“गुंडागर्दी, बदमाशी और दादागिरी के खूंरेज धंधे से कोई रिटायर नहीं होता, तुकाराम। ये रंडी का धंधा है। रंडी धंधा नहीं छोड़ती। धंधा रंडी को छोड़ता है। कोई इकबालसिंह या कोई तुकाराम धंधा नहीं छोड़ता। धंधा हम लोगों को छोड़ता है। ये वो धंधा है जिसमें आदमी अपने पैरों से चल के दाखिल होता है लेकिन जब रुखसत होता है तो चार भाइयों के कन्धों पर सवार होता है। इसलिए तू मुझे ये फैंसी बातें सुनाकर भरमाने की कोशिश मत कर कि तू रिटायर हो चुका है।” उपरोक्त बात इकबालसिंह ने विमल सीरीज के उपन्यास ‘लेख की रेखा’ में तुकाराम से कहा था। लेकिन मैं इसका इस्तेमाल मौजूदा लेख में कर रहा हूँ। वैसे यह ‘संवाद’ वास्तविकता के करीब तो है पर अपने आप में आउटडेटिड हो चुका है। वर्तमान में ‘रंडी’ भी धंधा छोड़कर अन्य सुकून के ‘व्यवसाय’ में जा रही हैं। अपराधी भी रिटायर होते ही हैं, जैसे कि उदाहरण ‘डाकू अंगुलीमाल’ और ‘बाल्मीकि’ का है और वर्तमान में भी ऐसे ही कई उदाहरण हैं। लेकिन ये उदाहरण अपवाद हैं। अपराधी मानसिक तौर पर इतना मजबूर हो चुका होता है कि वह अपराध से किनारा करने के बारे में सोच भी नहीं पाता है। Pic soure :- Daily...
साहेबान, मेहरबान, कदरदान और आये हुए सभी मेहमान, आप सभी का मैं, इस्तकबाल करता हूँ इस जादूगरी के शो में – जहाँ मैं वह कारनामा करके दिखाउंगा जिसे देखने के बाद आप अपने दांतों तले ऊँगली दबा लेंगे। साहब, आपका खादिम कोई जाना-माना और प्रशिक्षित जादूगर नहीं है, लेकिन आपका खादिम जेल तोड़ कर भाग जाने एवं एक हत्या करने में कामयाब हुआ था, तो ऐसे में कुछ तो बात होगी मुझमें। मैं विश्वास दिलाता हूँ कि मैं इस एक्ट के द्वारा आपको रहस्य और रोमांच से भर दूंगा। चलिए अच्छा है, आप सभी तैयार नज़र आ रहे हैं, इसलिए मैं पहले अपने इस एक्ट के बारे में आपको बता दूँ। तो तो साहेबान मैं आप सभी के सामने, ये जो इंस्पेक्टर साहब आये हैं, ये जो रिपोर्टर साहब आये हैं और इतने मेहमानों के बीच, भारत के प्रसिद्ध जादूगर ‘एस.एस. सरकार जूनियर’ का क़त्ल कर दूंगा और गायब हो जाऊँगा। भाइयों एवं बहनों ‘कातिल एक कलाकार होता है और क़त्ल करना उसकी कला होती है। एन वैसे ही जैसे जादूगर एक कलाकार होता है और जादूगरी उसकी कला होती है। जादूगर असल में क्या करता है! हाथ की सफाई दिखाता है। वो अपने दर्शकों की तवज्जो अपने एक हाथ की तरफ करता है और दुसरे...