Millennium and Blast - A view from SMPian
मैं कभी-कभी दुनिया को उस तरीके से देखने की कोशिश करने लगता हूँ जैसा पाठक
साहब के किरदार देखते हैं। कमाल की बात है की ऐसा करने से या करते हुए मेरे दोस्त
अगर देख लेते हैं तो बहुत हँसते भी हैं। लेकिन मुझे उनके इस व्यंग्य से कोई फर्क
नहीं पड़ता है। गत दिनों, पता नहीं कुछ ऐसा ही अनुभव हुआ, सही था या गलत था इसके बारे
में मैं फैसला कभी नहीं कर पाऊंगा।
पिछले दिनों एक फिल्म देखा “The Girl with Dragon Tatto” जिसकी कहानी एक ऐसे
सफल और प्रसिद्द पत्रकार की थी जो “मिलेनियम” नामक मैगज़ीन के लिए कार्यरत था।
पत्रकार, एक खोजी पत्रकार है जो समाज फैली कई गलत गतिविधियों का खुलासा करने के
लिए प्रतिबद्ध है। स्वीडिश पत्रकार एवं मशहूर लेखक स्टिग लार्सन के प्रसिद्द सीरीज
“मिलेनियम” की पहली पुस्तक पर बनी यह फिल्म पूरी तरीके से क्राइम इन्वेस्टीगेशन और
पत्रकारिता पर आधारित है। “मिलेनियम” सीरीज के तीन पुस्तकों The Girl with the Dragon Tattoo,The Girl Who
Played with Fire, The Girl Who Kicked the Hornets'
Nest को विश्वभर ख्याति प्राप्त है और इन पर फ़िल्में भी बन चुकी हैं।
अब सोचने वाली बात यह है कि इसका सम्बन्ध पाठक साहब से कहाँ होता है। इसका
सम्बन्ध पाठक साहब से ऐसा लगा मुझे क्यूंकि इस सीरीज के मुख्य किरदार “पत्रकार” में
मुझे “सुनील” की झलक साफ़ दिखाई देती है। जिस प्रकार से सुनील परत दर परत क्राइम की
तहकीकात करता नज़र आता है वैसे ही यह पत्रकार भी करता नज़र आता है। जिस प्रकार से “ब्लास्ट”
एक ऐसे जिम्मेदार अखबार के रूप में उभरा है जो दुनिया को सही और सटीक जानकारी देता
है और कभी भी किसी दबाव में आकर अपने न्यूज़ को दबाने की कोशिश नहीं करता वैसा ही
कुछ “मिलेनियम” मैगजीन भी करता है। खैर, मेरे लिए ये कहना मुश्किल है की क्या
स्टिग लार्सन ने पाठक साहब से प्रेरणा लिया था इस किरदार के लिए या यह उनके अन्तः
मन और चेतना की प्रेरणा थी। मुझे दूसरी बात सही लगती है क्यूंकि लार्सन खुद एक
पत्रकार थे और उन्होंने जीवन भर महिलाओं के शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद करके रखा था।
“ब्लास्ट” और “सुनील” एक ऐसी प्रेरणा हैं जो किन्हीं वास्तविक और काल्पनिक कहानी
के लिए प्रेरणा साबित हो सकते हैं। आज भी हम “ब्लास्ट” जैसे अखबार की कल्पना मात्र
ही कर सकते है क्यूंकि प्रिंट मीडिया में अभी भी ऐसे लूप होल्स है जो भविष्य में
भी रहेंगे ही। उसी तरह “सुनील” जैसा किरदार मिल पाना भी कल्पना मात्र ही है। मैं
उसके आदर्श व्यक्तित्व को छोड़ कर, अगर सिर्फ पत्रकारिता के लिए किये गए योगदान पर
गौर करूँ तो सोचता हूँ क्या कोई ऐसा था या क्या कोई ऐसा होगा क्यूंकि वर्तमान में
तो मुझे ऐसा कोई नज़र नहीं आता है।
हालांकि यह प्लेटफार्म तो पाठक साहब से सम्बंधित बातें करने का ही है लेकिन
फिर भी अगर मुझसे किसी सलाह की उम्मीद की जाए तो बेशक मैं स्टिग लार्सन द्वारा
लिखित उपरोक्त उपन्यासों पर आधारित फिल्मों को देखने की सलाह जरूर दूंगा। पुस्तकों
को पढने के बारे में मैं कुछ कहने में असमर्थ हूँ क्यूंकि मैंने उसे पढ़ा नहीं है। मेरा
जोर इस लेख द्वारा सिर्फ और सिर्फ “ब्लास्ट” और “सुनील” के किरदार पर था।
अगर किसी को लगे की यह पाठक साहब से अलग लिखा गया है तो कृपया मुझे जरूर बताएं,
मैं पुनः इसे हटा लूँगा।
आभार
राजीव रोशन
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