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सेल्फ-पब्लिशिंग (सितारों से आगे जहाँ और भी हैं)





सेल्फ-पब्लिशिंग

कुछ मित्रों के लिए नाम कुछ अनोखा लग सकता है लेकिन आज के समय में यह नाम चिर-प्रचिलित है। आपको याद है, शायद आपने सुना और पढ़ा भी होगा, “Immortals of Meluha (मेलुहा की मृत्युंजय), अमीश त्रिपाठी द्वारा लिखित यह पहली पुस्तक है। बताया जाता है की लगभग २० के करीब नियमित प्रकाशन संस्थाओं ने उनकी पुस्तक को प्रकाशित करने से मना कर दिया। उसके बाद अमीश त्रिपाठी ने पुस्तक को सेल्फ-पब्लिश कराया और जिसका नतीजा आप जानते हैं की वह किताब पाठकों द्वारा हाथों-हाथ ली गयी जिसके कारण इस सीरीज की अगली दो पुस्तक के लिए वेस्टलैंड पब्लिशर ने उनसे १० लाख रूपये का अनुबंध किया। इस बिंदु पर मुझे इकबाल साहब द्वारा लिखित एक ग़ज़ल याद आ गया:-

सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
अभी इश्क़ के इंतेहाँ और भी हैं
तही ज़िंदगी से नहीं ये फ़िज़ाएं
यहाँ सैकड़ों कारवाँ और भी हैं
कनात ना कर आलम-ए-रंग-ओ-बू पर
चमन और भी आशियाँ और भी हैं
अगर खो गया एक नशेमान तो क्या गम
मक़मत-ए-आ-ओ-फुघान और भी हैं
तू शाहीन है परवाज़ है काम तेरा
तेरे सामने आसमाँ और भी है
इसी रोज़-ओ-शब मे उलझ कर ना रह जा
के तेरे ज़मीनो आसमाँ और भी है
गये दिन के तन्हा था मैं अंजुमन में
यहाँ अब मेरे राज़दान और भी हैं

*(तही- Empty, कनात - contentment or satisfaction, आलम-ए-रंग-ओ-बू - world of colour & fragrance, मक़मत-ए-आ-ओ-फुघान- place for crying and sighing)

सेल्फ-पब्लिशिंग को अगर परिभाषित किया जाए तो वह कुछ यूँ होगा – “कोई लेखक जब अपनी पुस्तक को बिना किसी स्थापित प्रकाशकों के हस्तक्षेप के प्रकाशित करता है तो उसे सेल्फ-पब्लिशिंग कहते हैं।” सेल्फ-पब्लिशिंग के द्वारा, पुस्तकों की हार्ड-कॉपी को, निजी प्रकाशित पुस्तकें भी कहा जाता है। इस प्रक्रिया में, लेखक का पुरे प्रोसेस पर कण्ट्रोल होता है। वह अपने हिसाब से पुस्तक का कवर पेज, फॉर्मेट, मूल्य, वितरण का तरीका आदि पर काम कर पाता है। इस क्रिया को वह स्वयं भी कर सकता है या किसी को यह काम करने के लिए सलाहकार के रूप में रख भी सकता है।

वर्तमान समय में, हम सेल्फ पब्लिशिंग को तीनों भागों में बाँटते हैं:-

ई-बुक – अगर आपके पास मैनुस्क्रिप्ट माइक्रोसॉफ्ट वर्ड फॉर्मेट में तैयार है तो ऑनलाइन आपको कई ऐसी वेबसाइट मिल जायेंगी जो आपके कंटेंट को ई-बुक के फॉर्मेट (mobi,epub और पीडीऍफ़) में बदल देंगी। यह एक ऐसी सेल्फ पब्लिशिंग प्लेटफोर्म को जन्म देती है जिसका कोई अंत नहीं है और जिसमे आपका लागत और समय बहुत ही कम लगता है।

प्रिंट-ऑन-डीमांड – यह एक अलग ही प्रकार की पब्लिशिंग है जिसमे जब भी किसी पुस्तक के लिए प्री-आर्डर होगा, वह प्रिंट कर दी जायेगी। यहाँ तक की इस प्रिंटिंग का खर्च, आम प्रिंटिंग के खर्च से बहुत कम भी आता है। कई वेबसाइट और सेल्फ-पब्लिशिंग कंपनियां इस काम को वर्तमान में अंजाम दे रही हैं। वे प्री-आर्डर प्रोसेस का इस्तेमाल करती, तय समय में जितने आर्डर आते हैं, उतने प्रिंट करके पाठकों को कूरियर कर दिया जाता है।

वैनिटी पब्लिशिंग – प्रकाशन के व्यवसाय में, वैनिटी पब्लिशिंग एक अलग ही नज़रिए को जन्म देती है, इसमें कई नामचीन प्रकाशन संस्थान लेखक से कुछ धनराशि लेकर कुछ प्रतियाँ छापने को राजी हो जाती हैं।

रेडिफ.कॉम पर छपे एक आंकड़े को अगर हम देखें तो, भारत में किसी भी प्रकाशन संस्थान को १० से १५ प्रतिशत अधिक मैनुस्क्रिप्ट मिलते हैं, जितना की वे छापते हैं। एक स्थापित प्रकाशक के पास साल में २०००-३००० मैनुस्क्रिप्ट आते हैं लेकिन वे सिर्फ २५०-३०० पुस्तकें ही छाप पाते हैं। इस तरह से हम देखते हैं की सेल्फ-पब्लिशिंग की कितनी सम्भावना बनती है। वहीँ, जिन लेखकों की कृतियों को ये स्थापित प्रकाशन संस्थान रिजेक्ट कर देती हैं, वो फिर अपना रास्ता सेल्फ-पब्लिशिंग की और देखते हैं।

लेकिन, मैं अंतिम बात से सहमत नहीं हूँ, क्यूंकि भारत में सेल्फ-पब्लिशिंग के बारे में लोग जानते ही नहीं हैं। वे तो हताश होकर लिखना छोड़ देते हैं, जब कई बड़े प्रकाशन संस्थानों द्वारा उनकी कृतियों को नकार दिया जाता है। एक बात और भी है, की भारतीय कभी जागरूक होना ही नहीं चाहते हैं। वे अपने लिए एक लक्ष्मण रेखा तैयार कर लेते है की इससे आगे बढ़ना नहीं है और न ही कुछ सुनना है, तो ऐसे में वे इन नयी तकनीकों को कैसे जान पायेंगे। सोचिये अगर, अमीश त्रिपाठी ने हताश होकर अपनी पहली पुस्तक को धुल खाने के लिए रख देता तो क्या होता? सोचिये की अगर ई.एल. जेम्स ने ‘फिफ्टी शेड्स ऑफ़ ग्रे” को सेल्फ-पब्लिश न कराया होता तो दुनिया ऐसी सफल किताबों को कभी पढ़ पाती।

सेल्फ पब्लिशिंग में आ रही सफलता के कारण कई प्रतिष्ठित प्रकाशक भी सेल्फ पब्लिशिंग के मैदान में अब कूद पड़े हैं क्यूंकि उनका मानना है की इसमें भविष्य हैं और आगे बढ़ने की सम्भावना है। पेंगुइन इंडियन अपनी सेल्फ पब्लिशिंग वेबसाइट पार्ट्रिज पब्लिशिंग (partridge publishing) के जरिये, इस मैदान में कूद भी चूका है। वर्तमान में, भारत में कई सेल्फ-पब्लिशिंग हाउसेस और वेबसाइट आ चुकी हैं जिनके जरिये कई नए लेखक आगे बढ़ कर आ रहे हैं जैसे की – pothi.com, पॉवर पब्लिशर्स, Cinnamon Teal, notionpress.com, bluerosepublishers.com, partridgepublishing.com, अमेज़न kindle, फिल्प्कार्ट इबुक, डेलीहंट, onlinegatha.com आदि।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया के लेख में pothi.com की को-फाउंडर, जया झा, बताती हैं की २००८ में जब उन्होंने शुरुआत किया था तो वे हर महीने २-३ किताबें प्रकाशित किया करते थे, जबकि वर्तमान में वे प्रति महिना ६० किताबें ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रकाशित करती हैं। उनका कहना है की pothi.com, किसी भी मैनुस्क्रिप्ट को रिजेक्ट नहीं करती। पॉवर पब्लिशर्स के सेल्स मेनेजर, संचिता बनर्जी, इसी लेख में बताती हैं की उनकी कंपनी मात्र १४ दिन में किताब को प्रकाशित करने के अलावा पुरे भारतवर्ष में उपलब्ध भी करा देती हैं।

आइये मैं आपको कुछ सेल्फ पब्लिशिंग कंपनी के बारे में बताऊँ, जो आगे भविष्य में आपके लिए सहायक सिद्ध होगी:-

  • Notion Press :- मेरे जानकार में, बॉबी सिंह जी की पुस्तक “Did you know Vol.-1” इसी सेल्फ-पब्लिशिंग वेबसाइट से प्रकाशित हुई और आज यह पुस्तक अमेज़न.इन के केटेगरी “फिल्म और टेलीविज़न” के बेस्टसेलर में टॉप १० किताबों में से एक है। इस पब्लिशिंग हाउस के निम्न लिंक को जब आप खोलेंगे और पैकेज टैब पर क्लिक करने पर पायेंगे की यह कंपनी आपको अलग-अलग प्रकार के पैकेज मुहैया कर रहा है जिसके मूल्य निर्धारित हैं। सबसे कम मूल्य का पैकेज २४९९०/- रूपये का है जिसमे वे आपको कई सुविधाएं और टूल्स प्रदान करते हैं जिनका इस्तेमाल पुस्तकों के प्रकाशन में निहायत जरूरी होता है।  यह पब्लिशिंग हाउस पूरी तरह से वैनिटी पब्लिशिंग का उदाहरण है।
          https://notionpress.com/
  • ब्लू रोज पब्लिशर – यह सेल्फ पब्लिशिंग हाउस भी नोशनप्रेस की तरह काम करता है। यहाँ भी आपको कुछ पैकेज दिए जाते हैं जिसका प्रयोग करके आप अपनी पुस्तक को प्रकाशित कर सकते हैं। इसके सबसे सस्ते पैकेज का मूल्य – ८९९०/- रूपये है। जिसमे वे आपको कई टूल्स और सुविधाएं प्रदान करते हैं। यह पब्लिशिंग हाउस भी वैनिटी-पब्लिशिंग और प्रिंट-ऑन-डीमांड का एक उदाहरण है।


  • पार्ट्रिज पब्लिशिंग – भारत की प्रतिष्ठित पब्लिशिंग हाउस पेंगुइन बुक्स ने इस पब्लिशिंग हाउस के जरिये सेल्फ-पब्लिशिंग इंडस्ट्री में पैठ बनाने की कोशिश की है। यह सेल्फ पब्लिशिंग हाउस भी वैनिटी पब्लिशिंग और प्रिंट-ऑन-डीमांड का एक नमूना है। इनका सबसे छोटा पैकेज ३००००/- रूपये से शुरू होता है जिसमे लेखक को वे कई प्रकार की सुविधाएं प्रदान करते हैं।



  • ऑनलाइन गाथा.com – यह सेल्फ पब्लिशिंग वेबसाइट भी प्रिंट-ऑन-डीमांड और वैनिटी पब्लिशिंग को फॉलो करती है। इसका सबसे कम मूल्य का पैकेज ५५५५/- रूपये का है जिसमे ये नोशनप्रेस और ब्लूरोजपब्लिशिंग की तरह लेखकों को कई सुविधाएं प्रदान करता है जिससे लेखक अपनी पुस्तक पर बहुत कम करना पड़ता है।




  • Cinnamon Teal सेल्फ पब्लिशिंग – उपरोक्त पब्लिशिंग हाउस की तरह ही लेखकों के लिए इस प्लेटफार्म पर भी पैकेज उपलब्ध हैं जिसके जरिये वो अपनी पुस्तक को छपवा सकते हैं। ऐसे कई काम जिन्हें करने में लेखक को समय लग सकता है और वह तकनिकी रूप से इसका अभ्यस्त नहीं है तो यह कंपनी लेखक को पुस्तक के प्रकाशित होने से पूर्व और प्रकाशित होने के बाद की कई सुविधाएं देता है जिससे पुस्तक और लेखक दोनों को ही भविष्य में फायदा होता है।



  • Pothi.com :- मेरे जानकार में, जितेन्द्र माथुर जी की पुस्तक “क़त्ल की आदत” इसी प्लेटफार्म के जरिये पहली बार प्रकाशित हुआ था। वहीँ हाल ही में, सोशल मीडिया के जरिये मेरे मित्र बने रमाकांत मिश्र जी की पुस्तक “सिंह मर्डर केस” भी पहली बार pothi.com पर प्रकाशित हुआ है। वेबसाइट पर आपको पूरा प्रोसेस बताया गया है जिसके जरिये आप आसानी से समझ पाते हैं की यह किस तरह से काम करता है। यह वेबसाइट इबुक और प्रिंट-ऑन-डीमांड दोनों ही तरीकों पर काम करता है। जहाँ तक मैं जानता हूँ इस पर पुस्तक प्रकाशित करने पर आपको कोई राशि खर्च नहीं करना पड़ता।


  • डेलीहंट :– यह एक ऐसा प्लेटफार्म है जहाँ आप अपनी पुस्तक को ई-बुक के रूप में प्रकाशित करा सकते हैं। इनके वेबसाइट पर पैकेज आदि के बारे में कोई जानकारी तो नहीं लेकिन लेखक डेलीहंट से संपर्क करके इस प्लेटफार्म पर पुस्तकें प्रकाशित करने का पूरा प्रोसेस जान सकते हैं।


       अगर आपके पास मैनुस्क्रिप्ट तैयार है और आप उसे प्रकाशित करवाना चाहते हैं तो आप इस       प्लेटफार्म अपनी पुस्तक प्रकाशित कराइए। आप उपरोक्त मेल-id पर मेल कीजिये, वे आपसे       संपर्क करेंगे और जितनी भी आवश्यक क्रियाएं होंगी उसके बारे में जानकारी देंगे।


  • अमेज़न kindle :- अमेज़न भी kindle के जरिये, ईबुक को प्रकाशित कर, लेखकों को अपने आप को साबित करने का मौका देता है। kindle के यूजर्स और ईबुक का मुकाबला आज के समय में कोई नहीं कर सकता। kindle आपको तीन प्रकार के सेवायें देता है – Kindle Direct Publishing, KDP Select, CreateSpace kindle डायरेक्ट पब्लिशिंग के जरिये आप अपनी कहानी को ईबुक फॉर्मेट में अपलोड कीजिये और इसके लिए अमेज़न आपको कोई चार्ज भी नहीं करता है। ध्यान रहे की आपके द्वारा अपलोड किये जा रहे ईबुक का फॉर्मेट mobi या epub होना चाहिए। लेखक को किताबों के बिक्री पर ३५ से ७० प्रतिशत तक की रोयल्टी मिल सकती है। इसमें एक बात और है कि kindle पर पब्लिश करने बाद आप उसी किताब को दुसरे प्लेटफोर्म पर भी पब्लिश कर सकते हैं। बाकी के दो सेवाओं के बारे में आप जानकारी निम्न लिंक से जुटा सकते हैं:-



  • सूरज पॉकेट बुक्स – सेल्फ पब्लिशिंग के मामले में आप इस पब्लिशिंग हाउस से भी संपर्क कर सकते हैं। इनके प्रोसेस के बारे में अभी मुझे कोई जानकारी प्राप्त नहीं है लेकिन अगर आप पुस्तक पब्लिश कराना चाहते हैं तो इनसे संपर्क कीजिये, इन्हें अपनी मैनुस्क्रिप्ट भेजिए, अगर इन्हें आपका लिखा पसंद आ गया तो, ये आपकी पुस्तक को प्रकाशित करेंगे। इसके लिए आप श्रीमान शुभानन्द से संपर्क कर सकते हैं।


आशा है, यह लेख उन मित्रों के लिए लाभदायक होगा, जो इंतज़ार कर रहे हैं की कोई बड़ा पब्लिशर उनकी किताब को प्रकाशित कर दे। लेकिन मैं यहाँ कहूँगा, की तकनीक ने आज के समय में इतना प्रगति कर लिया है की आपको प्रकाशकों के ऑफिस में धक्के खाने की जरूरत नहीं है। प्रकाशकों के हाँ या ना का इंतज़ार करने की जरूरत नहीं है। आप स्वयं ही आज के समय में इतने योग्य हैं की, अपनी पुस्तक को प्रकाशित करवा सकते हैं। मैं उम्मीद करता हूँ की यह लेख, मेरे मित्रों और उनके जरिये उनके मित्रों तक पहुंचेगा और वे इस टर्म “सेल्फ-पब्लिशिंग” के बारे में जान पायेंगे।

आभार
राजीव रोशन 

Comments

  1. बहुत - बहुत धन्यवाद ।आपने एक लेखक को निराश होने से बचाया।

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