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झेरी हत्याकांड - Find out the murderer

झेरी हत्याकांड - Find out the murderer

गौरीशंकर जालान न जाने कैसा शख्स था। हर कोई उसकी मौत की तमन्ना लिए बैठा था। वैसे तो वह प्रसिद्ध उद्योगपति था लेकिन ४ साल से वह झेरी में अपनी नवयुवा पत्नी भावना के साथ बसा हुआ था। गौरीशंकर जालान को दो बार दिल का दौरा पड़ चुका था और तीसरे के आते ही वह भगवान् का प्यारा हो जाने वाला था। गौरीशंकर जालान के घर में पदमा नाम की नर्स भी रह रही थी जो उसकी तंदरुस्ती के हिसाब से उसके देखभाल का काम देखती थी। वैसे पदमा का काम सिर्फ नर्स के काम तक ही सिमित नहीं था वह तो भावना पर भी नज़र रखती थी। गौरीशंकर जालान की तंदरुस्ती का ख्याल रखते हुए राजनगर के एक बड़े डॉ. रुस्तम जरीवाला ने लोकल डॉ. निर्मल पसारी को नियुक्त किया था जो कि प्रतिदिन जालान के तंदरुस्ती का मुआयना किया करता था।

लेकिन कहते हैं न जिसकी आनी होती है आ के ही रहती है। मौत और ग्राहक के आने का कोई समय नहीं होता। जब धरती पर ईश्वर द्वारा मुक़र्रर किया गया समय आपके लिए समाप्त होता है तो यमराज आपको दुसरे लोक ले जाने के लिए आ ही जाता है। ऐसा ही कुछ गौरीशंकर जालान के साथ हुआ जब सोते-सोते ही वह चिरनिंद्रा की ओर अग्रसर हो गया। सबसे पहले भावना ने जालान को मृतावस्था में देखा फिर डॉ. पसारी ने आकर उसकी तस्दीक और मृत्यु प्रमाणपत्र में मौत का कारण नींद में अचानक आये दिल के दौरे को बताया।



लेकिन कहानी यहीं खत्म हो जाती तो बात अलग होती और सब कुछ अच्छा-अच्छा हो जाता। लेकिन अगर सब कुछ अच्छा –अच्छा हो जाता तो पाठक साहब इस उपन्यास को सुनील सीरीज के अंतर्गत लिखते ही नहीं। अब जनाब अगर सुनील सीरीज के अंतर्गत है तो उसमे क़त्ल होना तो लाजमी है। तो गौरीशंकर जालान के केस में क़त्ल हुआ था या यह साधारण मौत थी।

जालान की नर्स पदमा ने ब्लास्ट में फ़ोन करके सुनील से बात करने की इच्छा जताई और कारण में यह बताया की गौरीशंकर जालान की मौत साधारण नहीं था बल्कि वह एक क़त्ल था। अब, ब्लास्ट एक दैनिक अखबार, कैसे इस स्कैंडल जैसे बयान को अपने हाथों से जाने देता। झट सुनील झेरी पहुंचा और और नर्स पदमा से बात की। पदमा की बात से सुनील को थोडा बहुत यकीन हो गया की गौरीशंकर जालान के मौत में जरूर कुछ भेद है। झट पुलिस को बुलाया गया और लाश को पोस्टमॉर्टेम के लिए भेजा गया जिससे यह पता चला की गौरीशंकर जालान की मौत नीद की गोलियां अधिक मात्रा में खाने के कारण हुई है। मतलब, अगर दो और दो को जोड़ कर पांच की तरह सोचें तो क़त्ल हुआ था। मतलब सुनील भाई मुल्तानी ने साधारण सी मौत वाले केस में अपना हाथ डाला और वह क़त्ल का केस बन गया। अब, जनाब सुनील चक्रवर्ती, ब्लास्ट के क्राइम इन्वेस्टीगेशन रिपोर्टर ने अपनी पड़ताल शुरू कर दी।

पदमा से सुनील को बड़ी खतरनाक जानकारी मिली जिसके अनुसार पदमा सीधे सीधे जालान के क़त्ल के लिए कातिल भावना को जिम्मेदार ठहरा रही थी और उसके लिए उसने कई तर्कपूर्ण सबूत भी पेश किये। पदमा ने बताया की एक तय समय पर जालान साहब को एस्पिरिन की गोलियां खानी होती थी जो कि उनके दिल के बिमारी के कारण डॉ. ने खाने के लिए दिया था। लेकिन उनको एस्पिरिन की गोलियों की जगह नींद की गोलियां दे दी थी जिसके कारण नींद में उनकी चल-चल हो गयी। गोलियों को बदलने का साफ़ मौका सिर्फ भावना के पास ही था क्यूंकि नर्स उस दिन उस वक़्त झेरी मार्किट गयी थी। सुनील ने भावना से भी मुलाक़ात की तो उसे पता चला की वह जालान के मौत की तमन्नाई तो थी लेकिन उसने उसका क़त्ल नहीं किया। सुनील को यह भी पता चला की भावना और डॉ. निर्मल पसारी के मोहब्बत के चर्चे झेरी के गली गली में आम होते हैं। सुनील को यह भी पता चला की अगले दिन जालान अपने वकील से मिलने राजनगर जाने वाला था और अपने वसीयत में कुछ बदलाव करवाने वाला था। लेकिन उससे पहले उसकी एक मुलाक़ात किसी से राजनगर में ही होने वाली थी। पुलिस ने शक के बिना पर भावना को गिरफ्तार कर लिया।

सुनील ने और पड़ताल किया तो उसे पता चला की जालान ने किसी पी.एस. को एकमुश्त बड़ी रकम दी थी। जो की एक ब्लैकमेल की ओर इशारा कर रही थी। चेक बुक के अध्ययन से यह भी पता लग रहा था की पदमा ने जालान के जालसाजी की थी और धोखे से कुछ धन हडपे थे।

खैर इसमें कोई दो राय नहीं की सुनील आखिरकार असली कातिल को खोज ही निकालेगा जैसा की अमूमन सभी उपन्यासों में वह करता है लेकिन यहाँ सोचने वाली बात यह बनती है की भावना या पदमा में से किसने क़त्ल किया होगा जबकि दोनों के ही कातिल न होने का दम सुनील भाई मुल्तानी भर रहा था। इस केस में वैसे ही दो सस्पेक्ट थे और दोनों ही के सस्पेक्ट होने पर सुनील का एतबार नहीं बन रहा था। तो क्या जालान ने आत्महत्या किया था। एक यह भी कोण था लेकिन किस उद्दयेश के बिना पर उसने आत्महत्या करने की सोची वह भी खोज का विषय है। शायद, पी. एस. नाम का कोई व्यक्ति खोज निकाला गया तो उसको भी सस्पेक्ट के दायरे में खड़ा किया जा सकता है। क़त्ल कैसे हुआ, कब हुआ, किस तरीके से हुआ और क्यूँ हुआ वे बहुत ही मामूली बात है इस उपन्यास में लेकिन क़त्ल किसने किया यह सबसे बड़ा प्रश्न है ( अगर जालान का क़त्ल हुआ है तो)।

अच्छा, अगर आप कहानी पढ़ रहे हों तो जरा गौर से पढ़े खासकर तब जबकि नींद की गोलियों और एस्पिरिन की गोलियों की बात चल रही हो। इस उपन्यास में कातिल कौन है इसके बारे में जानने का सबसे आसान तरीका है की आप सुनील की तहकीकात और उसके दौरान पूछे गए प्रश्नों को बड़े गौर से पढ़ें। कहानी क्यूंकि झेरी से सम्बंधित है और वहां बसे एक बड़े उद्योगपति के क़त्ल की है तो इस उपन्यास का नाम “झेरी हत्याकांड” रखना रुचिकर लगता है। सुनील के साथ रमाकांत, अर्जुन और प्रभुदयाल की समार्ट टॉक दिल को लुभाती है तो वहीँ लम्बे-लम्बे प्रसंग थोडा सा निराश करते हैं। लेकिन तहकीकात के दौरान इससे भी लम्बे लम्बे प्रसंग होते हुए देखा गया है।

कहानी एक छोटे से कैनवास में उकेरा गया है जिसमे झेरी के भौगोलिक स्थिति को खूबसूरती से चित्रित किया गया है। सभी किरदार आसपास के ही नज़र आते हैं। एक धनवान बुढा पति और उसकी नौजवान पत्नी जिसके गहरे ताल्लुकात पति को देखने आने वाले डॉ. से हैं। इस बात की खबर नर्स को भी है जो घर में ही रहती है और जिसके सम्बन्ध अपने मरीज से बहुत ही मधुर हैं। पति का मौत होती है और उस मौत को साधारण मौत की जगह क़त्ल का खिताब नर्स द्वारा दिया जाता है जो की वेतनभोगी है, न की मरीज की कोई रिश्तेदार।

सुनील को इस कहानी में पाठक साहब ने अच्छा फिट किया है। सर सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के कलम से निकला यह १९८ वां शाहकार था जो की सुनील सीरीज का १०३ वां उपन्यास था। यह उपन्यास अक्टूबर १९९५ में छपा था। यह उपन्यास अपने असाधारण नाम एवं अविश्सनीय रहस्य और रोमांच के लिए जाना जाता है। इस उपन्यास की खासियत “हाउ डन इट” के बजाय “हु डन इट” है और पूरा उपन्यास इसी बात पर केन्द्रित है। आशा है अगर आप सभी इस उपन्यास को पढेंगे तो जरूर इसका जायका आप सभी को पसंद आएगा।

आशा है मेरी यह छोटी सी कोशिश आप सभी को पसंद आई होगी। अपने सकारात्मक एवं नकारत्मक विचार मुझसे जरूर साझा करें क्यूंकि इसकी मुझे तो बहुत जरूरत है।



आप निम्न लिंक से इस पुस्तक को इबुक में पढ़ सकते हैं - http://ebooks.newshunt.com/Ebooks/default/Jheri-Hatyakand/b-52078

आभार
राजीव रोशन 

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