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आखिरी दांव (वन ब्राइट समर मोर्निंग)

आखिरी दांव


अनुवाद - सबा खान

मूल उपन्यास -  One Bright Summer Morning

मूल उपन्यासकार - जेम्स हेडली चेज



आखिरी दांव, यह सबा खान द्वारा, जेम्स हेडली चेज द्वारा लिखित 'वन ब्राइट समर मॉर्निंग' का, सारगर्भित हिंदी अनुवाद है। इस अनुवाद को पढ़ने के बाद कदापि नहीं लगता कि यह सबा खान का 'आखिरी दांव' है। मुझे उनका भविष्य भारतीय क्राइम फिक्शन में उज्जवल नज़र आ रहा है। मुझे उम्मीद है कि भविष्य में वे कई नए 'दांव' के साथ 'हिंदी क्राइम फिक्शन' की विधा को आगे ले जाएंगी।

मैंने चेज का कोई उपन्यास अंग्रेजी में नहीं पढ़ा है, लेकिन कई बेनाम अनुवादकों के अनुवाद के रूप में चेज के उपन्यास को कई वर्षों पहले पढ़ा था। इन अनुवादकों को घोस्ट राइटर कहा जाता है जिन्होंने कई प्रकाशकों के साथ मिलकर 'पॉकेट बुक्स इंडस्ट्री' को निगल लिया था।

खैर, भूत भूत है और भविष्य भविष्य। 'आखिरी दांव' उपन्यास, यह साबित कर देता है कि भारत में गुणी लेखकों एवं अनुवादकों की कमी नहीं है, बस हमें पहचानने की देर है और उनमें से एक हीरा पहचान लिया गया है - सबा खान के रूप में।

उत्कृष्ठ भाषा शैली, पठनीय अंदाजे-बयां, शब्दों का सही चुनाव - ये वो खासियत हैं - जो आपको इस कहानी में कहानी के इतर देखने-पढ़ने को मिलेंगे।

जेम्स हेडली चेज की कहानी हमेशा तेज-रफ़्तार, रहस्यों के जालों में बुनी हुई, थ्रिलर के कलेवर के साथ, सस्पेंस को बना कर रखने वाली होती हैं। ऐसे में मूल पुस्तक की इन सभी खासियतों को जो कि पुस्तक की आत्मा का दर्जा रखते हैं को तरीके से संभालकर अनुवाद करना एक दुरूह कार्य है जिसे सबा खान ने बखूबी सम्भाला है। मैंने कई मझे हुए अनुवादकों के अनुवाद पढ़ने के बाद, उन्हें इस बिंदु पर बुरी तरह फिसलते हुए देखा है। मेरा शुरू से मानना है कि अनुवाद में, मूल पुस्तक की कहानी की आत्मा का ह्रास नहीं होना चाहिए। सबा खान इस बिंदु पर खड़ी उतरी हैं और वे अपने पाठकों को इस अनुवाद द्वारा, चेज के मूल उपन्यास जितना ही आनंद देंगी।

मेरा उनसे आग्रह है कि अनुवाद के साथ-साथ वे अपने मौलिक रचना पर भी काम करना शुरू करें। उनको लेखिका के तौर पर देखना, उनकी मौलिक रचना को अपने हाथ में देखने को मैं लालायित एवं आनंदित रहूंगा।

मैं उन्हें इस बेहतरीन अनुवाद पर हार्दिक बधाई एवं भविष्य के हार्दिक शुभकामनायें प्रेषित करता हूँ।

आप इस उपन्यास को निम्न लिंक से खरीद कर पढ़ सकते हैं:-

पेपरबेक एडिशन
किंडल एडिशन

आभार
राजीव रोशन

Comments

  1. आप की बात से सहमत हूँ लेकिन सबा जी ने अनुवाद में कुछ कठिन ऊर्दू के शब्दों का प्रयोग किया हैं, जिसकी जगह अगर बोलचाल की भाषा का प्रयोग करती तो ज्यादा अच्छा होता।

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  2. Ye novel ka review km aur Translator ka review jyada lagta hai.

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