SMPians, what you should read on Karwa Chauth!
करवा चौथ, उत्तर
भारत में हिन्दू महिलाओं द्वारा मनाये जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। इस
त्यौहार में शादीशुदा (कभी कभी तो कुंवारी या गैरशादीशुदा भी) महिलायें सूर्य उगने
से लेकर चाँद उगने तक का व्रत रखती हैं। वो यह व्रत अपने पति (प्रेमी) की लम्बी उम्र
एवं उसकी सुरक्षा के लिए रखती हैं। लेकिन अगर हम सोशल मीडिया पर इस त्यौहार पर
आधारित जोक्स को एक तरफ कर दें तो एहसास होता है की यह त्यौहार पत्नी का अपने पति
के प्रति, प्रेम और बलिदान को दर्शाता है। एक बात ध्यान देने योग्य है की हमारे
भारतीय समाज में “पति” द्वारा “पत्नी” के लिए ऐसा व्रत रखा जाने का कोई रिवाज नहीं
है। खैर, हमारे भारतीय समाज में ऐसी मानसिकता प्राचीन समय से चली आ रही है जहाँ
महिलाओं का शोषण हर प्रकार से रिवाजों की आड़ में होता आया और आगे भी होता रहेगा।
एक बात मैं बताना चाहूँगा की, ये मैं कह सकता हूँ की महिलाओं का शोषण है लेकिन
महिलायें इस त्यौहार के पलकें बिछाए हुए इंतज़ार करती हैं। अपने पति की लम्बी उम्र के
लिए दुआएं करना एवं व्रत रखना उनके कर्तव्य सूचि में जन्म लेते ही लिख जो दिया
जाता है।
सर सुरेन्द्र मोहन
पाठक जी के उपन्यास सिर्फ रहस्यकथा या अपराधकथा तक ही सिमित नहीं रहते वरन इन
उपन्यास की गहराई में अगर आप जाएँ तो प्रेम, मोहब्बत, त्याग और बलिदान जैसे
भावनाओं को भी देखेंगे। आज हम ऐसे ही कुछ ऐसे उपन्यासों के बारे में बात करेंगे जिसमे
पत्नी या प्रेमिका का किरदार सबसे ऊपर है। हम बात करेंगे के कैसे ये महिलायें अपनी
पति या प्रेमी के प्रति अपने प्रेम का प्रदर्शन करती हैं। भले ही ये किरदार, काल्पनिक
कथा के हैं जो रहस्य और अपराध के दम पर आगे बढती हो लेकिन इन किरदारों और इनकी
कहानियों को अगर भिन्न दृष्टि से देखें तो कुछ अलग ही मूल्यांकन होगा।
१) बीस लाख का बकरा –
जब पति एक बड़े मुसीबत में फंस जाए और उस मुसीबत और परेशानी का सम्बन्ध जब एक
अनैतिक एवं अवैध सम्बन्ध से हो तो ऐसे में भारतीय नारी का जीता जागता किरदार का इस
उपन्यास का एक किरदार प्रस्तुत करता है। पत्नी उसके इस कृत्य को भूल समझकर भूल
जाना चाहती और उसे इस मुसीबत से निकलने में सहायता भी करती है। शायद इसी लिए कहा
गया है की विवाह एक जन्म का रिश्ता नहीं है, यह तो जन्म-जन्मान्तर का रिश्ता है। शायद
इसीलिए नारी को धैर्य की प्रतिमूर्ति भी कहा गया है। इतने बड़े कुकृत्य के बाद भी
अगर पत्नी पति का साथ देती है तो इसे निःसंदेह आगाढ़ प्रेम का ही उदाहरण कहा जाएगा।
2) हज़ार हाथ – इस
उपन्यास के बारे में कहा जाता है की पति और पत्नी के बीच की जिस भावनाओं और भंगिमाओं
को पाठक साहब ने विमल और नीलम के मध्य प्रस्तुत किया है वह देखने योग्य है। मैंने
इस उपन्यास को पढ़ा नहीं है लेकिन जैसा की कुछ मित्रों से सुना इसमें पति-पत्नी के
आदर्श व्यक्तित्व को चरितार्थ किया गया है।
3) तीन दिन – एक अजनबी
इंसान के साथ जब अचानक मोहब्बत हो जाए तो उस अहसास के आगे पूरी दुनिया खत्म नज़र
आती है। कुछ ही ऐसा एहसास इस उपन्यास के एक महिला किरदार को तब हुआ जब उसे लगा की
उसकी मोहब्बत उससे दूर जा रही है। ऐसे में जिस प्रकार से इश्क और मोहब्बत की लुका-छिपी
इस उपन्यास में चलती है वह काबिलेतारीफ है। चाहत और प्रेम का एक अलग ही रूप में इस
उपन्यास के इन दो किरदारों ने प्रस्तुत किया है।
4) मेरी जान के दुश्मन –
कहते हैं की जब नज़रों से नज़रें मिलती है तो मोहब्बत हो जाता है। ऐसे ही कुछ इस
उपन्यास में दो किरदारों के बीच हुआ लेकिन उन्होंने अपने इन जज्बातों को अंत तक
जब्त करके रखा और ऐसा दिखाया जैसे के मालिक और कर्मचारी के बीच ऐसा कोई रिश्ता कभी
पनप नहीं सकता। प्रेम को एक अलग ही परिभाषा देता यह उपन्यास बारम्बार पठनीय है।
5) कागज़ की नाव – इस
बेहतरीन उपन्यास के किरदार भी बेहतरीन हैं और पाठक साहब ने भावनाओं का सागर तो इस
उपन्यास में उड़ेल कर रख दिया है। इस उपन्यास के दो महिला किरदार और उनका अपने
प्रेमी के लिए प्रेम काबिलेतारीफ है। खुर्शीद का लल्लू के लिए दिखाया गया प्रेम, अविरल
प्रेम किसी भी पैमाने और बंधन को तोड़ सकता है। दूसरा किरदार एक विधवा का है जो अंत
तक अपने पति से प्रेम करती रहती है और किसी दुसरे बंधन में बंधती नहीं है।
6) अनोखी रात – इस उपन्यास
की कहानी जितनी मजेदार और रहस्यमयी है वहीँ इस उपन्यास में प्रेम एवं भावनात्मक
पहलु भी बहुत शानदार है। एक इंसान की पत्नी एकाएक एक रात गायब हो जाती है। वह
इन्सान अपनी पत्नी की तलाश में जब निकलता है तो उसे पत्नी के भूतकाल के कालिख का
सामना करना पड़ता है। लेकिन वह इंसान पत्नी के भूतकाल को दरकिनार करके उसकी तलाश
जारी रखता है। यहाँ पति का पत्नी के लिए प्रेम तो नज़र आता ही है लेकिन पत्नी का भी
प्रेम पति के लिए नज़र आता है। पढ़िए फिर इस बात की गहराई में आप पहुँच पायेंगे।
तो दोस्तों, वैसे
मुझे किरदारों और उपन्यासों के नाम याद नहीं रहते हैं लेकिन फिर भी कुछ खिचड़ी पका
ली है। उम्मीद है आप सभी इस “करवा चौथ”, घर पर आराम से बैठ कर इन उपन्यासों का
आनंद लेंगे और अगर आपकी पत्नी एवं प्रेमिका साज-श्रृंगार से फ्री हो जाए तो उन्हें
भी पढने के लिए ये पुस्तकें दे सकते हैं लेकिन अपने रिस्क पर ही। वैसे मेरा मानना
है की प्रेम और विश्वास ही वह धागा है जो किसी भी रिश्ते को अनंत समय तक जिन्दा रख
सकता है।
तो इसी प्रेम और
विश्वास के साथ, हम एसएमपियन के बीच का रिश्ता भी हमेशा कायम रहे, मैं आप सभी को “करवा
चौथ” की शुभकामनाएं प्रेषित करता हूँ। अंत में एक बात जो मैंने थोडा एडिट करके
लिखा है आशा है कोई उसे अन्यथा नहीं लेगा। यह नारी (पत्नी) के प्रति मेरे सम्मान
का एक रूप है|
ॐ या देवी सर्वभूतेषु पत्नी रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।
आभार
राजीव रोशन
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