धोखा - The Deception (उपन्यास समीक्षा) (स्पॉयलर अलर्ट) “ धोखा देना और धोखा खाना इंसानी फितरत है , जो इस लानत से आजाद है वो जरूर जंगल में रहता है। ” -उपन्यास “धोखा” “अपनी सोच का दायरा बढ़ाइए।” उपरोक्त फिकरा जो आपने पढ़ा है वह हैरी पॉटर फिल्म के उस किरदार द्वारा बार-बार बोला जाता है जो होग्वार्ट्स स्कूल में भविष्य पढना सिखाती थी। यह फिकरा अपने आप में बहुत बड़ी बात है जो हर इंसान को सीखनी चाहिए। मैंने एक बार एक जादू का खेल देखने गया था जिसमे जादूगर एक इंसान को मेज पर लेटाता है और उसके ऊपर से एक चादर डाल देता है। सभी दर्शकों की निगाहें उस मेज पर चादर के नीचे लेटे इंसान पर टिकी रहती है। जादूगर चादर पर अपनी छड़ी घुमाता है और चादर को झटके से हटा देता है। सभी दर्शकों की आँखें आश्चर्य के मारे फटी की फटी रह जाती है क्यूंकि वह इंसान जो मेज पर लेटा हुआ था वह गायब था। दर्शकों के मस्तिष्क में क्षण भर के लिए यह प्रश्न आता है की जादूगर ने यह कैसे किया। लेकिन जैसे ही जादूगर उस इंसान को फिर से उनके आँखों के सामने ला खड़ा कर देता है – “कैसे किया?” जैसा प्रश्न काफूर हो जाता है।...
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