Skip to main content

आपकी पसंदीदा किताब आपके बारे में क्या कहती हैं?


आपकी पसंदीदा किताब आपके बारे में क्या कहती हैं?


मैं सोच रहा था की क्या हमारी पसंदीदा किताब हमारे व्यक्तित्व के बारे में भी कुछ बयान करती है। मेरे हिसाब से हाँ करती है। सबसे बड़ी बात यह है कि वह हमारी पसंदीदा किताब बनी ही क्यूँ। एक इंसान के लिए किसी भी चीज़ को पसंदीदा बनाने का मतलब होता ही कि उसका तालमेल आपके जीवन के साथ बैठ जाएगा। इसी तरह से अगर आपने किसी पुस्तक को पसंदीदा कहा है तो उसके अन्दर कुछ न कुछ ऐसा होगा जो व्यक्तित्व के बारे में बयान करेगा।

सोचिये, आप कहीं किसी को अपनी पसंदीदा पुस्तक पढ़ते हुए देखते हैं तो आपको ऐसा लगता है जैसे की उसके साथ बहुत पुराना रिश्ता है, ऐसा लगता है जैसे उसके साथ खून का रिश्ता हो। आपके उसके पास जाते हैं और पूछते हैं – “हेल्लो, है न यह एक शानदार नावेल?”। इस तरह आप उससे बात करना शुरू कर देते हैं और अपने दोस्तों की सूचि में एक नया नाम जोड़ लेते हैं जो आप जैसा ही है।

आइये देखते हैं कि अगर निम्न से कुछ किताबें हमारी पसंदीदा होती तो हमारा व्यक्तित्व कैसा होता-


मेरी जान के दुश्मन – आप खौफ से भागने में नहीं उसका सामना करने में यकीन रखते हैं। आप सामाजिक न्याय को फलता फूलता देखना चाहते हैं। छोटे-से-छोटे से शहर में होने वाले किन्हीं मुट्ठी भर लोगों द्वारा हमारी आधारभूत चीज़ों पर यूनियन का ठप्पा लगा कर राज करने वालों को आप पसंद नहीं करते और कोशिश में रहते हैं की इनके खिलाफ खड़ा हुआ जा सके। आप उन लोगों का सामना करना चाहते हैं जो गरीब-गुरबे द्वारा लगाए जा रहे ठेले को अपनी दूकान के सामने से उठा कर फेंक देने में यकीन रखते हैं। आप उस मोहब्बत में विश्वास रखते हैं जो आँखों ही आँखों में हो जाता है।



फिफ्टी-फिफ्टी – आप ऐसे इंसान हैं जो रोमांच और रोमांचक सफ़र पर जाना पसंद करते हैं। आप चाहते हैं की ऐसे सफ़र पर अगर हमसफ़र मिल जाए वह भी कोई हसीन-तरीन मोहतरमा तो यह रोमांचक सफ़र किसी अंत ही न लगे।



तीन दिन – ऐसा लगता है की आपका जन्म एक अलग ही संसार में हुआ है जहाँ कोई भी आप में विश्वास नहीं करता। कोई आपसे या आपके क्रियाकलापों से खुश नहीं है। जिन्दगी में बार-बार आपके साथ धोखा ही हुआ है। आप खुद को एक हवा की तरह बहने देते हैं और इस बात की परवाह नहीं करते की पहले क्या हुआ था और आगे क्या होगा। आप किसी को या किसी से जीतने की कोशिश नहीं करते हैं, जबकि दुनिया खुद आपको जीतने की कोशिश करती है।



मीना मर्डर केस – आप बहुत चालाक हैं, बहुत ही स्मार्ट हैं लेकिन सिर्फ अपने लिए ही हैं क्यूंकि आपका स्मार्ट होना आपकी बेहतरी के लिए जरूरी है। आप उनकी तारीफ करते हैं जो आपकी ही श्रेणी में आता है और आप जैसा ही चालाक और स्मार्ट है। आपका दिन भले ही खराब क्यूँ न हो, आपको किसी काम को जल्दी से जल्दी क्यूँ न करना हो आप हमेशा धैर्य का इस्तेमाल करते हैं।



मैं बेगुनाह हूँ – आप एक अच्छा इंसान बनना चाहते हैं, आप एक बहादुर इंसान बनना चाहते हैं, आप भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना चाहते हैं। आप जानते हैं कि आपका कोई साथ नहीं देने वाला आपको अकेले ही शुरुआत करनी है और अपने समाज की वायरस से मुक्त करना है।



बारह सवाल – आप स्मार्ट हैं लेकिन अगर आपकी स्मार्टनेस के साथ आपके दोस्तों का दिमाग भी लग जाए तो आप अपने जीवन में आये सभी पहेलियों को हल कर सकते हैं। अगर आपको कोई भी पहली दी जाए जो आपकी जिन्दगी और मौत से जुडी हो तो आप उसे हल करने में दिन और रात लगा देंगे। ये आपका दिमाग और आपके दोस्तों का साथ है जो आपको किसी भी कठिन परिस्थिति से बाहर निकाल देगा।



हार-जीत – आपको विश्वास है की जिन्दगी खूबसूरत है और आप उसी तरह से जिन्दगी बिताएंगे लेकिन आपको यह भी पता है कि कोई बुरी घटना आपके जिन्दगी के रास्ते को ही बदल सकती है। आप अपने आप को दोष देते हैं कि यह सब आपके कारण ही हुआ है जबकि यह भी हो सकता है की इसके लिए जिम्मेदार कोई और ही हो और जब आपको इसका पता चलता है तो विश्वास के नाम का धागा टूट जाता है। ऐसे वक़्त में आप धैर्य का सहारा लेते हैं और फिर से पुरानी जिन्दगी में लौटने की कोशिश करते हैं।

ऐसे कई उपन्यास जो आपके पसंदीदा है आपके व्यक्तित्व के बारे में बयान करते हैं। वैसे उपरोक्त उपन्यासों से जो आंकलन किया गया है वह मेरा स्वयं का है और इसके लिए मैंने बिना किसी क्रम के उपन्यासों को उठाया है। फिर भी मैं चाहूँगा की आप सभी अपने पसंदीदा उपन्यासों के नाम लिखे और बताएं की कैसे वह आपके व्यक्तित्व को बयान करता है। आप सभी के विचारों का मुझे इंतज़ार रहेगा। वैसे अगर आप सोच नहीं पा रहे हैं इस बारे में तो बस आईने के सामने खड़े होकर अपने पसंदीदा उपन्यास के बारे में सोचिये आपको पता लग जाएगा की कैसे आपक पसंदीदा उपन्यास आपके व्यक्तित्व से मिलता जुलता है। ध्यान रखिये, अमूमन कहानी का असर पाठक पर नहीं होता बल्कि घटना और किरदार का असर पाठक के व्यक्तिगत जीवन पर होता है।

आभार

राजीव रोशन 

Comments

Popular posts from this blog

कोहबर की शर्त (लेखक - केशव प्रसाद मिश्र)

कोहबर की शर्त   लेखक - केशव प्रसाद मिश्र वर्षों पहले जब “हम आपके हैं कौन” देखा था तो मुझे खबर भी नहीं था की उस फिल्म की कहानी केशव प्रसाद मिश्र की उपन्यास “कोहबर की शर्त” से ली गयी है। लोग यही कहते थे की कहानी राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म “नदिया के पार” का रीमेक है। बाद में “नदिया के पार” भी देखने का मौका मिला और मुझे “नदिया के पार” फिल्म “हम आपके हैं कौन” से ज्यादा पसंद आया। जहाँ “नदिया के पार” की पृष्ठभूमि में भारत के गाँव थे वहीँ “हम आपके हैं कौन” की पृष्ठभूमि में भारत के शहर। मुझे कई वर्षों बाद पता चला की “नदिया के पार” फिल्म हिंदी उपन्यास “कोहबर की शर्त” की कहानी पर आधारित है। तभी से मन में ललक और इच्छा थी की इस उपन्यास को पढ़ा जाए। वैसे भी कहा जाता है की उपन्यास की कहानी और फिल्म की कहानी में बहुत असमानताएं होती हैं। वहीँ यह भी कहा जाता है की फिल्म को देखकर आप उसके मूल उपन्यास या कहानी को जज नहीं कर सकते। हाल ही में मुझे “कोहबर की शर्त” उपन्यास को पढने का मौका मिला। मैं अपने विवाह पर जब गाँव जा रहा था तो आदतन कुछ किताबें ही ले गया था क्यूंकि मुझे साफ़-साफ़ बताया गया थ

विषकन्या (समीक्षा)

विषकन्या पुस्तक - विषकन्या लेखक - श्री सुरेन्द्र मोहन पाठक सीरीज - सुनील कुमार चक्रवर्ती (क्राइम रिपोर्टर) ------------------------------------------------------------------------------------------------------------ नेशनल बैंक में पिछले दिनों डाली गयी एक सनसनीखेज डाके के रहस्यों का खुलाशा हो गया। गौरतलब है की एक नए शौपिंग मॉल के उदघाटन के समारोह के दौरान उस मॉल के अन्दर स्थित नेशनल बैंक की नयी शाखा में रूपये डालने आई बैंक की गाडी को हजारों लोगों के सामने लूट लिया गया था। उस दिन शोपिंग मॉल के उदघाटन का दिन था , मॉल प्रबंधन ने इस दिन मॉल में एक कार्निवाल का आयोजन रखा था। कार्निवाल का जिम्मा फ्रेडरिको नामक व्यक्ति को दिया गया था। कार्निवाल बहुत ही सुन्दरता से चल रहा था और बच्चे और उनके माता पिता भी खुश थे। चश्मदीद  गवाहों का कहना था की जब यह कार्निवाल अपने जोरों पर था , उसी समय बैंक की गाड़ी पैसे लेकर आई। गाड़ी में दो गार्ड   रमेश और उमेश सक्सेना दो भाई थे और एक ड्राईवर मोहर सिंह था। उमेश सक्सेना ने बैंक के पिछले हिस्से में जाकर पैसों का थैला उठाया और बैंक की

दुर्गेश नंदिनी - बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय

दुर्गेश नंदिनी  लेखक - बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय उपन्यास के बारे में कुछ तथ्य ------------------------------ --------- बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखा गया उनके जीवन का पहला उपन्यास था। इसका पहला संस्करण १८६५ में बंगाली में आया। दुर्गेशनंदिनी की समकालीन विद्वानों और समाचार पत्रों के द्वारा अत्यधिक सराहना की गई थी. बंकिम दा के जीवन काल के दौरान इस उपन्यास के चौदह सस्करण छपे। इस उपन्यास का अंग्रेजी संस्करण १८८२ में आया। हिंदी संस्करण १८८५ में आया। इस उपन्यस को पहली बार सन १८७३ में नाटक लिए चुना गया।  ------------------------------ ------------------------------ ------------------------------ यह मुझे कैसे प्राप्त हुआ - मैं अपने दोस्त और सहपाठी मुबारक अली जी को दिल से धन्यवाद् कहना चाहता हूँ की उन्होंने यह पुस्तक पढने के लिए दी। मैंने परसों उन्हें बताया की मेरे पास कोई पुस्तक नहीं है पढने के लिए तो उन्होंने यह नाम सुझाया। सच बताऊ दोस्तों नाम सुनते ही मैं अपनी कुर्सी से उछल पड़ा। मैं बहुत खुश हुआ और अगले दिन अर्थात बीते हुए कल को पुस्तक लाने को कहा। और व