कार्पस ड़ेलेक्टी – ए क्राइम इन्वेस्टीगेशन टर्म सभी सुमोपाई बंधुओं को सलाम। फिर से एक बार आप लोगों के लिए साधारण सी जानकारी लेकर आया हूँ। पाठक साहब ने एक लघु कथा “किताबी क़त्ल” लिखा था जिसे एक बार उपन्यास के रूप में भी छापा गया था। अगर आप इस कहानी को पढेंगे तो आप क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन के एक नुक्ते से आसानी से परिचित हो जायेंगे। खैर आप सभी को अगर ध्यान न हो तो मैं आप सभी की कृपा दृष्टि उस नुक्ते की ओर ले जाना चाहूँगा। “किताबी क़त्ल” की कहानी में जब इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर मौकायेवारदात पर पहुँचता है तो उसे ऐसा लगता है की वहां क़त्ल हुआ है लेकिन उसे वहां लाश नज़र नहीं आती है। मौकायेवारदात से मिले कई सूत्रों से पता चलता है की वहां घर के मालिक का क़त्ल हुआ है लेकिन लाश न मिलने की सूरत में इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर उसे एक नुक्ते के रूप में लेता है। इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर ने इस नुक्ते को “कार्पस डेलिक्टी” का नाम दिया। इस बिंदु पर जब थोड़ी बहुत इन्टरनेट द्वारा खोज बीन किया तो पता चला की इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर द्वारा बोला गया यह टर्म क्राइम इन्वेस्टीगेशन में बहुत मायने रखती है। “कार्पस डिलेक...
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