Belly Dance in SMP Novels
“सिल्विया दिल्ली में जैसे आसमां से टपकी थी। आरम्भ में उसकी खूबसूरती और नौजवानी का दिल्ली में किसी ने रोब नहीं खाया था लेकिन एक बार उसका बैली डांस वाला टेलेंट नुमायाँ होने की देर थी कि लोग उसके दीवाने हो गए थे। पहली बार उसकी गोरी चमड़ी का रोब खाकर दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल मौर्य ने उसे अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया था। अपनी पहली परफॉरमेंस के साथ ही मिस सिल्विया ग्रेको हिटहो गयी थी। सिल्विया का बैली डांस देखने लोग होश में आते थे और बिना पिए होश खोकर जाते थे।”
“सिल्विया दिल्ली में जैसे आसमां से टपकी थी। आरम्भ में उसकी खूबसूरती और नौजवानी का दिल्ली में किसी ने रोब नहीं खाया था लेकिन एक बार उसका बैली डांस वाला टेलेंट नुमायाँ होने की देर थी कि लोग उसके दीवाने हो गए थे। पहली बार उसकी गोरी चमड़ी का रोब खाकर दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल मौर्य ने उसे अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया था। अपनी पहली परफॉरमेंस के साथ ही मिस सिल्विया ग्रेको हिटहो गयी थी। सिल्विया का बैली डांस देखने लोग होश में आते थे और बिना पिए होश खोकर जाते थे।”
साहेबान, मेहरबान, कद्रदान और इसे पढने वाले पाठकगण, वैसे मैं तो अभी जीवन की
पहली कक्षा का ही छात्र हूँ और इसका एहसास अधिकतर मुझे तब होता जब मैं सुधीर सीरीज
के उपन्यास पढने लगता हूँ। “बैली डांस” कोई डांस का प्रकार भी होता है इसकी
जानकारी मुझे बिलकुल भी नहीं थी जब तक की सुधीर सीरीज के एक उपन्यास में मैं सिल्विया
ग्रेको से नहीं मिला था। पाठक साहब के सदके मुझे डांस के इस प्रकार की जानकारी
मिली थी। वैसे आपके खादिम, राजीव रोशन को कभी, साक्षात डांस के इस रूप के दर्शन
नहीं हुए हैं। लेकिन कामना है की भविष्य में जब इस डांस के फॉर्म को रूबरू देख
लूँगा तो जीवन की पहली कक्षा को पास कर ही जाऊँगा।
दोस्तों, इन्टरनेट से मिली कुछ जानकारियों को अगर आप सभी के साथ साझा करूँ तो आपको
बताना चाहूँगा की बैली डांस मिडिल ईस्ट का बहुत ही पुराना फोल्क डांस है। पता नहीं
यह तुलना सही भी होगी की नहीं लेकिन कला तो कला है। जैसे हमारे देश में कत्थक और
कथकली को प्रसिद्धि प्राप्त है उसी तरह से मिडिल ईस्ट में बैली डांस को लोकप्रियता
प्राप्त है। मिडिल ईस्ट में सामाजिक कार्यक्रमों एवं कई लोकहित आयोजनों के दौरान
इस डांस का प्रदर्शन किया जाता है। वहीँ जब इस डांस का प्रदर्शन व्यावसायिक स्तर
पर किया जाता है तब मिडिल ईस्ट के लोग उसे “हराम” समझते हैं क्यूंकि उसमे अंग
प्रदर्शन को अधिक तरजीह दी जाती है।
ऐसा नहीं है की यह कला सिर्फ और सिर्फ मिडिल ईस्ट तक ही सिमित है बल्कि
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और तुर्की जैसे देशों में भी इस डांस को
लोकप्रियता प्राप्त है। मैंने भारत में भी कुछ ऐसे कलाकारों को देखा है जो बैली
डांस करते हैं। अगर आप सभी टेलीविजन पर टेलीकास्ट होने वाले कुछ डांस रियल्टी
प्रोग्राम देखे हों तो आपकी यादें ताजा हो जायेंगी। वैसे विश्व भर में बैली डांस को
सिखाने के लिए डांस स्कूल भी खुले हुए हैं। वैसे बैली डांसर्स की व्यावसायिक रूप
में विदेशों में बहुत मांग है। कई महंगे होटल और डिस्को भी इस कला के प्रदर्शन से
अछूते नहीं रहे हैं।
खैर आपके खादिम को कब इस कला को रूबरू देखने का फक्र हासिल होगा इसका तो पता
नहीं है। लेकिन अगर सुधीर की नज़रिए से देखूं तो गर सिल्विया ग्रेको इस कला को
प्रस्तुत करे तो दिल, कलेजा, गुर्दे सब कुर्बान कर दूंगा। सिल्विया ग्रेको से पहली
बार सुधीर की मुलाक़ात “मलिका का ताज” उपन्यास में होता है जिसमे सुधीर का हरामीपन
हर पन्ने पर दिखाई देता है। जिस अंदाज़ से वह सिल्विया को चैलेंज करता है उसके बाद
से तो पूरा उपन्यास बस इसलिए मैंने पढ़ डाला की इस चैलेंज को सुधीर कब और कैसे पूरा
करता है।
पाठक साहब का उपन्यास पढने के बाद इस ठण्ड में भी दिमाग के कुछ पुर्जे काम कर
रहे हैं इसलिए ये चंद पंक्तियाँ लिख पाया हूँ। मुझे फक्र महसूस होता है की दुनिया
को कई बाते लोगों के बताने के बाद पता चलती है जबकि मुझे वो बातें पाठक साहब के उपन्यास
के सदके बहुत पहले पता चल जाती है। आशा है आप सभी को भी पाठक साहब के उपन्यास पढने
के बाद कुछ नयी बातों की जानकारी मिली होगी।
इजाज़त चाहूँगा अगली बार तक के लिए, लेख पढने के बाद अपने विचार जरूर साझा करें।
आभार
राजीव रोशन
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