलीबी के द्वारा वह छुट जाता जाता है। पोइरोट अपनी तहकीकात में मृत महिला के भतीजी से मिलता है लेकिन उससे पोइरोट को  कोई सूत्र नहीं मिल पाटा। पोइरोट की तहकीकात रुक जाती है क्यूंकि उसे कोई सूत्र प्राप्त नहीं होता।

फिर कुछ दिनों बाद पोइरोट को एक और पत्र मिलता है जिसमे एक और स्थान बैक्सहिल में हत्या होने की जानकारी मिलती है। फिर से उस पत्र भेजने वाले का नाम ABC  होता है। पोइरोट के कोशिशों के बावजूद एक और हत्या हो जाती है। इस बार हत्यारे का शिकार होती है एक वेट्रेस बेट्टी बर्नार्ड। बेट्टी बर्नार्ड की हत्या उसके बेल्ट से ही उसका गला घोंट कर की जाती है। फिर दुबारा ABC रेलवे गाइड लाश के पास पायी जाती है। इस बार हत्या का संदेह किया जाते है बेट्टी बर्नार्ड के मंगेतेर पर।

पुलिस और पोइरोट को को सुराग नहीं मिलता है। उनका रास्ता आगे जाकर बंद हो जाता है। उनकी तहकीकात आगे बढती नहीं है। वहीँ पुलिस और पोइरोट इस बात को मीडिया में उछालना नहीं चाहते हैं।

पोइरोट के पास एक और पत्र आता है जिसके अनुसार चर्चस्टोन में हत्या करने की चुनौती होती है। पोइरोट इस हत्या को भी रोकने में नाकाम होता है। इस बार हत्यारे का शिकार हुआ एक वृद्ध Sir Carmichael Clarke जिनका शव चर्चस्टोन के एक खेत में उनके घर के पास बरामद हुआ। यहाँ कार्मिचैल का छोटा भाई शक के दायरे में आता है। लेकिन उसके खिलाफ पुरे सबूत नहीं मिल पाते। इससे केस बहुत ही कठिन होता जाता है।

पुलिस अपनी तरफ से कोशिश जारी रखती है। पोइरोट और हेस्टिंग मिल कर केस को हल करने में लगे हैं। जबकि स्कॉटलैंड यार्ड से इंस्पेक्टर जेप्प और इंस्पेक्टर क्रोमे सहायता करते हैं। वही डॉ. थोम्पसन  जो की ABC की प्रोफाइल बनाने में सहायता करते हैं। पोइरोट और हेस्टिंग, तीनो मृत व्यक्तियों के करीबियों को मिला कर एक गुट बनाते हैं जो की इस सिल-सिलेवार तरीके से हो रही क़त्ल की तहकीकात करने में उनकी सहायता करती है। इस गुट में  मैरी  ड्रोवर  (ऐलिस की भतीजी ), मेगन बर्नार्ड (बेट्टी  की बड़ी बहन), डोनाल्ड फ्रेजर (बेट्टी का मंगेतर), फ्रेंक्लिन क्लार्क (कार्मिचैल का भाई) और थोरा ग्रे (कार्मिचैल की सहायक).

क्या इतनी तहकीकात के बाद हत्यारा पकड़ा जाएगा। क्या इस प्रकार के गुट के गठन से कुछ नतीजा निकलेगा। क्या हत्यारा अंग्रेजी वर्णमाला के अनुसार आगे बढ़ के अगला शिकार करेगा।

ऐसे कई प्रश्न हैं जो हमारे मन में उठते हैं जब हम इस उपन्यास को पढ़ते हैं। वही इस उपन्यास के एक तरफ एक फौजी की कहानी है जो सिर में चोट के कारण एक प्रकार की भूल जाने वाली बिमारी से ग्रसित है। वो एक मौजे बेचनेवाला है। घर घर जा कर मौजे बेचने का उसका काम है। और वह हर बार क़त्ल के स्थान के आस पास देखा जाता है। लेकिन उसकी खबर पुलिस और पोइरोट को तब तक नहीं लग पाती जब तक की गुट का गठन नहीं होता।
क्या यह फौजी ही हत्यारा है?

अगाथा क्रिस्टी ने इस उपन्यास को दो पहलु से लिखा है। एक पहलु में वक्त हास्टिंग है दुसरे में के तीसरा व्यक्ति। बहुत ही सुन्दर प्रयोग है। पहली बार अगाथा क्रिस्टी का पूर्ण उपन्यास पढ़ा है। इससे पहले तो लघु उपन्यास ही पढ़ पाया था। उपन्यास का स्वाद तब तक बना रहता है जब तक की हत्यारे का रहस्य उदघाटन नहीं हो जाता है। लेकिन इस रहस्य के खुलने के बाद भी कई रहस्य होते हैं जैसे की क्या कारण था इस प्रकार से अग्रेजी वर्णमाला के अनुसार शहर और व्यक्ति चुनने का।

शुरुआती तीनो कत्लों में पोइरोट की योग्यता को कम करके आँका जा सकता है क्यूंकि किसी भी सूत्र का न मिलना असंभव सा लगता है। वही स्कॉटलैंड यार्ड जैसी संस्था भी इस सिलसिलेवार क़त्ल में कोई सूत्र तलाश नहीं कर पाती। इस तरह आदि से अंत से पहले तक कातिल ही पुरे उपन्यास में सब पर भारी पड़ता है। लेकिन यह कमियाँ भी हो सकती हैं और खूबियाँ भी हो सकती हैं।

अगाथा क्रिस्टी जी ने बखूबी तरीके से उपन्यास का प्लाट दिखाया है। प्लाट बहुत ही सघन है और किरदारों और स्थानों की अधिकता भी है।

हम भारतीय पाठकों के लिए उपन्यास थोडा सा पढने में मुश्किल है लेकिन पूरी तरह से मुश्किल नहीं है।
मुझे तो यह उपन्यास पढने में बहुत मजा आया.....
आप भी जरूर पढ़ें....

विनीत
राजीव रोशन 

Comments

  1. अगाथा क्रिस्टी निस्संदेह रहस्य-कथाओं के संसार की रानी हैं । मैंने एबीसी मर्डर्स नहीं पढ़ा है । पढ़ने का प्रयास करूंगा । आपने सुंदर समीक्षा लिखी है इसकी ।

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

कोहबर की शर्त (लेखक - केशव प्रसाद मिश्र)

कोहबर की शर्त   लेखक - केशव प्रसाद मिश्र वर्षों पहले जब “हम आपके हैं कौन” देखा था तो मुझे खबर भी नहीं था की उस फिल्म की कहानी केशव प्रसाद मिश्र की उपन्यास “कोहबर की शर्त” से ली गयी है। लोग यही कहते थे की कहानी राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म “नदिया के पार” का रीमेक है। बाद में “नदिया के पार” भी देखने का मौका मिला और मुझे “नदिया के पार” फिल्म “हम आपके हैं कौन” से ज्यादा पसंद आया। जहाँ “नदिया के पार” की पृष्ठभूमि में भारत के गाँव थे वहीँ “हम आपके हैं कौन” की पृष्ठभूमि में भारत के शहर। मुझे कई वर्षों बाद पता चला की “नदिया के पार” फिल्म हिंदी उपन्यास “कोहबर की शर्त” की कहानी पर आधारित है। तभी से मन में ललक और इच्छा थी की इस उपन्यास को पढ़ा जाए। वैसे भी कहा जाता है की उपन्यास की कहानी और फिल्म की कहानी में बहुत असमानताएं होती हैं। वहीँ यह भी कहा जाता है की फिल्म को देखकर आप उसके मूल उपन्यास या कहानी को जज नहीं कर सकते। हाल ही में मुझे “कोहबर की शर्त” उपन्यास को पढने का मौका मिला। मैं अपने विवाह पर जब गाँव जा रहा था तो आदतन कुछ किताबें ही ले गया था क्यूंकि मुझे साफ़-साफ़ बताया ग...

Man Eaters of Kumaon

समीक्षा  चोगढ़ के नरभक्षी बाघ  लेखक - जिम कॉर्बेट  हर जंग में मौत होती है। हर युद्ध में लाशें गिरती हैं। दोनों तरफ जान-माल का नुकसान होता है । दोनों तरफ के सैनिकों में जोश होता है, उत्साह होता है, लेकिन डर भी होता है है। लेकिन दोनों तरफ इंसान होते हैं। इंसान अपनी फितरत से पूरी तरह से वाकिफ होता है । सैनिको को यही शिक्षा दी जाती है की कौन तुम्हारा दोस्त है कौन तुम्हारा दुश्मन।  लेकिन अगर दुश्मन एक हो और उसमे भी नरभक्षी बाघ, जिसे सिर्फ और सिर्फ अपने शिकार से मतलब है। उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की शिकार मनुष्य है या जानवर। उसे इस बात से फर्क नहीं पड़ता की वह जिस मनुष्य का शिकार कर रहा है वह किसी का बाप, किसी का बेटा, किसी का पति, किसी की माँ, किसी की बेटी और किसी की पत्नी हो सकती है। उसे इस बात से फर्क नहीं पड़ता की उसके कारण किसी के घर में चूल्हा नहीं जलेगा, किसी के घर में शहनाई नहीं बजेगी, किसी के घर में त्यौहार नहीं मनाया जाएगा। उसे इस बात से फर्क नहीं पड़ता की उसके कारण लोग भय से अपने घरों से कई दिनों तक बाहर नहीं निकलते। उसे इस बात से फर्क ...

सुहाग का नूपुर (लेखक - स्वर्गीय अमृतलाल नागर)

सुहाग का नूपुर लेखक – स्वर्गीय अमृतलाल नागर “सारा इतिहास सच-सच ही लिखा है, देव! केवल एक बात अपने महाकाव्य में और जोड़ दीजिये – पुरुष जाति के स्वार्थ और दंभ-भरी मुर्खता से ही सारे पापों का उदय होता है। उसके स्वार्थ के कारण ही उसका अर्धांग – नारी जाति – पीड़ित है। एकांगी दृष्टिकोण से सोचने के कारण ही पुरुष न तो स्त्री को सटी बनाकर सुखी कर सका और न वेश्या बनाकर। इसी कारण वह स्वयं भी झकोले खाता है और खाता रहेगा। नारी के रूप में न्याय रो रहा है, महाकवि! उसके आंसुओं में अग्निप्रलय भी समाई है और जल प्रलय भी!” महास्थिर और महाकवि दोनों ही आश्चर्यचकित हो उसे देखने लगे। सहसा महाकवि ने पूछा, “तुम माधवी हो?” “मैं नारी हूँ – मनुष्य समाज का व्यथित अर्धांग।” पगली कहकर चैत्यगृह के ओर चली गई। ****************** श्री अमृतलाल नागर जी के उपन्यास “सुहाग के नूपुर” के यह अंतिम प्रसंग हैं। यह प्रसंग इस उपन्यास की कहानी को खुद-ब-खुद बखान कर देता है। श्री अमृतलाल नागर जी के बारे में जब इन्टरनेट के जरिये जानकारी ली तो जाना की उनका जन्म लखनऊ में हुआ था और वे हिंदी के प्रसिद्द ले...