अमूमन देखा गया है की कभी किसी समय, किसी उम्र
में, किताबें पढने के शौक़ीन इंसानों का शौक, धीरे-धीरे कम होते हुए, खत्म भी हो
जाता है। इंसान के जीवन में जिम्मेदारी एवं उससे उत्पन्न होने वाली व्यस्तताएँ,
उसके शौक के ऊपर हावी हो जाती हैं और अगर शौक किताबें पढना हुआ तो वह ज्यादा ही
हावी हो जाता है। जब आप अपने आस-पास देखते हैं, तो आपको कई ऐसे उदाहरण नज़र आते हैं।
ऐसा भी हुआ है कि, अपने पढने के शौक को छोड़ देने के कई वर्षों बाद अचानक ही उनका
मन बदलता है और वह फिर से किताबें पढना शुरू कर देता है। यह लेख उन सभी अनगिनत
इंसानों के लिए है जिन्होंने अपने पढने के शौक से यह कहकर किनारा कर लिया है कि – उनके
पास अब इस शौक के लिए वक़्त नहीं है, अब इस शौक से ज्यादा भी अहम् चीजें हैं
जिन्हें प्राथमिकता देना पड़ता है, आदि।
किताबें पढने वालों एवं किताबी कीड़ों से, सामान्य
इंसान का सबसे पहला सवाल यह होता है की किताबें पढने से फायदा क्या है?
कमाल है, यह सवाल ऐसे इंसान आपसे पूछेंगे
जिन्होंने अकेडमिक किताबों को पढ़ कर ही आपसे यह सवाल पूछने का हिम्मत किया होगा
क्यूंकि अगर कोई व्यक्ति अधिक पढ़ा-लिखा नहीं है तो उसके नज़रों में पढने का महत्व
बहुत अधिक होता है, भलें आप अकेडमिक से इतर पढ़ रहे हों।
किताबें पढने से मिलता है – ‘ज्ञान/नॉलेज’। जितना भी आप पढ़ते
हैं, वह जानकारी, वह ज्ञान कभी न कभी आपके काम आएगा ही। यह सिर्फ अकेडमिक पुस्तकों
पर ही लागू नहीं होता बल्कि फिक्शन किताबों पर भी लागू होता है। सोचिये, रोबोटिक्स
एक किताबी कल्पना थी जिसे आज अंजाम दिया जा चूका है। ऐसे ही कई ऐसे उदाहरण हैं जो काल्पनिक
किताबों के जरिये वास्तविक दुनिया में मानव जीवन में प्रवेश कर चुके हैं। जितना
ज्यादा आप किताबें पढेंगे उतना ही ज्यादा आपका ज्ञान का भण्डार बढ़ता रहेगा। कहा भी
जाता है की आप किसी भी विपरीत से विपरीत परिस्थिति में हों, आपके पास जो भी था सब
छीन गया हो, लेकिन एक ज्ञान ही है जिसे आपसे कोई नहीं छीन सकता।
दूसरा फायदा यह होता है की आपका ‘शब्दकोष’ बढ़ता
है। जितना आप किताबें पढेंगे, उतना ही आपका सामना अधिकाधिक शब्दों से होगा और
जितना आप अधिकाधिक शब्दों को पढेंगे उतना ही आपके शब्दकोष में शब्दों का इजाफा
होगा। वैसे भी देखा गया है की प्रोफेशनल व्यक्तित्व वाले इंसान हमेशा से अपने
शब्दकोष को बढाते रहते हैं और उनकी यह आदत, उनके आत्मविश्वास को बढाता भी है।
किताबें पढने वाले व्यक्ति से जब आप बात करेंगे तो पायेंगे की उसका शब्दकोष सामान्य
व्यक्तियों से कहीं अधिक है
किताबें पढने का तीसरा फायदा यह है की ‘नये
भाषाओं का ज्ञान’ होता है। हिंदी भाषा में लिखी कई किताबों में उर्दू, पंजाबी, अंग्रेजी
एवं आंचलिक भाषाओं का भी इस्तेमाल किया जाता है। अनजाने में ही कई बार आप उन
भाषाओं के शब्दों को जान लेते हैं जिनका प्रयोग आप करते नहीं हैं।
किताबें पढने का चौथा फायदा है – ‘याददाश्त का बढ़ना’।
हम जब भी किताबें पढ़ते हैं तो उसके किरदार, उसमे घटी घटनाएं, उसमे दिखाए गए इतिहास
आदि हमारे जेहन में उतर जाते हैं, उनकी छाप हमारे में दिमाग में किसी छायाचित्र की
तरह सुरक्षित हो जाती। आगे हमारा दिमाग इन छायाचित्रों सरीखे यादों को, याददाश्त
को आगे उसी तरह के घटनाओं के साथ जोड़ लेता है। जैसे की किसी बैंक में हुई लूट की
घटना को जब आप अखबार या टीवी में पढ़ते/देखते हैं तो सबसे पहले आपका दिमाग स्टोर की
हुई यादों में इस घटना के सामान किसी घटना को खोजता है और अगर रिजल्ट पॉजिटिव
निकला तो आप चौंक जाते हैं।
किताबें पढने का पांचवा फायदा है –
‘विश्लेषणात्मक सोच का विकास होना’ – अर्थात आप पढ़कर, देखकर, सुनकर, सोचकर और समझकर
किसी भी अमुक घटना का विश्लेषण करते हैं और कोई नतीज़ा निकाल लेते है। जब आप एक
रहस्य कथा पढ़ते हैं और उसके रहस्य को पुस्तक खत्म होने से पहले हल कर देते हैं तो
इसका अर्थ यह है की आप अपनी विश्लेषणात्मक सोच का सही इस्तेमाल कर रहे हैं और साथ
ही उसे बढ़ा भी रहे हैं। इसी विश्लेषणात्मक सोच का इस्तेमाल आप अपने दैनिक जीवन में
भी कई बार करते हैं।
किताबें पढने का छठवां फायदा है – ‘ध्यान और
एकाग्रता का बढ़ना’ – जब आप किताबें पढ़ते हैं, तो आपका पूरा ध्यान किताब की कहानी
में लगा होता है। आप पूरी तरह से उस कहानी में रम जाते हैं। जबकि आज की
दौड़ती-भागती दुनिया में आपका ध्यान हमेशा दुसरे साधनों द्वारा खींचा जाता है। इसलिए
कहा भी जाता है की रोजाना कम से कम १५-२० मिनट, कोई न कोई, पुस्तक जरूर पढना चाहिए
और अगर आप ऐसा करते हैं तो पायेंगे की आपके अन्दर ध्यान और एकाग्रता का विकास
कितना होता है। वैसे भी प्रोफेशनल्स को हमेशा फोकस्ड रहने और काम पर कंसन्ट्रेट
करने के लिए कहा जाता है।
किताबें पढने का सातवाँ फायदा है – ‘लेखन के गुण
का विकास’ – यह एक ऐसा गुण है, ऐसा फायदा है जो हमेशा पाठकों को होता ही है। एक रेगुलर
पाठक के शब्दकोष, विश्लेषणात्मक सोच, ध्यान एवं एकाग्रता आदि का विकास उसे एक सफल
लेखक बनने में सहायता प्रदान करता है। वह किताबों को पढ़ कर किरदारों का चित्रण
करना, घटनाओं का प्रस्तुतीकरण, कहानी के बहाव को सीखता है और अपने लेखन में उसका
इस्तेमाल करता है।
किताब पढने के उपरोक्त फायदों के साथ कुछ
मेडिकली प्रूफ फायदे भी हैं। जैसे की, हमारे शरीर के सभी अंगों (अन्दुरिणी एवं
बाहरी) को क्रियाशील रखने के लिए कहा जाता है, वैसे ही, दिमाग को भी क्रियाशील
रखना पड़ता है। इसलिए हमेशा यह सलाह दिया जाता है की जब भी आप कोई कार्य न कर रहे
हों तो कुछ एक्टिविटी कीजिये। इंसान ऐसे एक्टिविटी में कई प्रकार के खेल का सहारा
लेता है तो कुछ इंसान ऐसे समय का प्रयोग ‘किताबें पढ़ कर’ करते हैं। इससे उनके
मानसिक तनाव एवं उत्तेजना को कण्ट्रोल में सुविधा होती है। इंसान कई प्रकार के
कारणों से स्ट्रेस में आ सकता है, लेकिन जब आप किताब पढना शुरू करते हैं तो एक अलग
ही दुनिया में पहुँच जाते हैं जहाँ आपका स्ट्रेस अपनी पहुँच नहीं बाना पाता है।
वहीँ कुछ किताबें ऐसी होती हैं जो इंसान के दिलो-दिमाग पर सीधा असर करती हैं। वह
पाठक की चेतना को झकझोर देती हैं और अन्दुरिणी शान्ति प्रदान करती हैं।
किताबें पढने से, सिर्फ उपरोक्त ही नहीं, अनगिनत
फायदे हो सकते हैं, जिनके बारे में आप मुझे बता सकते हैं ताकि अगर इस लेख का कभी
विस्तार हो उन फायदों को भी प्रयुक्त कर सकूँ।
आशा है, यह लेख, उन सभी इंसानों के लिए लाभदायक
सिद्ध होगा जिन्होंने अपने पढने के शौक को वर्षों पहले बंद कर दिया था। आशा है, आप
अपने मित्रों के साथ इस लेख को साझा करेंगे ताकि वे भी किताब पढने के फायदों से
रूबरू हो सकें और अपने जीवन में पुनः इस शौक को स्थापित कर सकें।
आभार
राजीव रोशन
बेहद शानदार लिखा है आपने।।।
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