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Showing posts from September, 2014

न भूतो न भविष्यति - विमल (एक अमर किरदार)

आज मैं भी एक किरदार के बारे में बात करना चाहूँगा| सरदार सुरेन्द्र सिंह सोहल उर्फ़ विमल, सर सुरेन्द्र मोहन पाठक जी द्वारा रचा गया यह किरदार क्यूँ खास है इसके बारे में इस सीरीज की टैग लाइन ही बताती है| “न भूतो न भविष्यति” – न पहले कभी हुआ था और न भविष्य में कभी होगा| विमल का किरदार ऐसा ही है या यूँ कहूँ पूरी विमल सीरीज को ही “न भूतो न भविष्यति” की श्रेणी में रखा जा सकता है| सर सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के पाठकगण इस सीरीज से कितने मुतमुइन हैं, यह इस बात से ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है की “न भूतो न भविष्यति” लाइन का सबसे पहले प्रयोग एक पाठक ने ही किया था और पाठक साहब को इसका इस्तेमाल करने का सलाह भी दिया था| “विमल सीरीज” को पढने वाले पाठक विमल के किरदार को “लार्जर देन लाइफ” कहते हैं| क्या ऐसा किरदार है सरदार सुरेन्द्र सिंह सोहल उर्फ़ विमल का? प्रश्न वाजिब है| क्यूँ एक नया पाठक इस सीरीज पढने लग जाए क्यूंकि उसके मित्र ने बस यह कह दिया की यह शानदार किरदार का शानदार उपन्यास है| सरदार सुरेन्द्र सिंह सोहल उर्फ़ विमल एक कुख्यात अपराधी है जिसकी तलाश सात राज्यों की पुलिस कर रही जिस पर स...