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मीना मर्डर केस - A Locked Room Murder Mystery

मीना मर्डर केस – सुनील सीरीज 


(A Locked Room Murder Mystery)

*SPOILER ALERT*

“मीना कपूर अपने फ्लैट में गोली लगई हुई मृत अवस्था में पायी जाती है। जिस कमरे में वह मृत अवस्था में पायी जाती है उस कमरे की सभी खिड़कियाँ अन्दर से बंद थी। उस फ्लैट में घुसने का सिर्फ एक ही दरवाजा था जिसे ५-६ लोगों की उपस्थिति में तब खोला गया जब वह बाहर से बंद थी और अन्दर घुसते ही सबने उसके लाश के दर्शन किये थे जबकि उस दरवाजे की चाबी उपेक्षित सी टेबल पर पड़ी थी। घातक हथियार मौकाए-वारदात से गायब थी इसलिए इसे साफ़-साफ़ हत्या का केश माना गया। मीना कपूर के पति वीरेंदर कपूर को हत्या के इलज़ाम में गिरफ्तार किया गया क्यूंकि उसके पास ही उस कमरे की एक अतिरिक्त चाबी थी और उसे ही उस कमरे में घुसने और मीना कपूर को शूट करके चले जाने की सहूलियत प्राप्त थी। लेकिन वीरेंदर कपूर का अंत तक कहना था कि उसने पत्नी कि हत्या नहीं की थी।”



क्राइम फिक्शन की विधा में डिटेक्टिव फिक्शन की सबसे प्रचलित और प्रसिद्द शाखा “लॉक्ड रूम मर्डर मिस्ट्री” है। “मीना मर्डर केस” भी एक ऐसी ही लॉक्ड रूम मर्डर मिस्ट्री है। लेकिन इसे तभी लॉक्ड रूम मर्डर मिस्ट्री माना जा सकता है जब यह माना जाए कि वीरेंदर कपूर ने अपनी पत्नी कि हत्या नहीं की। यह अगर माना जाए की वीरेंदर कपूर ने अपनी चाबी का इस्तेमाल ही नहीं किया था तो यह कहानी एक लॉक्ड रूम मर्डर मिस्ट्री साबित हो सकती है।

“लॉक्ड रूम मर्डर मिस्ट्री” अपराध की वह शाखा है जो हमेशा ऐसे वातावरण में घटित होता है जो असंभव है। एक कमरा जिसकी ४ दीवारें हैं, एक छत है, एक फर्श है, कोई खिड़की नहीं और सिर्फ एक दरवाजा है जो अन्दर से बंद है और अगर उसमे एक लाश पाई जाती है जो तहकीकात के बाद एक हत्या तस्लीम होती है तो सोचिये डिटेक्टिव के होश उड़ेंगे की नहीं। सोचिये कोई क्लू नहीं, कातिल के अन्दर घुस कर क़त्ल करके वापिस जाने की कोई सम्भावना नहीं तो ऐसे पहेली को कैसे हल किया जाए। क्राइम फिक्शन में “लॉक्ड रूम मर्डर मिस्ट्री” का इतिहास सबसे पुराना है। एडगर एलन पो की क्राइम फिक्शन रचना “The Murders in the Rue Morgue में एक महिला और उसकी पुत्री, चौथे माले पर स्थित एक ऐसे कमरे में हत्या कर दिए जाते हैं जो कि अन्दर से बंद है और कहीं से भी उसमे घुसना आसान नहीं। “The Murders in the Rue Morgue” को क्राइम फिक्शन संसार की पहली रचना भी कहा जाता है। इस उपन्यास में ही पहली बार “फिक्शनल डिटेक्टिव” का इस्तेमाल किया गया था जिसका नाम सी.अगस्टस ड्यूपिन था। कहा जाता है कि सर आर्थर कैनन डोयले का किरदार ड्यूपिन के किरदार से ही प्रेरित था।

एक बहुत ही शानदार तरीके से बुनी “लॉक्ड रूम मर्डर मिस्ट्री” रीडर को एक ऐसा जाल सौंपती है जिसे वह अंत तक हल करने में लगा रहता है। रीडर उसे तब तक नहीं छोड़ सकता जब तक वह इसका हल न निकाल ले। लॉक्ड रूम मर्डर मिस्ट्री का यह अर्थ नहीं की अपराध एक कमरे में ही घटित हुआ हो। एक ऐसा अपराध जो पहली बार देखने में असंभव और असाधारण सा लगे वह भी इस श्रेणी में आ जाता है। क्राइम फिक्शन की दुनिया में “लॉक्ड रूम मर्डर मिस्ट्री” पर सबसे बेहतरीन लिखने वाले लेखक हैं “जॉन डिकसन कार”। इन्होने कई बेहतरीन “लॉक्ड रूम मर्डर मिस्ट्री” संसार को दिए हैं। “द होलो मैन”, जॉन डिकसन कार की सबसे बहतरीन रचना मानी जाती है इसमें एक व्यक्ति को बंद कमरे में गोली मारी जाती है जिसके बाहर एक चौकीदार चौकीदारी कर रहा होता है। इसी उपन्यास में एक व्यक्ति कि हत्या बर्फ से ढके रास्ते पर होती है और कातिल के क़दमों के निशान वहां कहीं नहीं पाए जाते हैं।

सर सुरेन्द्र मोहन पाठक जी ने भी कई “लॉक्ड रूम मर्डर मिस्ट्री” की रचना की हैं जैसे कि – “मीना मर्डर केस”, “कानून का चैलेंज” आदि। इस लेख की पहली पंक्ति से आपको ज्ञात हो ही गया होगा की “मीना मर्डर केस” में कैसे वीरेंदर कपूर अपनी पत्नी की हत्या के इलज़ाम में गिरफ्तार किया जाता है। वीरेंदर को कपूर को अदालत द्वारा फांसी कि सज़ा सुनाई जाती है। वीरेंदर कपूर खुद को अंत तक निर्दोष कहता रहता है लेकिन अपनी लाख कोशिशों के बावजूद भी वह अदालत को यकीन नहीं दिला पाता क्यूंकि मीना कपूर की हत्या के लिए सबसे बड़ा उद्दयेश और मौका उसे ही हासिल था। वीरेंदर कपूर मीना से तलाक लेकर मंजुला नामक लड़की के साथ जिन्दगी बिताना चाहता था। वह हत्या वाली रात मीना कपूर से मिलने भी गया था और जिस रिवाल्वर से मीना कपूर के हत्या हुई वैसा ही रिवाल्वर वीरेंदर कपूर के पास था जो कि हत्या के बाद से ही गायब था। इन सभी बातों को मद्देनज़र रखते हुए अदालत ने उसे फांसी की सज़ा सुनाई थी। वह अपने जीने की उम्मीद छोड़ देता है लेकिन फांसी से एक हफ्ते पहले उसके अन्दर फिर से खुद को बेगुनाह साबित करने की इच्छा बलवती होती है और वह ब्लास्ट के क्राइम रिपोर्टर सुनील कुमार चक्रवर्ती को मिलने के लिए बुलाता है। वीरेंदर कपूर सुनील को एक पत्र दिखाता है जिसके अनुसार वीरेंदर कपूर बेगुनाह साबित हो सकता है। वह सुनील से सहायता मांगता है कि वह तहकीकात करे और नए रहस्य के उजागर होने के तहत इस केस के तह तक जाकर सच को उजागर करे। सुनील के पास सच को उजागर करने के लिए मात्र ६ दिन का वक़्त होता है ताकि अगर वीरेंद्र कपूर बेगुनाह हो तो उसे फांसी के फंदे पर झूलने से बचाया जा सके।

क्या सुनील वीरेंदर कपूर को बेगुनाह साबित कर पायेगा?


क्या सुनील वीरेंदर कपूर को उसके फांसी के फंदे पर झूलने से पहले बेगुनाह साबित कर पायेगा?

क्या वह इस लॉक्ड रूम मर्डर मिस्ट्री को हल करके दिखा पायेगा?

वैसे सच बताऊँ, इस सवालों का महत्व उनके लिए है जिन्होंने सुनील सीरीज को अभी कल से ही पढना शुरू किया है और जो कई वर्षों से सुनील सीरीज को पढ़ते हैं वह जानते हैं कि मैं “महत्व” के बारे में लिख कर क्या कहना चाहता हूँ।

“मीना मर्डर केस” एक “लॉक्ड रूम मर्डर मिस्ट्री” है लेकिन इसका रहस्य बहुत आसानी से उजागर हो जाता है। अगर इस उपन्यास को एक बार भी गौर से पढ़ा जाए तो पता चल जाता है कि कैसे सब कुछ हुआ होगा। उपन्यास में किरदारों की अधिकता है जिसके कारण एलिमिनेशन तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। कहानी की रूप रेखा और प्रस्तुतीकरण शानदार है। सुनील के हाथ में यह केस तब आता है जब हत्या हुए छः महीने से अधिक हो चूका था। जबकि सुनील के अधिकतर उपन्यासों में तो लाश उसकी मौजूदगी में पायी जाती है। उपन्यास में दो किरदार ही ऐसे हैं जो अपनी ओर आपका ध्यान खींचते हैं – रमाकांत मल्होत्रा और जेल का वार्डन। सुनील तो पाठक साहब का स्थापित किरदार है इसलिए वह तो अपने जलाल पर है ही लेकिन रमाकांत ने इस उपन्यास में डॉ. वाटसन की तरह सुनील का साथ दिया है। बाकी के सभी किरदार कहानी के जरूरत के अनुसार उपन्यास में रखे गए हैं और कहानी का ताना-बाना उनके इर्द-गिर्द बुना गया है। इस उपन्यास का रहस्य यह नहीं कि हत्या किसने किया जबकि रहस्य यह है कि हत्या किस प्रकार हुई और यही मजा है “लॉक्ड रूम मर्डर मिस्ट्री” का।

यह उपन्यास बारम्बार पठनीय है लेकिन दो बार पढने की बीच का अन्तर कम से कम ८ महीने का जरूर हो नहीं तो मजा नहीं आएगा। जुलाई-१९७९ में आया यह उपन्यास सर सुरेन्द्र मोहन पाठक जी ११२ वीं रचना थी। वहीँ सुनील सीरीज के अंतर्गत यह ७६ वां उपन्यास था। यह एक सफलतम उपन्यास है क्यूंकि यह आज भी सभी पाठकों का पसंदीदा उपन्यास माना जाता है। इस उपन्यास को पाठक साहब के प्रसिद्धतम उपन्यासों में गिना जाता है।

आप इस उपन्यास को इबुक में न्यूज़-हंट एप्लीकेशन के जरिये पढ़ सकते हैं:-

समीक्षा के प्रति अपनी राय जरूर व्यक्त करें|

आभार

राजीव रोशन 

Comments

  1. अच्छी समीक्षा राजीव जी। लॉक्ड रूम मिस्ट्री के विषय में भी अच्छी जानकारी दी लेकिन अगर ये समीक्षा के बीच में न होकर अपने में अलग लेख होता तो बढ़िया होता।

    ReplyDelete
    Replies
    1. विकास भाई.. अलग से एक वृहद् लेख कभी कभी बोरियत को जन्म देता है| वैसे आगे कई और ऐसी समीक्षाएं आएँगी जिनमे लॉक्ड रूम मर्डर मिस्ट्री के बारे में जानकारी भी होगी|

      प्रोत्साहन भरे शब्दों के लिए दिल से शुक्रिया|

      Delete

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