Robin - The Second Story of Maneaters of Kumaon
एक समीक्षा - एक नज़र - एक सारांश - एक सन्देश
हम सबने कभी न कभी मनुष्य और पशु से सम्बंधित कहानी जरूर पढ़ी होंगी। पशु और मनुष्य का रिश्ता बहुत ही अजीब होता है। एक इंसान शिकारी है और वो जानवरों का शिकार करता है । एक इंसान उसी जानवर का शिकार करने के बजाय अपना साथी बनता है, अपने जीवन का अंग बना लेता है। हम सभी ने बचपन में तो एक ऐसे पशु या पक्षी को पाला ही होगा। जब भी किसी के माता-पिता उसके लिए नया पालतू पशु लाते थे तो सबसे पहले हम सारे दोस्तों को बुलाते थे और सोचते थे की इसका नाम क्या रखे। टोनी, हीरा, पीहू, मिट्ठू, मोती, जूली आदि। फिर उसके साथ खेलना । उसको बाहर ले कर घुमाने जाना। सबसे अच्छा चीज जो हम करते थे वो था उसको नई चीज़े सीखना। जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो वो सभी बातें जो उसके लिए आवश्यक होती हैं उसको नहीं सीख सकता। उसी प्रकार जब भी आपके घर में एक पालतू पशु या पक्षी लाया जाता था तो हम उसे नई नई बाते सीखते थे। हो सकता है की आप में से बहुत से महानुभाव अब भी पशु - प्रेम का आनंद उठाते हों।
जिम साहब एक शिकारी थे लेकिन उनका पशु प्रेम भी बहुत प्रसिद्द था। मेरे हिसाब से शिकारी दो प्रकार के होते हैं -
१) जो शौक के लिए शिकार करते हैं।
जैसे की हमने कई ऐसे शिकारियों के बारे में सुना होगा जो सिर्फ शौक के लिए शिकार करते थे। बहुत से राज - महाराजा अपने आप को बहुत गर्वित और सम्मानित महसूस करते थे शिकार करने में। वे निरीह जानवरों का शिकार करते थे। वे उन जानवरों का शिकार करते थे जिनका कोई दोष नहीं होता था, जिनका कोई अपराध नहीं होता था।
२) जो शौक के लिए शिकार तो करते हैं लेकिन उनका शौक उन्ही जानवरों का शिकार करना होता था जो मनुष्य जाति के लिए खतरा बन जाते थे।
जिम साहब भी दुसरे प्रकार के शिकारियों में से थे। उन्होंने उन्ही जानवरों का शिकार किया जो मानव जाति के लिए खतरा बन गए थे। जिन्होंने मानव जाति को अपना दुश्मन बना लिया था। जिनके लिए मानव सिर्फ एक शिकार के रूप में थे जिनका शिकार वे आसानी से कर लेते थे। जिम साहब ने मुख्यतः नरभक्षी बाघों और चीतों का ही शिकार किया और मानव जाति को इनके भय से छुटकारा दिलाया। जिम साहब का शिकारी होने के अलावा उनका पशु प्रेम भी प्रख्यात है।
आज मैं बात कर रहा हूँ उनके पालतू कुत्ते रोबिन के बारे में। रोबिन को जिम साहब ने मात्र तीन रूपये में तब खरीदा जब एक मित्र के साथ निरक्षण के लिए उन्होंने उसे उठाया और उसकी हरकतों ने जिम साहब का दिल जीत लिया। जब जिम साहब ने उसे खरीदा था तो वह ३ महीने का था। जब जिम साहब रोबिन को लेकर आये थे तो उसका नाम "पिंचा" था । जिम साहब ने पहले तो उसे गर्म पानी और साबुन से मल-मल कर नहलाया फिर जिम साहब ने उसका नामकरण अपने एक नौकर के नाम "रोबिन" पर किया जिसने जिम साहब और उनके छोटे भाई की जान बचाई।
जिम साहब ने उसे शुरूआती प्रशिक्षणों में पहले रोबिन को गोली की आवाज की आदत लगाई। जिम साहब रोबिन को लेकर जाते थे और कुछ दुरी से हवा में गोली दागते थे ताकि रोबिन को गोली की आवाज सुनने की आदत लग जाए। जब जिम साहब ने पक्षी का शिकार कर अपने हाथ से पकडे रखा और रोबिन कूद कूद कर अपने हर्ष और उल्लास का उदहारण प्रस्तुत कर रहा था। जब उस पक्षी को जिम साहब ने निचे रखा तो रोबिन ने उसके चारो तरफ चक्कर मार के अपनी ख़ुशी का इज़हार किया। जब एक गर्मियों के यात्रा के दौरान लंगूरों का झुण्ड रोबिन के सामने से गुजर तो रोबिन उनके पीछे भागा। लंगूरों ने फिर आवाज करना शुरू कर दिया ऐसा लगता था की लंगूर अपने आवाज द्वारा कोई संकेत देना चाहते थे। रोबिन लंगूरों का पीछा करते हुए एक घनी झाडी में घुस गया फिर तुरंत ही निकल आया। क्यूंकि उस झाडी में से निकले एक चिता रोबिन के पीछे पड़ चूका था। मैं निहत्था था और चिता रोबिन के पीछे ऐसे दौड़ रहा था जैसे वो हिरन के पीछे दौड़ रहा हो। और रोबिन दौड़ता गया -दौड़ता गया और और पुरे पहाड़ का चक्कर लगाने के बाद वापिस मेरे पास आ गया। इससे शायद रोबिन ने ये शिक्षा ली की लंगूरों का पीछा करना आसान नहीं है और लंगूर अगर इस प्रकार की आवाज करे तो मतलब है की कोई चीता कही आस - पास है।
जिम साहब ने रोबिन को बड़े शिकार पर भी ले जाना शुरू कर दिया। जब जिम साहब किसी नरभक्षी के पीछे लगे होते तो रोबिन उनके साथ होता। रोबिन चीते और बाघों के पंजो के निशान का अनुशरण करते हुए पता लगा लेता था की ये नरभक्षी आस-पास कहा होंगे। जिम साहब ने एक ऐसे ही नरभक्षी चीते के शिकार के दौरान हुए रोबिन के क्रियाकलाप का बहुत ही सुन्दर तरीके से वर्णन किया है। साधारणतया मनुष्य एक रोबिन जैसे कुत्ते की कल्पना कर सकता है अपने पालतू पशु के रूप में या एक ऐसे साथी के रूप में जो उसके साथ रहे इस प्रकार के सफ़र के दौरान।
जिम साहब का रोबिन के साथ का सफ़र बहुत से प्रकार के अनूठे घटनाओ से जुड़े हैं । जिन्हें हम इस कहानी में या आगे आने वाली कहानियों में पढ़ सकते हैं। जिम साहब रोबिन के सन्दर्भ में कहते हैं की मैंने रोबिन को मात्र तीन रूपये में खरीदा था पर आज अगर भारत का सारा स्वर्ण मुझे दे दिया जाए तब भी मैं रोबिन को आपने आप से अलग रखने के बारे में सोच नहीं सकता। आज रोबिन मेरी दिनचर्या का, मेरे जीवन का, मेरे रोमांचक गतिविधियों का जो मैं कुमायूं की इन पहाड़ियों पर करता हूँ उसका अभिन्न अंग बन चूका है।
हम भी जिम साहब जैसी आशा रख सकते हैं और पशु प्रेम का उदहारण दे सकते हैं। कई बार हमारे पास ऐसे कई मौके आते हैं इस आशा को सार्थक करने के।
जिम साहब के रोमांचक किस्से और कहानियों और रोबिन की दोस्ती को सलाम करते हुए विदा लेता हूँ.....
"हैप्पी रीडिंग"
---------
विनीत
राजीव रोशन
Comments
Post a Comment