Skip to main content

Posts

Showing posts from 2015

SMPian, What you should read on Halloween!

हेलोवीन स्पेशल (What you should read on Halloween) दोस्तों, अंग्रेजों के जाने के बाद, हमारे देश में जो सबसे बड़ा विकास हुआ – वह था अंग्रेजी का फलना-फूलना। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान अधिकतर भारतियों ने अंग्रेजी शिक्षा को इसलिए ग्रहण किया ताकि अपनी भावनाओं को उनको सभी सही से समझा सके। इसका सबसे बड़ा फायदा यह हुआ की हम आज़ाद हैं। तो आज हम अंग्रेजों द्वारा बनाई गयी अंग्रेजी से विकास की सीढ़ी चढ़ते हुए पुरे विश्व भर में चर्चा का विषय बने हुए हैं। कहने को ही अब हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी है जबकि हमारे देश में ८०-८५% काम अंग्रेजी के भरोसे ही चलती है। FICCI या CII की कई कांफ्रेंस को देख लीजिये जो हमारी देश की अर्थव्यवस्था के विकास में काम करती है, वहां सभी जाने-माने महानुभाव अंग्रेजी में ही बात करेंगे। वैसे मैंने देखा है की हिंदी की दुर्दशा दुसरे भाषाओं से ज्यादा हो गयी है। भारत के कई राज्यों में वहां की मूल भाषा में ही सभी सरकारी संवाद होते हैं लेकिन चूँकि दिल्ली राजधानी है इसलिए यहाँ अंग्रेजी पर ज्यादा जोर दिया जाता है। खैर, विदेशों में बड़ा ही मनोरंजक एक त्यौहार मनाया जाता है जिस...

SMPians, what you should read on Karwa Chauth!

SMPians , what you should read on Karwa Chauth! करवा चौथ, उत्तर भारत में हिन्दू महिलाओं द्वारा मनाये जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। इस त्यौहार में शादीशुदा (कभी कभी तो कुंवारी या गैरशादीशुदा भी) महिलायें सूर्य उगने से लेकर चाँद उगने तक का व्रत रखती हैं। वो यह व्रत अपने पति (प्रेमी) की लम्बी उम्र एवं उसकी सुरक्षा के लिए रखती हैं। लेकिन अगर हम सोशल मीडिया पर इस त्यौहार पर आधारित जोक्स को एक तरफ कर दें तो एहसास होता है की यह त्यौहार पत्नी का अपने पति के प्रति, प्रेम और बलिदान को दर्शाता है। एक बात ध्यान देने योग्य है की हमारे भारतीय समाज में “पति” द्वारा “पत्नी” के लिए ऐसा व्रत रखा जाने का कोई रिवाज नहीं है। खैर, हमारे भारतीय समाज में ऐसी मानसिकता प्राचीन समय से चली आ रही है जहाँ महिलाओं का शोषण हर प्रकार से रिवाजों की आड़ में होता आया और आगे भी होता रहेगा। एक बात मैं बताना चाहूँगा की, ये मैं कह सकता हूँ की महिलाओं का शोषण है लेकिन महिलायें इस त्यौहार के पलकें बिछाए हुए इंतज़ार करती हैं। अपने पति की लम्बी उम्र के लिए दुआएं करना एवं व्रत रखना उनके कर्तव्य सूचि में जन्म लेते...

इश्कियापा - by - पंकज दुबे

समीक्षा - इश्कियापा (उपन्यास) लेखक – पंकज दुबे * Spoiler Alert * इश्क, मोहब्बत, प्रेम और चाहत उस भ्रष्टाचार की तरह है जो इंसान के आँखों पर पर्दा डाल देता है जिसके बाद इंसान अपने लक्ष्य की तरफ से मुहं मोड़ लेता है। कहते हैं की प्यार अँधा होता है, बात बिलकुल सौ टके की है और सही भी है। इश्क में डूबने के बाद इंसान को दुसरे के सिर्फ खूबियाँ ही खूबियाँ नज़र आती हैं। और अगर गलती से, गौर फरमाइयेगा, गलती से कुछ खामियां नज़र आ गयी तो उसे ढकने की कोशिश भी बहुत मोहब्बत के साथ करता है। सर सुरेन्द्र मोहन पाठक के एक किरदार सुधीर कोहली द्वारा बोला गया एक संवाद है :- “आदमी का प्यार में पड़ना और सीढियों से गिरना एक ही बात है ; दोनों खतरनाक एक्सीडेंट हैं जिन से हर हाल में बचने की कोशिश करनी चाहिए।” इस संवाद को “इश्कियापा” का मुख्य किरदार लल्लन झा चरितार्थ करता है। “इश्कियापा” एक सामान्य सी प्रेम कहानी है ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्यूंकि ऐसी प्रेम कहानियां कई बार हिंदी फिल्मों में देख चुके हैं। एक गरीब घर लड़का और एक अमीर घर लडकी एक दुसरे से मोहब्बत कर बैठते हैं जिसमे खलनायक की तरह लड़की...

द कलर्स ऑफ़ मर्डर (The Colors of Murder) - Part 3

द कलर्स ऑफ़ मर्डर भाग-3 सर सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के कई उपन्यासों पर ध्यान दिया जाए तो उससे हमें यह पता चलता है की किसी अमुक और अजनबी लाल रंग के धब्बे का जब परिक्षण किया जाता है तो उससे सिर्फ ब्लड ग्रुप के बारे में जानकारी मिलती है जिसके आधार पर सस्पेक्टस को धीरे-धीरे एलिमिनेट किया जाता है। लेकिन हम कभी यह नहीं जान पाते की किसी अमुक लाल रंग के धब्बे से या खून के धब्बे से कैसे ब्लड ग्रुप की जानकारी निकाली जा सकती है। ‘द कलर्स ऑफ़ मर्डर’ के पिछले दो भाग हमें फॉरेंसिक विज्ञानं में खून के एनालिसिस द्वारा कई महत्वपूर्ण जानकारी निकालने का तरीका बताते हैं। पहले किसी भी इन्वेस्टिगेटर का यह लक्ष्य होता है की जो अमुक धब्बा है वह खून है की नहीं। इसके दो टेस्ट के बारे में हमने बात किया था। एक टेस्ट तो मौकाए-वारदात पर ही संपन्न किया जाता है लेकिन लैब में भी दुसरे टेस्ट द्वारा यह गारंटी ली जाती है की जो परिणाम मौकाए-वारदात पर किये गए टेस्ट के दौरान आया वह सही है की नहीं। अगर परिणाम सही आता है तो अगले कदम के तौर पर यह निर्धारित किया जाता है की अमुक खून मनुष्य का है या जानवर का। इस...

चन्द्रगुप्त (नाटक) - लेखक - जय शंकर प्रसाद

समीक्षा - चन्द्रगुप्त (नाटक) लेखक – जय शंकर प्रसाद मैंने कभी भूतकाल का सफ़र नहीं किया लेकिन इतने वर्षों की दुनियादारी देखने के बाद, कई पुस्तकों को पढने के बाद, कई प्रकार के अनुभवों को प्राप्त करने के बाद, मेरा मानना है की प्राचीन समय में पुस्तकें सिर्फ ज्ञान का श्रोत हुआ करती थी। जितने भी प्रकार की पुस्तकें थी सिर्फ वह विद्या-अध्ययन एक लिए ही प्रयोग की जाती थी। उस समय कहानियों की पुस्तकों का चलन नहीं था। मेरा सोचना है की उस समय कहानियां या कथाएं जो लोगों को मनोरंजन प्रदान करती थी और साथ ही साथ सिक्षा देती थी वह लोगों द्वारा ही सुनाई जाती थी। यूँ कथाएं एवं कहानियां बांचना वर्तमान में दादियों और नानियों के पास ही रह गया, उसमे भी ऐसी दादियों और नानियों के पास ही जिन्होंने टेलीविज़न नामक भूत को अपने साथ नहीं चिपका लिया है। मेरी एक महिला मित्र ने कुछ दिनों पहले एक बात कही की अपने आप पर किसी को भी इतना हावी मत होने दो की वह आपकी मौलिकता को ही समाप्त कर दे। सत्य बात है, आज के समय के माताएं बच्चों को कहानियां नहीं सुनाती बल्कि यह बताती हैं की कौन सी मूवी इस हफ्ते रिलीज़ हुई है और ...

वन वे स्ट्रीट (लेखक - सुरेन्द्र मोहन पाठक)

वन वे स्ट्रीट (सुधीर कोहली सीरीज #13) समीक्षा  *स्पॉयलर अलर्ट * एक लम्बे अंतराल के बाद ऐसा कुछ पढने को मिला जो पहले नहीं पढ़ा था। मुझे पाठक साहब को पढ़ते पढ़ते काफी अरसा हो गया लेकिन इतने वक़्त में मुझे जितना दीवाना सुधीर सीरीज ने बनाया वह काम कोई और नहीं कर सका। सुधीर कोहली एक प्राइवेट डिटेक्टिव है, लेकिन एक इंसान, एक साधारण इंसान जो हम आज के समाज में देखते हैं वह सुधीर कोहली जैसा ही होता है। भ्रमित मत होइये, समझाता हूँ। एक साधारण इंसान को जब हम देखते हैं तो हमारे मन में उसके लिए कई प्रकार के भाव आ जाते हैं, जैसे की – यह चेहरे से तो बहुत भोला है लेकिन होगा नहीं, बहुत बड़ा धोखेबाज होगा, अरे उस स्त्री को कैसे देख रहा है, ओह इसे धन का कितना लालच है की पानी वाले को एक रुपया ज्यादा भी नहीं देना चाहता आदि। एक मनुष्य के अन्दर की जितनी खामियां हमारे पूर्वज हमें बता गए हैं वह सभी खामी, वह सभी अवगुण, वर्तमान समय में हर मनुष्य के अन्दर विद्यमान हैं। अगर आपको लगता है की आप वैसे नहीं हैं तो आप खुद को मुर्ख बना रहे हैं। सुधीर कोहली भी ऐसा ही इंसान है इसलिए उसके किरदारों वाले उप...