रूही दिल्ली की मशहूर कैब्रे डांसर थी जिसका डांस देखने के लिए शहर के लोग बार-बार जाते थे। इन कुछ खास कद्रदानों में पाठक साहब और इंस्पेक्टर अमीठिया भी थे। रूही परेशान थी और एक समस्या की समाधान के लिए वह पाठक साहब के पास जाती है लेकिन अपनी समस्या का खुलासा नहीं करती। अपनी समस्या का बखान करने के लिए वह रात ८ बजे अपने फ्लैट पर पाठक साहब और अमीठिया से मुलाक़ात का वक़्त मुक़र्रर करती है।
पाठक साहब पुरे दिन इंस्पेक्टर अमीठिया से मुलाक़ात नहीं हो पाती लेकिन जब वह तय वक़्त पर रूही के फ्लैट पर पहुँचते हैं तो वहां उन्हें पुलिस का हुजूम मिलता है और इंस्पेक्टर अमीठिया से भी मुलाक़ात होती है। इंस्पेक्टर अमीठिया से उन्हें पता चलता है की रूही ने आत्महत्या कर लिया है। रूही अपनी परेशानी बता पाने से पहले ही इस दुनिया से रुखसत हो जाती है।
क्या परेशानी थी रूही को? क्यूँ उसे लगता था की उसका जीवन खतरे में है? उसे किस बात का डर सता रहा था? ये सभी सवाल पाठक साहब के दिमाग में चकरघिन्नी की तरह घूम रहे थे।
पाठक साहब को दिन में इंस्पेक्टर अमीठिया के मातहत सब-इंस्पेक्टर आर.एल. श्रीवास्तव से मुलाक़ात होती है जो बताता है की रूही की टांग दिल्ली के मशहूर हस्ती प्रकाशचंद के क़त्ल में फंसी हुई है। और वृहद् पूछताछ पर पता चलता है की जहाँ प्रकाशचंद का क़त्ल हुआ उस कमरे कि चाबी पर रूही के उँगलियों के निशान प्राप्त हुए थे जबकि रूही का कहना था की अपनी जिन्दगी में वह कभी उससे मिली नहीं थी। प्रकाशचंद के क़त्ल का शक रोशन खुराना नाम के करोड़पति सेठ पर भी किया जा रहा था क्यूंकि उसकी बीवी कल्पना खुराना का प्रकाशचंद से ताल्लुकात थे।
प्रकाशचंद का क़त्ल किसने किया और क्यूँ किया? क्यूँ पुलिस को कोई ऐसा सबूत नहीं मिल पाया की रूही या रोशन खुराना को उसके क़त्ल के लिए गिरफ्तार कर सके। क्या सच ही रूही ने आत्महत्या की थी जो की प्रकाशचंद का क़त्ल करने के बाद उसका पश्चाताप था। कैसे हत्या-आत्महत्या और घात-प्रतिघात से लबरेज यह कहानी आपको मुतमुइन कर देगी, यह तो आपको इस कहानी को पढने पर ही पता चल पायेगा।
एक ऐसी लघुकथा जिसमे रहस्य-रोमांच और सस्पेंस का बेहतरीन तड़का है और साथ ही आपको एक्स्ट्रा डोज में मिलेगा पाठक साहब के इनवेस्टिगेटिव दिमाग से मिलने का मौका। कैसे तथ्यों को, घटनाओं को, रहस्यों को एक साथ जोड़कर उन्होंने सभी रहस्यों पर से पर्दा उठा दिया।
कहानी का इबुक लिंक- http://
सर सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के कहानियों का संग्रह इबुक के रूप में प्रकाशित हो चूका है। आप उसका भी आनंद उठा सकते हैं।
संपूर्ण कथा साहित्य लिंक वॉल्यूम १ -http://
संपूर्ण कथा साहित्य लिंक वॉल्यूम २ -http://
नोट- लघुकथा का छायाचित्र ‘राजीव रोशन’ जी द्वारा बनाया गया है जिसका किसी भी प्रकार का व्यावसायिक प्रयोग प्रतिबंधित है| छायाचित्र के लिए चित्रों का प्रयोग गूगल इमेज सर्च दवरा लिया गया है|
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