शक की सुई - श्री सुरेन्द्र मोहन पाठक
दोस्तों, आज मैं आप लोगो को एक स्क्रिप्ट की Summary सुनाने जा रहा हूँ| यह कहानी मैंने नहीं लिखी है पर आप सभी उस महान लेखक नाम से चिर -परिचित होंगे | वो महान शख्सियत हैं , पल्प-फिक्शन की दुनिया के गुरु , पल्प -फिक्शन की दुनिया में जिनका नाम सबसे ऊपर है, जो लगातार 40 वर्षो से पल्प - फिक्शन की दुनिया में हैं , जिनके कहानियो, उपन्यासों, किस्सों और उन उपन्याशो में प्रयोग किये गए जुमले के सैदाई हैं ,
जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ सुरेन्द्र मोहन पाठक जी की। उन्ही के द्वारा लिखी गयी एक शानदार कहानी /उपन्यास को आज मैं स्क्रिप्ट के रूप में सुनाने जा रहा हूँ | शायद अगर कोई निर्माता या निर्देशक इस समरी को देखने के बाद , इस पर फिल्म ही बना डाले |
इस कहानी में मुख्यतः 8-9 पत्र हैं । यह कहानी इन्ही 8-9 पत्रों के इर्द गिर्द घुमती रहती है | पहले तो मैं आप लोगो को कहानी के पत्रों से मिलवा दूँ :-
अमरजीत खुराना – माईक्रो डीवाईसेज कंपनी में 2/३ हिस्से का मालिक । रंगीन मिजाज़ और शराब का रसिया
सलोनी खुराना – अमरजीत खुराना की दूसरी बीवी । जवान , सुन्दर , दिलकश . जो अपने पति के हुक्म की गुलाम है |
किरण खुराना – अमरजीत खुराना की बेटी . किरण खुराना अमरजीत खुराना की पहली बीवी की संतान है | जवानी में कदम बढ़ा चुकी है और खूबसूरत भी है |
अनिल मेहरा – किरण खुराना का होने वाला पति और अमरजीत खुराना का होने वाला दामाद | सुन्दर , सजीला , आकर्षक और दिल्ली की एक कंपनी में काम करता है |
अनुराग रैना – माईक्रो डीवाईसेज कंपनी का दूसरा पार्टनर . इनके हिस्से में कंपनी का 1/3 हिस्सा है | और इसी कारण से इन्हें अमरजीत खुराना से दब के रहना पड़ता है |
तृप्ति रैना – अनुराग रैना की धर्मपत्नी। उम्र लगभग 38 के आसपास . सुन्दर तरीके से बनी हुई , इतनी उम्र होने के बाद भी अपने आपको मेन्टेन किया हुआ है .
सब - इंस्पेक्टर महेश्वरी – कनाट प्लेस थाने के सब -इंस्पेक्टर . पुलिसिया मिजाज़ , कड़क , पूछताछ के मामले में किसी को नहीं बख्सता | शक करना मजबूरी |
दीवान कैलाश नाथ – ये हैं हमारी इस कहानी के हीरो . इनकी उम्र ७४ साल . पहले वकील थे , अब रिटायर हो गए हैं . रिटायर होने के बाद इनके मिजाज़ में बड़ी तबदीली आई है | अब ये रंगीन मिजाज़ और शराब के शौक़ीन हैं | ये अमरजीत खुराना के दोस्त भी हैं | और दोस्त के साथ साथ उसके वकील भी |
मिस मैनी – दीवान कैलाश नाथ के ऑफिस में काम करने वाली एक महिला |
इंस्पेक्टर भूप सिंह – ये कनाट प्लेस थाने के SHO हैं . इनकी इस कहानी में गेस्ट -अपीयरेंस है |
नोट :- मेरे एक सहपाठी हैं , वैसे तो वो मेरे से उम्र में बहुत बड़े हैं फिर भी मैं उन्हें सहपाठी ही कहता हूँ क्यूंकि वो भी पाठक साहब को पढ़ते हैं और मैं भी। मेरे एक सहपाठी हैं जिनका कहना था की अपने जीवन में पहली बार उन्होंने पाठक साहब का यही उपन्यास पढ़ा और उन्हें यह बिलकुल पसंद नहीं आया | लेकिन आज वो पाठक साहब के प्रशंसक हैं वो भी बहुत बड़े | आज उनके नेतृत्व में ही हम इतने बड़े ग्रुप को और आगे बढ़ाये जा रहे हैं | और अब तो हमारे पास लाइब्रेरी भी है जो समुद्र की तरह काम करता है और उस समुद्र में मंदराचल पर्वत का कार्य शरद जी करते हैं | कोई भी बहुमूल्य धन मंगवा लीजिये या ले आइये| मैं तो धन्य हो गया हूँ इस ग्रुप में रहकर|
माफ़ी चाहूँगा , थोडा भावुक इंसान हूँ न , तो भावनाओ में खो गया था | चलिए अब आपको कहानी के पहले दृश्य पर ले चलता हूँ ….
पहला दृश्य :-
अमरजीत खुराना, सलोनी खुराना, किरण खुराना, अनिल महरा, अनुराग रैना और तृप्ति रैना एक पार्टी से गुडगाँव से लौट रहे थे। अमरजीत खुराना को और पीने का मूड हुआ और उसने अपनी बात सब से कही तो अनुराग ने मौर्या चलने की बात कही पर किरण ने अनिल के चाचा के कोठी जाने का सुझाव दिया जो वसंत विहार में था। वहां पहुँचने पर अनिल ने एक रम की बोतल खोज निकली और जाम बनाने के लिए अनुराग को दे दिया। जाम बनाया गया। सबने जाम पिया लेकिन तृप्त की तबियत ठीक नहीं थी तो उसने हल्का सा ही पिया था की उसकी तबियत और ख़राब होने लगी। उसने देखा की सब बेहोश होते जा रहे हैं। उसने उठकर सहायता के लिए आवाज लगाने की कोशिश की।
दृश्य २ :-
अब होती है हमारे हीरो का प्रवेश इस कहानी में:-
दीवान कैलाश नाथ अपने ऑफिस पहुँचता है। रिटायरमेंट के बाद पहली बार वो ऑफिस आया है। ऑफिस में दीवान साहब और मिस मैनी की थोड़ी सी नोक झोक भी होती है।
सब इंस्पेक्टर महेश्वरी दीवान कैलाश नाथ के ऑफिस में उससे मिलता है। महेश्वरी दीवान साहब से अमरजीत खुराना की वसीयत के बारे में जानने आया है। महेश्वरी दीवान साहब को बताता है की कैसे उस कोठी पर पार्टी के दौरान घटना घटी। वो बताता है की सभी के गिलास में जहर था। लेकिन सिर्फ अमरजीत खुराना ही मारा। महेश्वरी के अनुसार अगर समय पर तृप्ता रैना के चिल्लाने के कारण ही उसके पड़ोसियों ने पुलिस को खबर पहुंचाई। महेश्वरी ने बताया की अगर तृप्ता रैना की तबियत ख़राब ना होती तो वो भी पूरा जाम पी जाती और फिर उसकी भी वही हालत होती जो सब की हुई। सभी जाम पीने के बाद ही बेहोश हो गए थे। सभी को अस्पताल में भारती करा दिया गया था। अमरजीत खुराना का अंतिम संस्कार हो गया है।
दीवान कैलाश नाथ उससे पूछता है की कोठी पर जाने का आइडिया किसका था। महेश्वरी बताता है की कोठी पर जाने की जिद्द अमरजीत खुराना ने की थी। दीवान साहब महेश्वरी को एक संभावना बताते हैं की शायद यह क़त्ल सब की मिलीभगत से हुआ है और आगे भी और क़त्ल होंगे। जो उन सब में कमजोर कड़ी होगी उसका क़त्ल हो जायेगा। जो सबसे आखिर में बचेगा वही कातिल होगा। महेश्वरी इस बात से उलझन में पड़ जाता है और दीवान साहब से विदा लेता है।
दृश्य ३:-
सलोनी और किरण शुकून के लिए फरीदाबाद के गाँव शानपुर में स्थित अपने फार्म हाउस पर जाते हैं। फार्म हाउस के करीब से ही यमुना बहती थी जिससे वह का माहौल बहुत ही सुन्दर था। कुछ समय बाद अनुराग और तृप्ता भी अनिल मेहरा के साथ वह पहुँच जाते हैं। अनिल सब को यमुना में तैरने के बारे में बताता है। पर तृप्ता कहती है की मौसम ख़राब है बारिश कभी भी हो सकती है तो यमुना में जाना ठीक नहीं रहेगा। लेकिन कुछ देर की ताल मटोल के बाद सभी यमुना में तैरने के लिए चले जाते हैं। सलोनी और तृप्ता नाव में ही रहते हैं। तैराकी के दौरान अँधेरा छाने लगता है और बारिश भी शुरू हो जाती है। बिजलियाँ भी चमकने लगती है। तभी बिजली किश्ती के करीब में ही खड़े एक पेड़ पर गिरती है और पेड़ आ के सीधे किश्ती पर गिर जाती है जिससे किस्ती पलट जाती है और सभी इधर उधर भटक जाते हैं। कुछ देर बाद सभी मिलते हैं तो उनमे अनिल नहीं होता।सभी अनिल को यमुना में खोजते हैं पर वो नहीं मिलता। अनुराग रैना फार्म हाउस पहुँच कर लोकल पुलिस को फ़ोन पर इसकी सुचना देता है।
दृश्य - ४:-
सब - इंस्पेक्टर महेश्वरी भी फार्म हाउस पर पहुँचता है। वो सब से अनिल मेहरा के साथ हुए हादसे के बारे में सब से पूछता है पर कुछ पता नहीं चलता। फिर महेश्वरी दीवान साहब को फ़ोन पर इस क़त्ल की सुचना देता है और दीवान साहब से थाने में मिलने की प्रार्थना करता है। दीवान साहब उसकी बात मान जाते हैं। महेश्वरी सभी को थाने ले जाने के लिए कहता है जिस पर तृप्ता थोडा ना नुकर करती है पर वो मान जाती है लेकिन इस शर्त पर की वो पुलिस के जीप में नहीं जायेगी बल्कि अपनी कार में जायेगी। महेश्वरी उसकी बात मान लेता है। आगे अनुराग रैना की कार जा रही थी जिसमे तृप्त रैना और अनुराग आगे बैठे थे। अनुराग गाड़ी ड्राइव कर रहा था और सलोनी और किरण पीछे बैठे थे। महेश्वरी पुलिस जीप से उनके पीछे आ रहा था। तृप्ता अनुराग को गाड़ी धीरे चलाने को कहती है क्यूंकि बारिश के कारण सडको पर फिसलन हो सकती है। फार्म हाउस के फाटक के पास ही अनुराग रैना से गाड़ी संभली नहीं और फाटक के खम्भे से टकरा जाती है। महेश्वरी तुरंत कार के पास जा कर सभी को गाड़ी से बहार निकलता है। लेकिन तृप्ता रैना के पास पहुँचते ही उसके तो छक्के छूट जाते हैं। तृप्ता रैना की गर्दन अजीब ढंग से मुड़ी हुई थी। उसने तृप्ता की नबस चेक की तो बंद पाया। उसने तृप्ता को मृत घोषित किया और सबको वापिस फार्म हाउस लौटने के लिए कहा। सभी फार्म हाउस में चले आते हैं। महेश्वरी फार्म हाउस आ कर पहले दीवान साहब को थाने और उनके घर पर पहने मिलाता है पर दीवान साहब दोनों जगह नहीं मिलते। फिर महेश्वरी सलोनी, किरण और अनुराग से पूछताछ करते हैं जिसके दौरान फिर से महेश्वरी को कुछ नहीं मिलता।
दृश्य - ५
महेश्वरी फिर से थाने फ़ोन करके दीवान साहब से बात करता है। वो दीवान साहब को एक और क़त्ल के बारे में बताता है। वो दीवान साहब को बताता है की गर्दन को तोडा गया है। तभी उसको कमरे में कुछ धुएं का अहसास होता है वो फ़ोन होल्ड पर रख कर कमरे से बहार देखता है तो धुआं धुआं पाटा है । वो तुरंत फ़ोन पर वापिस आ कर दीवान साहब को फार्म हाउस पर आने के लिए कहता है और आग के बारे में भी बताता है। महेश्वरी बहार आ कर देखता है तो किरण को अपने करीब पता है। वो किरण से अनुराग और सलोनी के बारे में पूछता है। किरण बताती है की वो दोनों ऊपर है। महेश्वरी ऊपर पहुच कर कमरों को चेक करता है तो एक कमरे में उसे अनुराग रैना मिल जाता है। वो अनुराग से सलोनी के बारे में पूछता है तो अनुराग बताता है की वो बाथरूम में फंसा हुआ है। अब आग पूरी तरह से भड़क चुकी थी इसलिए महेश्वरी अनुराग को ले कर घर से बहार निकल जाता है। बाहर दमकल विभाग के कर्मचारी आग बुझाने में लगे थे की तभी दीवान कैलाश नाथ फार्म हाउस में पहुचता है। वो महेश्वरी से मिलता है। महेश्वरी उसे सारी बातें बताता है। उसने दीवान साहब को ये बताया की अनिल की लाश अभी तक नहीं मिली दिल्ली से आगरा तक इसके बारे में सुचना जारी कर दिया गया है। फिर दीवान कैलाश नाथ किरण को आपने साथ ले जाने की पेशकश करता है जिसको महेश्वरी थोड़ी न-नुकुर के बाद मान लेता है। वो अनुराग रैना को भी उसी होटल में ठहरने के लिए कहता है जिसमे उसका रूम है। अनुराग रैना मान जाता है। पर महेश्वरी इस पर ऐतराज़ करता है। पर दीवान कैलाश नाथ के आश्वाशन के बाद वो मान जाता है।
दीवान साहब मिस मैनी को फ़ोन करके के किरण की देखभाल के लिए बुलाते हैं। रात को दीवान साहब और महेश्वरी के बिच पुरे केस पर तर्क वितर्क चलता है पर नतीजा कुछ नहीं निकलता।
दृश्य - ६
आगली दिन किरण, मिस मैनी, महेश्वरी और दीवान साहब कॉकटेल बनाने में लगे होते हैं। जब अनुराग रैना रूम में कदम रखता है। दीवान साहब किरण को कॉकटेल की गिलास ले भरा हुआ ट्रे पकड़ते हैं और उसे और अनुराग को बालकनी में जाने को कहते हैं। दीवान साहब, महेश्वरी और मिस मैनी बाकी सामान ले कर रसोई से निकल ही रहे होते हैं की किरण की चीख सुने देती है। सब बालकनी के और दौरते हैं, वो बालकनी से निचे झांकते हैं और नीचे उन्हें अनुराग रैना की लाश नज़र आती है। महेश्वरी किरण पर अनुराग रैना के क़त्ल का इलज़ाम लगते हैं पर दीवान साहब उस इलज़ाम को खारिज कर देते हैं। मिस मैनी महेश्वरी और दीवान साहब को अनुराग की लाश देखने के लिए कहते हैं । महेश्वरी और दीवान साहब नीचे जाते हैं । उनके पीछे पीछे किरण भी जाती है पर लिफ्ट चले जाने के कारण वो सीढ़ियों से जाती है और वह सीढ़ियों पर उसे एक साया नज़र आता है और वो उस साये को पहचान जाती है ......"अनिल"........."अनिल"........"अनिल"?
अब क्लाइमेक्स नहीं सुना सकता.....
बस ये स्क्रिप्ट यही तक सुना सकता हूँ....
किसी निर्माता या निर्देशक ने कहानी का क्रेडिट ले लिया तो....
अनिल कैसे जिन्दा हो गया वो तो यमुना में डूब गया था?
क्या किरण ही कातिल है?
क्या किरण ने ही अपने पिता, माँ और होने वाले पति का खून किया था?
क्या दीवान साहब महेश्वरी के साथ इस ५ कत्लो की गुत्थी को खोल पायेंगे?
इस के लिए पढ़े सुरेन्द्र मोहन पाठक का सनसनीखेज उपन्यास "शक की सुई"।
विश्लेषण: -
मुझे कहानी का आरम्भ बहुत ही सुन्दर लगा। वो अमरजीत खुराना की तृप्ता रैना के साथ की जा रही शैतानियों से थोडा माहौल बदल सा गया था। लेकिन मुझे तब शॉक लगा जब दृश्य २ में महेश्वरी ये बताता है की अमरजीत खुराना का क़त्ल हो गया था और जहर सब के गिलास में था। लेकिन सबसे सस्पेंस भरा दृश्य - ३ में लगा जब तैराकी के प्रोग्राम के दौरान पेड़ गिर जाता है और नाव पलट जाता है। जब अचानक अनिल मेहरा गायब हो जाता है। और उसके लाश न मिलने की सूरत में मैं ये भी सोच रहा था की वो जिन्दा होगा। पूरे उपन्याश में तृप्ता रैना का बार बार कलपना मुझे परेशां भी करता था और हंसी भी दिलाता था। फार्महाउस पर महेश्वरी के द्वारा तृप्ता रैना से पूछताछ के दौरान उसका बेहोश हो जाना। "औरत तेरी माया कोई ना जाने" (यह मेरा विचार है, तो दिल पर मत लीजियेगा) । कार के एक्सीडेंट में तृप्ता रैना की मौत बहुत ही अद्भुत सा लगा। वह जिस प्रकार से कातिल ने टाइम फैक्टर का भरपूर इस्तेमाल किया। लाजवाब था। लेकिन मैंने यमुना हादसे के बाद अचानक ही एक और हादसे की कल्पना नहीं की थी। फिर कुछ देर बाद फार्म हाउस में आग लगने से सलोनी का क़त्ल। पहले और दुसरे क़त्ल में बहुत वक़्त दिया गया था पर दुसरे, तीसरे और चौथे क़त्ल के बीच तो वक़्त दिया ही नहीं गया। एक के बाद एक। यहाँ थोडा सा कहानी में कमजोरी आती है। पाठक सर द्वारा प्रस्तुत हीरो दीवान कैलाश नाथ जी से मेरी बड़ी उम्मीद थी पर उन्होंने सिर्फ mind वर्क किया। बाकी का सारा क्रेडिट तो महेश्वरी ले गया। हाँ हम ७४ साल के हीरो से और आशा भी क्या कर सकते हैं। दीवान साहब और मिस मैनी की बीच की नोक-झोक बड़ी मस्त और शानदार लगी।
पाठक सर ने कहानी को बड़े तेज रफ़्तार में लिखी है।
जो भी कहिये बार बार पढ़ी जाने वाली कहानी है ये।
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