घात (सुधीर कोहली सीरीज) (स्पॉयलर अलर्ट) एक क्राइम फिक्शन नावेल में आपको पढने के लिए क्या चाहिए या यूँ कहूँ की क्या-क्या चाहिए। एक मर्डर हो और उसकी तहकीकात एक डिटेक्टिव करे और अंत में करिश्मासाज तरीके से कातिल का पर्दा फास हो जाए। लेकिन अगर इस कहानी में कोर्ट रूम ड्रामा हो, वकीलों की बहस हो और एक घाघ अपराधी हो जो षड्यंत्रों के जाल को ऐसे बुनता हो कि शिकार खुद-ब-खुद उसमे फंस जाए, तो कहानी एक अविस्मरणीय मनोरंजन को जन्म देती है। एक क्राइम फिक्शन नावेल में गर कोर्ट रूम ड्रामा हो, एक डिटेक्टिव की शानदार तहकीकात हो, एक कातिल द्वारा लगाई गयी अटूट घात हो, किसी कि जिन्दगी कि डोर इन्साफ कि तराजू में अटकी हुई हो और उस डोर को बचाए रखने के लिए जो जद्दोजहद कि जाए, ऐसे मसाले से तैयार हुई कहानी सच में बेमिसाल होती है। वहीँ सोने पर सुहागा वाली बात ये हो जाए कि इस कहानी में फिलोस्फर डिटेक्टिव सुधीर कोहली हो, वो अपना खास, खासुलखास, एन दिल्ली का खास हरामी, जिसकी पूछ दिल्ली में और दिल्ली के करीब ४० कोस तक है, तब तो मजा ही आ जाए। अगर सुधीर हो किसी कहानी में तो उसकी चुलबुली लेकिन शरीफ सेक्रे...
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