Skip to main content

Perfumes for Book Lover

Perfumes for Book Lover


लेखकों, पाठकों एवं किताबों की दुनिया अजीबोगरीब अचंभों से भरी हुई है। कई अनोखी बातों से आप रोजाना रूबरू हो सकते हैं। ऐसी ही एक अनोखी जानकारी के बारे में मुझे तब पता चला जब मैं इन्टरनेट की दुनिया में किताबी कीड़ों की दुनिया को खंगाल रहा था। मुझे पता चला की संसार में कुछ ऐसी परफ्यूम बनाने वाली कंपनियां हैं, जो ऐसे इत्र (परफ्यूम) का निर्माण कर चुकी हैं, जिनका इस्तेमाल संसार के किताबी कीड़े या पुस्तक प्रेमी, अपनी उस क्षुधा को मिटाने के लिए कर सकते हैं, जिनसे वे कभी पार नहीं पा सके।

Sweet Tea Apothecary नामक परफ्यूम बनाने वाली कंपनी ने Dead Writers सीरीज के अंतर्गत ऐसे परफ्यूम को लेकर आई है, जिसके इस्तेमाल भर से आपको यह अहसास होने लगेगा की आप एक पुरानी लाइब्रेरी में खड़े हैं और आपके चारों ओर किताबें ही किताबें हैं। काली चायपत्ती, लौंग, कस्तूरी, वेनिला, हेलीओट्रोप और तंबाकू के मिश्रण से तैयार यह परफ्यूम आपको वही एहसास दिलाएगी जिसे आप तब महसूस करते हैं जब पुस्तकों के बीच ही आपका उठाना बैठना रहता हो।

अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें :- डेड राइटर सीरीज परफ्यूम



वहीँ, AH & OH स्टूडियो ने, कुछ महान लेखकों के नाम से, सेंट स्टोरीज नामक परफ्यूम की श्रृंखला का इजाद किया है, जो की निश्चय ही उन पुस्तक प्रेमियों के लिए एक शानदार तोहफा हो सकता है, जिन्हें इन महान लेखकों की कृतियों से प्रेम हो चूका है। जॉर्ज ओरवेल, एडगर एलन पो आदि महान लेखकों के कुछ ख़ास चिन्हों को इस परफ्यूम के ढक्कन के जरिये अनोखापन देने की कोशिश की गयी है।

अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें :- सेंट सीरीज



अगर आपका कोई मित्र पुस्तक प्रेमी है और उसे इस बार आप पुस्तकों के अलावा कुछ ख़ास और नायाब तोहफा देना चाहते हैं तो निश्चय ही ये परफ्यूम इस श्रेणी में शामिल होने के लिए बेक़रार है। मैंने गलत तो नहीं कहा न, तो फिर मैं आपको अपना पता इनबॉक्स में भेजूं क्या? J

आभार
राजीव रोशन

Comments

Popular posts from this blog

कोहबर की शर्त (लेखक - केशव प्रसाद मिश्र)

कोहबर की शर्त   लेखक - केशव प्रसाद मिश्र वर्षों पहले जब “हम आपके हैं कौन” देखा था तो मुझे खबर भी नहीं था की उस फिल्म की कहानी केशव प्रसाद मिश्र की उपन्यास “कोहबर की शर्त” से ली गयी है। लोग यही कहते थे की कहानी राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म “नदिया के पार” का रीमेक है। बाद में “नदिया के पार” भी देखने का मौका मिला और मुझे “नदिया के पार” फिल्म “हम आपके हैं कौन” से ज्यादा पसंद आया। जहाँ “नदिया के पार” की पृष्ठभूमि में भारत के गाँव थे वहीँ “हम आपके हैं कौन” की पृष्ठभूमि में भारत के शहर। मुझे कई वर्षों बाद पता चला की “नदिया के पार” फिल्म हिंदी उपन्यास “कोहबर की शर्त” की कहानी पर आधारित है। तभी से मन में ललक और इच्छा थी की इस उपन्यास को पढ़ा जाए। वैसे भी कहा जाता है की उपन्यास की कहानी और फिल्म की कहानी में बहुत असमानताएं होती हैं। वहीँ यह भी कहा जाता है की फिल्म को देखकर आप उसके मूल उपन्यास या कहानी को जज नहीं कर सकते। हाल ही में मुझे “कोहबर की शर्त” उपन्यास को पढने का मौका मिला। मैं अपने विवाह पर जब गाँव जा रहा था तो आदतन कुछ किताबें ही ले गया था क्यूंकि मुझे साफ़-साफ़ बताया ग...

विषकन्या (समीक्षा)

विषकन्या पुस्तक - विषकन्या लेखक - श्री सुरेन्द्र मोहन पाठक सीरीज - सुनील कुमार चक्रवर्ती (क्राइम रिपोर्टर) ------------------------------------------------------------------------------------------------------------ नेशनल बैंक में पिछले दिनों डाली गयी एक सनसनीखेज डाके के रहस्यों का खुलाशा हो गया। गौरतलब है की एक नए शौपिंग मॉल के उदघाटन के समारोह के दौरान उस मॉल के अन्दर स्थित नेशनल बैंक की नयी शाखा में रूपये डालने आई बैंक की गाडी को हजारों लोगों के सामने लूट लिया गया था। उस दिन शोपिंग मॉल के उदघाटन का दिन था , मॉल प्रबंधन ने इस दिन मॉल में एक कार्निवाल का आयोजन रखा था। कार्निवाल का जिम्मा फ्रेडरिको नामक व्यक्ति को दिया गया था। कार्निवाल बहुत ही सुन्दरता से चल रहा था और बच्चे और उनके माता पिता भी खुश थे। चश्मदीद  गवाहों का कहना था की जब यह कार्निवाल अपने जोरों पर था , उसी समय बैंक की गाड़ी पैसे लेकर आई। गाड़ी में दो गार्ड   रमेश और उमेश सक्सेना दो भाई थे और एक ड्राईवर मोहर सिंह था। उमेश सक्सेना ने बैंक के पिछले हिस्से में जाकर पैसों का थैला उठाया औ...

Man Eaters of Kumaon

समीक्षा  चोगढ़ के नरभक्षी बाघ  लेखक - जिम कॉर्बेट  हर जंग में मौत होती है। हर युद्ध में लाशें गिरती हैं। दोनों तरफ जान-माल का नुकसान होता है । दोनों तरफ के सैनिकों में जोश होता है, उत्साह होता है, लेकिन डर भी होता है है। लेकिन दोनों तरफ इंसान होते हैं। इंसान अपनी फितरत से पूरी तरह से वाकिफ होता है । सैनिको को यही शिक्षा दी जाती है की कौन तुम्हारा दोस्त है कौन तुम्हारा दुश्मन।  लेकिन अगर दुश्मन एक हो और उसमे भी नरभक्षी बाघ, जिसे सिर्फ और सिर्फ अपने शिकार से मतलब है। उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की शिकार मनुष्य है या जानवर। उसे इस बात से फर्क नहीं पड़ता की वह जिस मनुष्य का शिकार कर रहा है वह किसी का बाप, किसी का बेटा, किसी का पति, किसी की माँ, किसी की बेटी और किसी की पत्नी हो सकती है। उसे इस बात से फर्क नहीं पड़ता की उसके कारण किसी के घर में चूल्हा नहीं जलेगा, किसी के घर में शहनाई नहीं बजेगी, किसी के घर में त्यौहार नहीं मनाया जाएगा। उसे इस बात से फर्क नहीं पड़ता की उसके कारण लोग भय से अपने घरों से कई दिनों तक बाहर नहीं निकलते। उसे इस बात से फर्क ...