“जहन्नुम कि अप्सरा” – इब्ने सफी अभी हाल ही में न्यूज़-हंट पर ईबुक में इब्ने-सफी कि सभी पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। सभी हिंदी में अनुवादित उपन्यास हैं। इब्ने-सफी अपने आप में एक ब्रांड नेम हैं। सुना है कि उन्हें हिंदी एवं उर्दू क्राइम फिक्शन का जनक माना जाता है। पहले वे भारत में ही कहानियां लिखा करते थे पर बाद में वे पाकिस्तान माइग्रेट कर गए और वहीँ से अपना पब्लिकेशन संस्था खोल कर अपनी कहानियां प्रकाशित करने लगे थे। आज भी भारत में उनके प्रशंसकों कि संख्या बहुत है। कई लेखक उनको पढ़-पढ़ कर ही लेखन के ऊँचे मुकाम पर पहुंचे हैं। वैसे तो मैं 2-3 किताबें उनके द्वारा लिखी गयी पहले भी पढ़ चूका था लेकिन आज उनकी किसी कहानी के बारे में लिखने कि सोचा है। “जहन्नुम कि अप्सरा” इस पुस्तक का नाम है जो कि अली इमरान सीरीज कि ५ वीं पुस्तक है। कई वर्षों बाद उनकी कहानी को हिंदी में छाप कर हार्पर कॉलिंस ने एक अलग ही दौर कि शुरुआत कर दी है। मेरे हिसाब से इब्ने-सफी के कई प्रशंसक हार्पर-कॉलिंस के इस कदम का स्वागत करते हैं। वहीँ ऑनलाइन पढने वाले पाठक भी बहुत ही आनंदित महसूस करते होंगे क्यूंकि अब हार्पर क...
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