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बुक वेंडिंग या डिस्पेंसिंग मशीन

बुक वेंडिंग या डिस्पेंसिंग मशीन




इन्टरनेट पर कुछ लेखों को पढ़ते रहने की लगातार आदत के कारण एक ऐसे लेख को पढने का मौका मिला जिसने मुझे आश्चर्यचकित कर दिया। मुझे उस लेख से पता चला की सिंगापूर में “बुक एक्चुअली” संस्था द्वारा तीन बुक वेंडिंग मशीन लगाया गया है। मैंने कॉफ़ी वेंडिंग मशीन तो देखा है, मेट्रो स्टेशन पर चिप्स और चॉकलेट डिस्पेंसिंग मशीन भी देखा है, कोल्ड ड्रिंक डिस्पेंसिंग भी देखा है, लेकिन बुक वेंडिंग या डिस्पेंसिंग मशीन कभी देखा नहीं था, इसलिए यह जानकारी मेरे लिए अनोखा ही था।

सिंगापुर के राष्ट्रीय संग्रहालय और विजिटर सेंटर पर दो बुक वेंडिंग मशीन पहले से मौजूद हैं, जिसमे से प्रत्येक में १२० से १५० पुस्तकें रखी जाती हैं, जिसे पाठक उसी तरह से खरीद सकता है जैसे वह ऐसे डिस्पेंसिंग मशीन से चॉकलेट और चिप्स खरीदा करता था।

बुक डिस्पेंसिंग मशीन का इतिहास भी बहुत पुराना है। सन १८२२ में, इंग्लैंड के रिचर्ड कारलिले नामक व्यक्ति ने सरकार द्वारा प्रतिबंधित किताबों को बेचने के लिए और गिरफ्तारी से बचे रहने के लिए पहली बार एक बुक डिस्पेंसिंग मशीन बनाया, जिसके द्वारा पाठक उन किताबों को बिना रिचर्ड के संपर्क में आये हुए खरीद लेते थे। कमाल की बात यह है की इस पहले बुक डिस्पेंसिंग मशीन के १०० वर्षों बाद इस दुनिया में दूसरा बुक डिस्पेंसिंग मशीन का पदार्पण हुआ। सन १९३७ में, पेंगुइन बुक के संस्थापक, सर एलन लेन ने, Penguincubator नामक मशीन को लन्दन में स्थापित किया, जिसमे से पेपरबैक में किताबें निकलती थी और वो भी उसी दर पर जिस दर पर वे किताबें सामान्य दुकानों पर उपलब्ध होती थी।

आज के समय में, कई अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डों एवं कई अन्तराष्ट्रीय शहरों में, ऐसे बुक वेंडिंग मशीन पाठकों के लिए वरदान साबित हो रही हैं। हम आशा करते हैं की भविष्य में हमारे देश में कई स्थानों पर ऐसे बुक वेंडिंग मशीन या बुक डिस्पेंसिंग मशीन स्थापित होंगे या लगाए जायेंगे, ताकि हमारे देश में पाठकों की संख्या में बढ़ोतरी हो, क्यूंकि पुस्तकें ज्ञान का भण्डार होती हैं और ज्ञान हमारे समाज के विकास के लिए महत्वपूर्ण रोल निभाता है।
बुक वेंडिंग मशीन और बुक डिस्पेंसिंग मशीन से सम्बंधित, कुछ जानकारी आपको निम्न लिंक पर प्राप्त हो जाएगा:- 



हैप्पी रीडिंग
आभार
राजीव रोशन 

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