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Showing posts from February, 2017

Pans Lyberinth

फैंटेसी फिल्मों का मैं उतना दीवाना नहीं लेकिन कभी-कभार फिल्मों की श्रेणी में स्वाद बदलने के लिए फैंटेसी मूवीज देखता हूँ। बहुत दिनों से हार्ड ड्राइव में सन 2006 में रिलीज़ हुई स्पेनिश मूवी ‘Pans Lyberinth’ सहेज कर रखी हुई थी। पिछले वर्ष बीबीसी द्वारा रिलीज़ की गयी हॉलीवुड की 100 बेहतरीन फिल्मों में इस फैंटेसी मूवी का भी नाम था। आज छुट्टी के दिन इस मूवी को देखने का मौका मिला।   चूँकि यह एक फैंटेसी मूवी है तो कहानी कितनी जमीनी स्तर की होगी यह बताना गैरजरूरी है। कहानी 1944 में स्पेन में हुए गृहयुद्ध की पृष्ठभूमि में रची गयी है। एक लड़की जो परीकथाएं पढ़कर उनमें रूचि एवं विश्वास रखती है, वह अपनी ग्रभवती माँ के साथ एक ऐसे क्षेत्र में पहुँचती है, जहाँ उसकी मुलाक़ात अपने सौतेले पिता से होती है जो वहां विद्रोहियों को कुचल देने के लिए स्पेन की सेना का एक कैप्टेन है। वह उस लड़की के साथ कुछ ऐसे अजीब वाकये होते हैं जो उसे परियों की दुनिया में विश्वास दिलाया देती है। सामानांतर में विद्रोहियों एवं सेना में हो रहे गोरिल्ला युद्ध से उसके एवं उसकी माँ पर एक अलग ही प्रभाव पड़ता है। किस तरह एक परिकथा सत्य ...

कैशलेस इकॉनमी : भूत, वर्तमान एवं भविष्य

कैशलेस इकॉनमी : भूत, वर्तमान एवं भविष्य अगर गौर से देखा जाए तो डिजिटल इंडिया का आरम्भ तब हुआ जब टैक्सी सर्विस कंपनी ने भारत में अपनी टैक्सी सर्विस शुरू की। उनके पेमेंट करन...

एन्ड जस्टिस फॉर आल

एंड जस्टिस फॉर आल उपरोक्त लाइन की खासियत यह है कि इसमें ‘एन्ड’ के लिए मैंने ‘and’ का इस्तेमाल नहीं किया है बल्कि ‘end’ का इस्तेमाल किया है। बस एक अक्षर के बदलाव से पूरा समीकरण बदल गया है। न्याय – बहुत ही संजीदा शब्द है – कमाल की बात है की न्याय की बात करते-करते महाभारत का विध्वंशक युद्ध शुरू हो गया था। एक्चुअली न्याय शब्द के मायने बहुत है और इसका सम्मान करना चाहिए लेकिन क्या न्याय का सम्मान होता है। मुझे लगता है कि न्याय का बलात्कार होता है, रोज होता है, बार-बार होता है बस हमें खबर नहीं लगती। हॉलीवुड के माचो मैन(काम से कम मेरे लिए तो) अल पचीनो के अदाकारी से भरपूर ड्रामा मूवी ‘….एन्ड जस्टिस फॉर आल’ को देखने का मौका मुझे पिछले हफ्ते ही मिला। आई.एम्.डी. बी. के अनुसार इस फिल्म को ‘क्राइम, ड्रामा, थ्रिलर’ की श्रेणी में रखा गया है जबकि मूवी में क्राइम के नाम पर कुछ ख़ास नहीं है और थ्रिलर के नाम पर तो कुछ भी नहीं है। यह कहानी एक वकील आर्थर किर्कलैंड की है, जो बाल्टिमोर के कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहा है। अब जब कहानी वकील की है तो कोर्ट-रूम ड्रामा जरूर होगा – खैर कोर्ट-रूम ड्रामा उस लेवल का नही...

पृथ्वीवल्लभ (गुजरात गाथा -4)

#पृथ्वीवल्लभ #गुजरात_गाथा 4 बात ज्यादा पुरानी नहीं लेकिन काबिलेगौर है, मेरे एक अभिन्न मित्र तरविंदर सिंह उर्फ रोमी भाई से एक बार पुस्तकों की चर्चा के दौरान गुजराती भाषा के महान साहित्यकार कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी का नाम सुना। उन्होंने उनका जिक्र #कृष्णावतार के संबंध में किया था जिसको खरीदने की कूवत उस वक़्त मुझमें नहीं थी। 7 खण्डों में विभाजित #कृष्णावतार में से मैंने पहली बार, पहला भाग ‘बंसी की धुन’ खरीदा और पढ़ा। पढ़ने के बाद, उन्हें और पढ़ने की चाहत मन में अतृप्त चाहत की तरह पलती रही। बाद के वर्षों में #कृष्णावतार का पूरा सेट खरीदा और उसके चौथे खंड #पांच_पांडव को पढ़ने का सिलसिला वर्तमान में जारी भी हैं। इस वर्ष संपन्न हुए विश्व पुस्तक मेले में #वाणी_प्रकाशन के स्टाल पर मुंशी जी की नयी कृतियाँ नज़र आई जिस पर मैंने सबसे पहले अधिकार करने की कोशिश की। ये किताबें थी - #गुजरात_गाथा सीरीज के अंतर्गत आये चार उपन्यास जो ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर लिखे गए थे वहीँ ‘परशुराम’ जो माइथोलॉजी पृष्ठभूमि पर लिखा गया है। #प्रतिभा_राय द्वारा कृत #द्रौपदी एवं #विष्णु_सखाराम_खांडेकर द्वारा कृत #ययाति पढ़ने के बा...